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गजब का जज्बा…14 साल सीखा संगीत, पिता जिद के आगे झुके, बिहार के इस ऑलराउंडर ने रणजी में मचाया धमाल

दीपक कुमार, बांका: क्रिकेटर राघवेंद्र प्रताप सिंह अब किसी परिचय के मोहताज नहीं है. बिहार रणजी टीम के सक्रिय सदस्य भी हैं. बिहार की रणजी टीम भले ही बेहतर प्रदर्शन ना कर पाई हो, लेकिन राघवेंद्र प्रताप सिंह ने आंध्र प्रदेश के विरुद्ध शानदार हरफनमौला प्रदर्शन किया. बल्लेबाजी में दम दिखाने के साथ-साथ गेंदबाजी में भी विकेट चटकाकर शानदार खेल का नमूना पेश किया. रणजी ट्रॉफी में जबरदस्त परफॉर्मेंस कर रहे राघवेंद्र प्रताप की कहानी भी कुछ अलग ही है.

राघवेंद्र के पिता संतोष कुमार बताते हैं कि बचपन से ही वह जिद्दी मिजाज का था. राघवेंद्र ने 9वीं कक्षा तक की पढ़ाई बांका के आरएमके स्कूल से की है. इस दौरान कई बार जिला क्रिकेट टीम के सदस्य रहकर अच्छा प्रदर्शन किया. इसके बाद 2014 में स्कूली गेम, एचजीएफआई, नेशनल गेम, अंडर-19 और अंडर-23 क्रिकेट टीम के भी हिस्सा रहे.

राघवेंद्र ने संगीत के बजाय क्रिकेट को चुना
पिता संतोष कुमार बताते हैं कि राघवेंद्र को पढ़ाई के साथ संगीत और क्रिकेट का दो ऑप्शन दिया गया था जिसमें राघवेंद्र ने संगीत को छोड़ क्रिकेट को चुना था. उन्होंने बताया कि गांव में क्रिकेट का मैच चल रहा था. इसी दौरान मैच खेलने के लिए बाइक से जा रहे थे और जाने के क्रम में राघवेंद्र भी बाइक पर सवार होकर जाने लगे. उस समय राघवेंद्र को क्रिकेट से कोई लगाव नहीं था. अचानक खेलने के दौरान बॉलिंग के एंगल को देख लोग काफी प्रभावित हुए.

उसके बाद चाचा राघवेंद्र को लेकर पटना चले गए. पटना पहुंचते ही राघवेंद्र क्रिकेट खेलने को लेकर जिद करने लगे. तब पूछा गया कि क्रिकेट खेलना है या संगीत सीखना है, क्योंकि क्रिकेट में सफलता मिलेगी इसकी कोई गारंटी नहीं है. राघवेंद्र ने क्रिकेट को ही चुना और पढ़ाई के साथ प्रैक्टिस करना शुरू कर दिया.

राघवेंद्र की सफलता में उनके चाचा का बड़ा योगदान
पिता संतोष कुमार ने बताया कि राघवेंद्र की सफलता में उनके चाचा अनीश कुमार का बड़ा योगदान है. उन्हीं के देखरेख में क्रिकेट की बारीकियां को सीखा. राघवेंद्र के मित्र गुलशन कुमार उर्फ रॉकी ने बताया कि वह बचपन से ही पढ़ाई में तेज था और क्रिकेट से उसका जबरदस्त लगाव था. मैट्रिक परीक्षा के दौरान भी रात को 2 बजे जागकर आईने के शैडो में प्रेक्टिस किया करता था.

राघवेंद्र ने बताया कि 14 साल तक संगीत का रियाज करने के साथ क्रिकेट से भी जुड़ा रहा. 2017 में स्कूली गेम के तहत अंड-16 सिलेक्शन हुआ और मध्य प्रदेश के खिलाफ 30 रन बनाकर नॉट आउट रहे. उन्होंने बताया कि चौथी बार रणजी ट्रॉफी में खेल रहे हैं. इस बार प्रदर्शन भी बेहतर रहा है.

संगीतकार बेटा बन गया क्रिकेटर
पटना के मोइनुल हक स्टेडियम में आंध्र प्रदेश की टीम के साथ मुकाबला हुआ. इस मुकाबले में अकेले राघवेंद्र ने बिहार की इज्जत बचाई. इस हरफनमौला खिलाड़ी ने 92 रन की पारी खेलकर तीन विकेट भी हासिल किया था. राघवेंद्र के पिता संतोष कुमार बांका के शंभूगंज प्रखंड स्थित उच्च विद्यालय शंभूगंज में खेल शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं.

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संतोष कुमार को इस बात की खुशी है कि पुत्र राघवेंद्र ने निर्णय सही लिया और क्रिकेट में अब सफलता हासिल कर रहा है. उन्होंने बताया कि राघवेंद्र को संगीतकार बनाना चाहते थे लेकिन वह अपने जिद से क्रिकेटर बन गया. राघवेंद्र अब तक फर्स्ट क्लास, लिस्ट ए और टी20 में 22 मैच खेले हैं. इसमें 574 रन बनाए हैं. इनका सर्वाधिक स्कोर 92 है और अब तक 15 विकेट झटके हैं. वहीं बेस्ट बॉलिंग फिगर 3/64 है.

Tags: Banka News, Bihar News, Cricket news, Local18, Ranji Trophy

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