World Cup : नामी बैटर ने ‘कछुए’ की गति से बनाए थे रन, फिर 85 गेंदों पर शतक जड़कर दिखाया दम

हाइलाइट्स
वर्ल्डकप 1975 में सनी ने 174 गेंदों पर नाबाद 36 रन बनाए थे
बाद में वर्ल्डकप-1987 में 88 गेंदों पर बनाए थे नाबाद 103 रन
अपनी शतकीय पारी के दौरान 10 चौके और तीन छक्के लगाए थे
नई दिल्ली. जनवरी 1971 में शुरुआत के बाद से वनडे क्रिकेट (One day Cricket) ने लंबा सफर तय किया है. ‘टुकटुक’ शैली वाले टेस्ट क्रिकेट के दौर में तेजी से बैटिंग करके रनों का अंबार लगाना बेहद मुश्किल माना जाता था और आक्रामक शैली के बैटर ही ऐसा कर पाते थे. क्रिकेट का पहला वर्ल्डकप वर्ष 1975 में इंग्लैंड में हुआ, इसके बाद 1979 और 1983 के वर्ल्डकप भी यही खेले गए. भले ही ये तीनों वर्ल्डकप 60-60 ओवर्स के थे लेकिन उस दौर में 60 ओवरों में 250 के आसपास का स्कोर भी बेहद बड़ा माना जाता था. टीम इंडिया (Team India) की बात करें तो शुरुआती दो वर्ल्डकप में इसके बैटरों को अपने खेल को वनडे शैली में ढालने में काफी वक्त लगा और इनका प्रदर्शन बेहद खराब रहा.
1975 के वर्ल्डकप (World Cup-1975) के एक मैच में में तो एक प्रतिष्ठित भारतीय बैटर ने 174…जी हां 174 गेंदों पर नाबाद 36 रन (स्ट्राइक रेट 20.68)की पारी खेली थी.इस धीमी पारी के लिए इस खिलाड़ी को काफी आलोचना का सामना भी करना पड़ा था. मेजबान इंग्लैंड के खिलाफ इस मैच में भारतीय टीम (Indian cricket team) को 202 रन की बड़ी हार का सामना करना पड़ा था.इंग्लैंड के 4 विकेट पर 334 रन के विशाल स्कोर के जवाब में भारतीय टीम ने आउट हुए बिना, 60 ओवर्स में तीन विकेट खोकर 132 रन बनाए थे.
भारत के लिए यह पारी महान बल्लेबाज और ओपनर सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) ने खेली थी. ‘सनी’ ने इस पारी के बारे में कहा था कि इस मैच के दिन वे रन स्कोर बढ़ाने, यहां तक कि ऐसा न कर पाने के कारण आउट होने के सारे प्रयास कर रहे थे लेकिन सफल नहीं हो पा रहे थे. यह पारी कितनी धीमी थी, इस बात का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि नाबाद 36 रन के दौरान गावस्कर ने केवल एक चौका लगाया था. टेस्ट क्रिकेट की परंपरागत शैली में बैटिंग करने वाले गावस्कर को अपने खेल को वनडे के अनुसार ढालने में काफी वक्त लगा. वर्ष 1983 के वर्ल्डकप में भारत ने खिताब जरूर जीता था लेकिन इस दौरान ‘सनी’का बल्ला खामोश ही रहा था. वर्ल्डकप-1983 के 6 मैचों में गावस्कर 9.83 के साधारण औसत और 49.16 के स्ट्राइक रेट से 59 रन ही बना पाए थे और इस दौरान 25 रन उनका सर्वोच्च स्कोर रहा था.
IND vs AUS: शतक के बावजूद शुभमन गिल से ‘वीरू’ संतुष्ट नहीं, अभी भी ‘दिल मांगे मोर’
बहरहाल, 1987 में भारत में हुए रिलायंस वर्ल्डकप (World Cup-1987)में गावस्कर अलग ही रंग में नजर आए. उन्होंने अपनी जोरदार बैटिंग से साबित किया कि वे न सिर्फ अपने खेल को वनडे शैली के अनुरूप ढाल सकते हैं बल्कि वनडे में शतक भी जड़ सकते हैं. उन्होंने इस वर्ल्डकप के 7 मैचों में एक बार नाबाद रहते हुए 50 के औसत से 300 रन बनाए थे जिसमें एक शतक और दो अर्धशतक शामिल थे. खास बात यह है कि इस दौरान गावस्कर ने 36 चौकों के साथ-साथ चार छक्के भी लगाए थे.
वनडे में कुंबले से बेहतर रहा इस बॉलर का औसत और इकोनॉमी, एक मैच ने खत्म कर दिया करियर
न्यूजीलैंड के खिलाफ मैच में तो उन्होंने 88 गेंदों पर नाबाद 103 रन (स्ट्राइक रेट 117.04) की पारी खेली थी. यह मैच सुनील गावस्कर के शतक के साथ चेतन शर्मा (Chetan Sharma)की हैट्रिक के लिए भी याद रखा जाता है. भारत ने इस मैच में न्यूजीलैंड के 222 के टारगेट को महज एक विकेट खोकर हासिल कर लिया था. इसी मैच में चेतन शर्मा ने लगातार गेंदों पर केन रुदरफोर्ड, इयान स्मिथ और इवान चेटफील्ड को आउट किया था और वर्ल्डकप में हैट्रिक लेने वाले पहले बॉलर बने थे. भारतीय टीम, वर्ल्डकप-1987 के सेमीफाइनल में इंग्लैंड से हार गई थी. बाद में फाइनल में इंग्लैंड को हराकर ऑस्ट्रेलिया चैंपियन बना था.
.
Tags: Cricket news, Cricket world cup, Icc world cup, Sunil gavaskar
FIRST PUBLISHED : September 26, 2023, 11:03 IST