लो मिल गई सरस्वती नदी! इस रास्ते से होकर है गुजरती, सदियों पहले ही सभ्यताओं ने बता दिया था रास्ता

Last Updated:May 22, 2025, 11:12 IST
श्रीगंगानगर में पौराणिक सरस्वती नदी का रहस्य जल्द उजागर होगा! राजस्थान सरकार ने हरियाणा के साथ मिलकर वैज्ञानिक खोज शुरू की है. वेदों में वर्णित नदी के प्रवाह मार्ग के साक्ष्य मिले हैं. भूगर्भीय रडार और हाइड्रोल…और पढ़ें
रिसर्चर्स लुप्त हो चुकी सरस्वती नदी के मार्ग को ढूंढने की कोशिश में जुटे हुए हैं (इमेज- फाइल फोटो)
राजस्थान के श्रीगंगानगर में रेत के नीचे दबी उस पौराणिक सरस्वती नदी का राज अब जल्द ही सामने आने वाला है, जिसका उल्लेख वेदों में एक पवित्र और जीवनदायिनी नदी के रूप में किया गया है. राजस्थान सरकार ने हरियाणा की तर्ज पर सरस्वती नदी के अस्तित्व और उसके प्रवाह मार्ग को खोजने के लिए वैज्ञानिक स्तर पर एक बड़ा कदम उठाया है. यह पहल न केवल ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रखती है बल्कि यह क्षेत्र की जल संकट की समस्या को हल करने में भी महत्वपूर्ण साबित हो सकती है. वैज्ञानिकों का मानना है कि सरस्वती नदी का प्रवाह आज भी भूमिगत रूप से राजस्थान और हरियाणा के कुछ हिस्सों में मौजूद है.
वैज्ञानिक खोज और सरस्वती नदी का महत्वसरस्वती नदी, जिसका उल्लेख ऋग्वेद और अन्य वैदिक ग्रंथों में मिलता है, भारतीय उपमहाद्वीप की एक प्राचीन नदी मानी जाती है. यह नदी कभी हिमालय से निकलकर पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी राजस्थान और गुजरात के रास्ते कच्छ की खाड़ी में अरब सागर तक बहती थी. हाल के दशकों में वैज्ञानिकों ने भूगर्भीय रडार और हाइड्रोलॉजिकल उपकरणों के माध्यम से इस नदी के भूमिगत प्रवाह के साक्ष्य खोजे हैं. श्रीगंगानगर, जो पश्चिमी राजस्थान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, सरस्वती नदी के प्राचीन प्रवाह मार्ग का हिस्सा माना जाता है. हाल ही में जैसलमेर के मोहनगढ़ में बोरवेल खोदते समय अचानक पानी की धारा निकलने की घटना ने इस क्षेत्र में सरस्वती नदी की चर्चा को फिर से जीवित कर दिया.
राजस्थान और हरियाणा का संयुक्त प्रयास30 अप्रैल 2025 को राजस्थान और हरियाणा के अधिकारियों ने जयपुर में वैज्ञानिकों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की, जिसमें सरस्वती नदी के पुनर्जनन की योजना पर चर्चा हुई. इस बैठक में राजस्थान के जल संसाधन मंत्री सुरेश रावत, हरियाणा सरस्वती हेरिटेज बोर्ड के उपाध्यक्ष धूमन सिंह किरमिच और रिमोट सेंसिंग विभाग के प्रमुख महावीर पूनिया शामिल थे. इस दौरान यह निर्णय लिया गया कि इसरो और डेनमार्क के विशेषज्ञों की मदद से सरस्वती नदी के प्राचीन पेलियो चैनल को मैप किया जाएगा. डेनमार्क ने पहले ही राजस्थान इन्वेस्टमेंट समिट में जल संसाधन विभाग के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किया है, जिसमें सरस्वती के पेलियो चैनलों के वैज्ञानिक पुनर्जनन के लिए समर्थन देने का वादा किया गया है.
श्रीगंगानगर में खोज की प्रगतिश्रीगंगानगर में सरस्वती नदी के प्रवाह मार्ग की खोज के लिए भूगर्भीय और हाइड्रोलॉजिकल अध्ययन शुरू हो चुके हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि इस क्षेत्र में भूमिगत जलधारा के साक्ष्य पहले से मौजूद हैं और अब आधुनिक तकनीकों जैसे भूगर्भीय रडार और सैटेलाइट इमेजरी की मदद से इसके सटीक मार्ग का पता लगाया जा रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि सरस्वती नदी का पुनर्जनन न केवल क्षेत्र के जल संसाधनों को बढ़ाएगा बल्कि यह पर्यटन और धार्मिक महत्व के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण होगा.
जैसलमेर की घटना और सामाजिक चर्चापिछले साल दिसंबर 2024 में जैसलमेर के मोहनगढ़ में बोरवेल खोदते समय जमीन से अचानक पानी की धारा निकलने की घटना ने पूरे देश का ध्यान खींचा था. कुछ स्थानीय लोगों और विश्व हिंदू परिषद (VHP) के कार्यकर्ताओं ने इसे सरस्वती नदी का पुनर्जनन बताया था. हालांकि, वरिष्ठ भूजल वैज्ञानिक डॉ. नारायण दास इंखिया ने इसे “आर्टेसियन कंडीशन” के कारण होने वाली घटना बताया और सरस्वती नदी से सीधा संबंध होने से इनकार किया. फिर भी, इस घटना ने श्रीगंगानगर और आसपास के क्षेत्रों में सरस्वती नदी की खोज को और प्रोत्साहन दिया.
आगे की राहराजस्थान सरकार ने एक विशेष सामाजिक सेल स्थापित करने का निर्णय लिया है, जो सरस्वती नदी के पुनर्जनन के बारे में जागरूकता फैलाएगा और इस प्रक्रिया को तेज करेगा. वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि सरस्वती नदी के प्रवाह मार्ग को सफलतापूर्वक पुनर्जनन किया गया तो यह श्रीगंगानगर और आसपास के क्षेत्रों के लिए जल संकट का एक स्थायी समाधान हो सकता है. साथ ही यह वैदिक इतिहास और हड़प्पा सभ्यता के अध्ययन में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा. यह खोज न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को भी सामने लाएगी. श्रीगंगानगर में सरस्वती नदी का रहस्य जल्द ही उजागर होने की उम्मीद है और इसके परिणाम पूरे देश के लिए गौरव का विषय होंगे.
Sandhya Kumari
न्यूज 18 में बतौर सीनियर सब एडिटर काम कर रही हूं. रीजनल सेक्शन के तहत राज्यों में हो रही उन घटनाओं से आपको रूबरू करवाना मकसद है, जिसे सोशल मीडिया पर पसंद किया जा रहा है. ताकि कोई वायरल कंटेंट आपसे छूट ना जाए.
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