Feet dancing to beat of Chang Jodhpur traditional Gair dance holi

Last Updated:March 11, 2025, 19:28 IST
मारवाड़ क्षेत्र के पुरुष गोल घेरे में नृत्य करते हैं, वह गैर नृत्य कहलाता है. गैर नृत्य करने वालों को गैरिया कहते हैं. गैर नृत्य करने वाले सफेद धोती, सफेद अंगरखी, सिर पर लाल, गुलाबी, केसरिया रंगबी रंगी की पगड़ी …और पढ़ेंX
राजस्थानी गैर नृत्य
हाइलाइट्स
जोधपुर में होली पर गैर नृत्य की परंपरा जीवित है.पुरुष सफेद वस्त्र पहनकर गोल घेरे में नृत्य करते हैं.चंग की थाप पर होली के गीत गाए जाते हैं.
जोधपुर:- राजस्थान की परपंरा और यहां की संस्कृति है ही इतनी प्यारी कि देश-विदेश में बैठे पर्यटक भी इससे खासे प्रभावित होते हैं. ऐसे में जब होली का पर्व है, तो चंग की धमाल न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता. चंग की धमक के साथ सफेद वस्त्रों में राजस्थानी अंदाज के साथ जिस तरह से नृत्य की परपंरा है, इसको आज भी जोधपुर में निभाया जा रहा है.
इस परंपरा के तहत मारवाड़ क्षेत्र के पुरुष गोल घेरे में नृत्य करते हैं, वह गैर नृत्य कहलाता है. गैर नृत्य करने वालों को गैरिया कहते हैं. गैर नृत्य करने वाले सफेद धोती, सफेद अंगरखी, सिर पर लाल, गुलाबी, केसरिया रंगबी रंगी की पगड़ी पहनते हैं, पैरों में घुंघरू बांधते हैं.
चंग की थाप पर होली के गीतजोधपुर के ग्रामीण क्षेत्र चाली गांव में यह गैर नृत्य केवल पुरुषों के द्वारा किया जाता है. फाल्गुन माह शुरू होते ही चंग की धमाल सुनाई देने लगती है. जगह-जगह पर चंग की थाप पर होली के गीत सुनाई देते हैं. अनेक चंगवादक अभी से चंग मढ़ाने व गायन के क्षेत्र में उपयोग होने वाले अन्य वाद्य यंत्रों की सार-संभाल करने लगे हैं.
होली का पर्व जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे वातावरण फाल्गुनी रंग में रंगता जा रहा है. जोधपुर के ग्रामीण इलाकों में भी गैर नृत्य के साथ फाल्गुनी माह की शुरुआत हो चुकी है. हर कोई गली मोहल्ले में गैर नृत्य करते हुए नजर आ रहे हैं. जोधपुर के कई पुरानी परंपरा को चाली गांव में आज भी जीवित रखा गया है.
ऐसे करते हैं गैर नृत्यढोल की थाप पर गैर नृत्य के नजारे फागुन मास में देखने को मिलता है. ग्रामीण अंचलों से आए गैरी एक-दूसरे के साथ फाग गीत गाते हैं. चंग की थाप बजने से उठते सूरों के साथ कदम से कदम मिलाकर ऐसा नृत्य करते हैं कि जिसे देखकर शहरवासियों के कदम थम जाते हैं. मारवाड़ क्षेत्र के पुरुष गोल घेरे में जो नृत्य करते हैं, वह गैर नृत्य कहलाता है. गैर नृत्य करने वालों को गैरिया कहते हैं. गैर नृत्य करने वाले सफेद धोती, सफेद अंगरखी, सिर पर लाल, गुलाबी, केसरिया रंगबी रंगी की पगड़ी पहनते हैं. पैरों में घुंघरू बांधते हैं. जोधपुर के ग्रामीण क्षेत्र के चलीका यह गैर नृत्य केवल पुरुषों के द्वारा किया जाता हैं.
गांव-शहर, दोनों जगह पर क्रेजहोली पर चंग बजाने की परंपरा बरसों पुरानी है. गांवों में चौराहा व गवाड में लोग एकत्र होकर चंग बजाते हैं और उसके साथ फाग गाते हैं. शहरों में हथाइयों और गली के नुक्कड़ पर चंग बजाते देखा जा सकता है. निर्माता बताते हैं कि चंग शहरी व ग्रामीण दोनों क्षेत्र के लोग खरीद रहे हैं. सभी में इस बार होली का क्रेज है. जोधपुर के ग्रामीण इलाकों में कई जगह पर एक डंडे की सहायता से चंग बजाया जाता है. इसके लिए गोल चंग को रस्सी के सहारे बांधकर कंधे पर लटकाया जाता है, जबकि कुछ जगहों पर हाथ की थाप और मोर के पंख की चिपटी बनाकर चंग बजाया जाता है.
Location :
Jodhpur,Rajasthan
First Published :
March 11, 2025, 19:28 IST
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सफेद अंगरखी और लाल पगड़ी…चंग की थाप पर फिर थिरकेंगे जोधपुरवासी, होली पर जश्न