Rajasthan
भरतपुर-दौसा में जोरदार बारिश, ओलावृष्टि, अंधड़ ने उखाड़े कई पेड़ Rajasthan News-Jaipur News-Weather Update-Heavy rains-hailstorms in Bharatpur and Dausa-Many trees uprooted


जैसलमेर जिले में स्थित परमाणु नगरी पोकरण में भी बादल बरसे हैं.
Rajasthan Weather Updates: राजस्थान में मौसम में बदलाव का दौर आज तीसरे दिन भी लगातार जारी है. आज भरतपुर और दौसा में जोरदार बारिश (Rain) हुई. वहीं भरतपुर में तेज अंधड़ के कारण कई पेड़ उखड़ गये. दौसा के कई इलाकों में ओलावृष्टि (hailstorm) भी हुई है.
जयपुर. राजस्थान में सक्रिय हो रहा पश्चिमी विक्षोभ (Western disturbance active) अपना असर दिखा रहा है. पश्चिमी विक्षोभ के कारण प्रदेश में मौसम में बदलाव का दौर आज तीसरे दिन भी जारी है. आज दोपहर में पूर्वी राजस्थान के भरतपुर (Bharatpur) में आये मौसम के बदलाव के बाद वहां तेज अंधड़ आया और बारिश हुई. वहीं इसके पास स्थित दौसा (Dausa) जिले के भी कई इलाकों में जोरदार बारिश और ओलावृष्टि हुई. पश्चिमी राजस्थान में जैसलमेर (Jaisalmer) जिले के कुछ इलाके भी बारिश से भीगे. भरतपुर में गत दो-तीन दिन से दोपहर में मौसम में लगातार बदलाव आ रहा है. आज भी दोपहर 2 बजे वहां मौसम ने पलटा खाया. इससे पहले तेज अंधड़ आया और बाद में बारिश का दौर शुरू हो गया. तेज अंधड़ के कारण कई जगह पेड़ भी धराशायी हो गये. बदले मौसम के कारण जिले का बिजली तंत्र भी खासा प्रभावित हुआ है. दौसा जिले में जोरदार बारिश और ओलावृष्टि वहीं भरतपुर के पास स्थित दौसा जिले में भी मौसम ने अंगडाई ली. वहां भी दोपहर में बदले मौसम के कारण जिले के कई इलाकों में जोरदार बारिश हुई. इसके अलावा जिले के रेटा, दुब्बी और कैलाई इलाके में ओलावृष्टि हुई. बारिश और ओलावृष्टि से लोगों को गर्मी की तपिश से काफी राहत मिली है. पश्चिमी राजस्थान में भारत-पाकिस्तान अंतररष्ट्रीय बॉर्डर पर स्थित जैसलमेर जिले के पोकरण इलाके में भी मौसम ने पलटा खाया. इससे परमाणु नगरी पोकरण में बारिश का दौर चला. बारिश के कारण वहां तापमान में गिरावट दर्ज की गई है.मंगलवार को जयपुर और चूरू में बरसे थे बादल उल्लेखनीय है कि इससे पहले मंगलवार को भी प्रदेश के विभिन्न इलाकों में मौसम ने कई रूप दिखाये थे. राजधानी जयपुर और चूरू समेत कई इलाकों में रेतीला तूफान आया था. उसके बाद जयपुर और चूरू समेत कई इलाकों में अच्छी बारिश हु. चूरू में तो बारिश के रूक-रूककर दो-तीन दौर चले थे. इससे मौसम में ठंडक घुल गई थी.