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एक्सीडेंट से टूटा शरीर, लेकिन हौसला नहीं! हादसे के बाद भी LIC एजेंट ने नहीं मानी हार, अब लिखी सफलता की कहानी

Last Updated:March 13, 2025, 14:19 IST

Inspiration Story: कजोड़ मल, जयपुर के बाघावास गांव के निवासी, ने सड़क दुर्घटना के बाद पैरालिसिस के बावजूद हार नहीं मानी. उन्होंने कार में जुगाड़ कर हाथ से कंट्रोल किया और फिर से एलआईसी एजेंट के रूप में काम शुरू…और पढ़ेंX
जुगाड़
जुगाड़ लगाकर चलने लायक गाड़ी बनाई 

हाइलाइट्स

कजोड़ मल ने पैरालिसिस के बावजूद हार नहीं मानी.उन्होंने कार में जुगाड़ कर हाथ से कंट्रोल किया.फिर से एलआईसी एजेंट के रूप में काम शुरू किया.

काजल मनोहर/जयपुर. कहते हैं कि अगर इंसान में कुछ कर गुजरने की सच्ची चाहत हो, तो वह किसी भी मुश्किल हालात को मात देकर अपनी मंज़िल हासिल कर ही लेता है. जयपुर जिले के बाघावास गांव के कजोड़ मल की कहानी इसी जज़्बे की मिसाल है. कमर के नीचे का शरीर काम न करने के बावजूद वे कार चलाकर अपने काम पर जाते हैं. एक सड़क दुर्घटना के बाद जब उनका आधा शरीर पैरालिसिस का शिकार हो गया, तब भी उन्होंने हार मानने के बजाय हिम्मत और मेहनत से अपनी ज़िंदगी को नए सिरे से खड़ा किया.

बाघावास गांव के कजोड़ मल ने बताया कि वे 1994 से एलआईसी एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं. 2016 से पहले उनकी ज़िंदगी बेहद सामान्य और खुशहाल थी. परिवार के सभी सदस्यों की जिम्मेदारी उनके कंधों पर थी, और वे अकेले अपने परिवार की आजीविका चला रहे थे. लेकिन, 2016 में उनकी ज़िंदगी ने एक बड़ा मोड़ लिया. एलआईसी के काम से जयपुर जाते समय उनका भयानक सड़क हादसा हो गया. इस एक्सीडेंट में उनकी कार पूरी तरह चकनाचूर हो गई थी, और इस दुर्घटना ने उनकी ज़िंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया.

महीनों तक लड़ी लंबी जंग इस भीषण हादसे में कार का आगे का हिस्सा पूरी तरह पिचक गया था, और कजोड़ मल बुरी तरह गाड़ी के अंदर फंस गए थे. स्थानीय लोगों ने कड़ी मशक्कत के बाद उन्हें बाहर निकाला और गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचाया. उनकी हालत इतनी नाजुक थी कि डॉक्टर भी हैरान रह गए और किसी भी पल उनके बचने की उम्मीद खत्म होती दिख रही थी. लेकिन कहते हैं न, ईश्वर को जो मंजूर होता है, वही होता है. कई महीनों के लंबे इलाज के बाद कजोड़ मल को होश तो आ गया, लेकिन कमर के नीचे का हिस्सा पूरी तरह पैरालिसिस हो चुका था.

परिस्थितियों के सामने नहीं मानी हारकरीब 6 महीने के इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी मिलने पर उनका बेटा और पत्नी उन्हें घर लेकर आ गए. इसके बाद लगभग डेढ़ साल तक कजोड़ मल घर पर ही रहे, लेकिन इस दौरान कमाई का कोई साधन न होने के कारण घर कर्ज में डूब गया. कठिन परिस्थितियों में रिश्तेदारों ने भी दूरी बना ली. ऐसे में कजोड़ मल ने हार मानने के बजाय दोबारा काम शुरू करने का फैसला किया. उन्होंने अपने दोस्त को बुलाया और उसी गाड़ी को ठीक कराने की बात कही, जिससे उनका एक्सीडेंट हुआ था. परिवार ने इस फैसले का विरोध किया, लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी. उनके दोस्त ने गाड़ी को ठीक कर दिया, और कजोड़ मल ने हिम्मत के साथ एक नई शुरुआत की.

जुगाड़ लगाकर चलने लायक बनाई गाड़ी

गाड़ी तो ठीक हो गई, लेकिन कजोड़ मल के कमर के नीचे का हिस्सा काम करना बंद कर चुका था. इस वजह से वे ब्रेक, एक्सीलेटर और क्लच को पैर से नियंत्रित नहीं कर सकते थे. लेकिन, उन्होंने हार मानने के बजाय एक अनोखा जुगाड़ करवाया, जिससे ये सभी कंट्रोल हाथ से ऑपरेट हो सकें. इस नई व्यवस्था के साथ वे दोबारा अपने काम पर लौट आए. पिछले तीन-चार सालों से वे फिर से एलआईसी एजेंट के रूप में सक्रिय हैं. अपनी मेहनत और जज्बे की बदौलत उन्होंने अपने बेटे को दूसरे राज्य में डॉक्टरेट की पढ़ाई के लिए भेजा है. उनके घर की आर्थिक स्थिति भी अब काफी बेहतर हो गई है. यह सब उनकी कभी न हार मानने वाली सोच और संघर्ष का नतीजा है.


Location :

Jaipur,Rajasthan

First Published :

March 13, 2025, 14:19 IST

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हादसे के बाद भी LIC एजेंट ने नहीं मानी हार, कार चलाकर कमा रहे हैं रोजी-रोटी

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