Rajasthan

तपती धूप सुलगते रेगिस्तान में नहीं भटकेंगी महिलाएं, 700 किमी. दूर से आया पानी, देख छलक पड़ी आंखें

बाड़मेरः राजस्थान के जैसलमेर में कई सालों तक लोगों को पानी के लिए भटकना पड़ा, लेकिन अब उनका इंतजार खत्म हुआ. उनके घरों में नर्मदा नदी पर बने बांध से पानी पहुंचाया जा रहा है. एक 80 साल की महिला बताती हैं कि 45 साल पहले जब वह नई दुल्हन बनकर ससुराल आई थीं, तो पानी के लिए बहुत जाना पड़ता था. उन्होंने कई सालों तक पीने के पानी के लिए संघर्ष किया. अब वह 80 साल हो गई हैं. उन्होंने कहा कि रविवार सुबह घर के नल में पानी आना किसी चमत्कार से कम नहीं है.

रेत के टीलों से घिरा सुंदरा गांव भारत-पाकिस्तान सीमा पर बाड़मेर जिला मुख्यालय से 170 किलोमीटर दूर है. यहां रहने वाले लोग पहले पीने के पानी के लिए ‘बेरी’ या गहरे कुओं पर निर्भर थे, लेकिन पिछले कुछ सालों में वे सूख गए. सुंदरा में तीन ट्यूबवेल से पानी मिलता है. लेकिन, ट्यूबवेल से निकलने वाला पानी बहुत खारा है. ऐसे में लोगों की परेशानी का हल नहीं निकला था. गांव की रहने वाली नेनू देवी (80 साल) याद करती हैं कि जब वह 45 साल पहले अपने मायके बांद्रा से ससुराल आई थीं, तो उन्हें कई दिनों तक पीने के पानी के लिए संघर्ष करना पड़ा था.

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नेनू देवी ने कहा कि वह अपने माता-पिता से सुसराल के बारे में शिकायत करती थीं. उन्होंने आगे कहा कि इस रविवार को मैंने एक ‘चमत्कार’ देखा. उनके घर में नल से पीने का पानी बह रहा था. उनके अलावा 60 साल की रूपी देवी के लिए भी यह चमत्कारी अनुभव कम नहीं था, क्योंकि इंजीनियरों की कड़ी मेहनत से यह संभव हो पाया है. इंजीनियरों ने 728 किलोमीटर दूर नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध से पानी लाने के लिए कई बाधाओं को पार किया.

शिव और रामसर क्षेत्रों के अन्य गांवों में भी जल्द ही नल का पानी मिलने की उम्मीद है. रेगिस्तान के विशाल विस्तार और रेत के टीलों के खिसकने से इलाके में जोखिम भरा माहौल बन गया था और पाइपलाइन बिछाने में काफी दिक्कतें आ रही थीं. बिजली की कमी के कारण महीनों तक काम में देरी हुई. केंद्र सरकार के जल जीवन मिशन के तहत इस काम को फिर से शुरू किया गया.

नर्मदा नहर पेयजल परियोजना के चीफ इंजीनियर सोनाराम बेनीवाल ने कहा कि इसका उद्देश्य गुजरात के सरदार सरोवर बांध से बाड़मेर के रेगिस्तानी इलाके में पेयजल पहुंचाना था. 513 करोड़ रुपये की लागत वाली योजना का उद्देश्य बाड़मेर के शिव के 110 गांवों और रामसर क्षेत्र के 95 गांवों में पानी पहुंचाना था. इसमें शिव और रामसर में 86 विभिन्न स्थानों पर 16 मुख्य भंडारण स्थल, पंपिंग स्टेशन और ऊंचे सेवा जलाशयों का निर्माण शामिल था.

सुंदरा के रहने वाले गिरधर सिंह सोढ़ा ने कहा कि सालों से लोग पशुओं के लिए पानी लाने के लिए मोडरडी, द्राभा, बोई, गिराब और बंधरा जैसे गांवों में 15 से 20 किमी का सफर तय करते थे. भू-जल इतना कठोर था कि जानवर भी इसे पीने से इनकार कर देते थे. सुंदरा के ग्राम प्रधान ने कहा कि खनिज युक्त भूजल के सेवन से कई निवासी बीमार पड़ गए हैं. उन्होंने कहा कि हर घर में विकृति और समय से पहले बूढ़ा होना आम बात है, क्योंकि पानी हड्डियों को खराब कर देता.

Tags: Barmer news, Rajasthan latest news, Rajasthan news

FIRST PUBLISHED : November 26, 2024, 11:34 IST

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