ये है करोड़पतियों का गांव, करोड़ों में टैक्स भरते हैं यहां के लोग, हर घर में है बेशुमार दौलत, कैसे होती है कमाई – india richest Wealthiest Village in bikaner rajasthan villagers paying 10000 Crore tax unbelievably know Reason Behind Its Prosperity bizarre news

बीकानेर. राजस्थान के बीकानेर जिले के नोखा ब्लॉक में स्थित रासीसर गांव विकास की अनूठी कहानी बयां कर रहा है. यह गांव पूरे राजस्थान में विकास और समृद्धि की मिसाल बन चुका है. प्रदेश के कई जिलों से ज्यादा राजस्व इस गांव से आता है. गांव के निवासी सालाना दस करोड़ का टैक्स भरते हैं. यह गांव आज से 20 साल पहले खेती पर निर्भर था लेकिन अब ट्रांसपोर्ट हब बन गया है. गांव के हर घर के सामने ट्रक-बस या कोई अन्य कॉमर्शियल वाहन खड़ा दिखाई देता है.
रासीसर गांव की आबादी 15 हजार से ज्यादा है. गांव में दो ग्राम पंचायतें हैं : रासीसर पुरोहितान और रासीसर बड़ा बास. दो सरपंच भी हैं. गांव में कई ऐसे परिवार हैं जिनके पास 200-300 वाहन हैं. 1500 ट्रक-ट्राले और सैकड़ों बसें गांव में हैं. प्रशासन को नोखा में अलग से डीटीओ ऑफिस खोल दिया है. नोखा डीटीओ ऑफिस का राजस्व वसूली का सालाना टारगेट 50 करोड़ रुपये के आसपास है. गांव के गलियों, खेतों में बस-ट्रक नजर आते हैं. छोटे बड़े वाहन पांच हजार से ज्यादा हैं. ट्रांसपोर्ट वाहनों की संख्या ज्यादा है. 2000 से ज्यादा दोपहिया वाहन हैं.
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गांव में पक्के और आलीशान मकानों की संख्या बहुत ज्यादा है. इतना ही नहीं, दुकानें, फैक्ट्रियां और अन्य व्यवसाय भी गांव के लोगों ने शुरू किए हैं. गांव के नौकरी करने से ज्यादा बिजनेस को महत्व देते हैं और खुद का व्यवसाय करते हैं. रासीगर गांव अब एजुकेशन का केंद्र बन चुका है. पहले जहां केवल दो स्कूल थे, वहीं अब 10 से ज्यादा गांव में मौजूद हैं. यहां के युवा अब प्रतियोगी परीक्षाओं में परचम लहरा रहे हैं. आईपीएस, इंजीनियर डॉक्टर बन रहे हैं. गांव के ट्रांसपोर्ट व्यवसायी राम गोपाल मंडा ने बताया कि प्रेम सुख डेलू गुजरात कैडर में आईपीएस, राधेश्याम डेलू आरएएस, राजेंद्र गोदारा, सुरेंद्र गोदारा, राम किशन गोदारा तथा मदन गोदारा सीआई की पोस्ट पर हैं.
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गांव के वरिष्ठ अधिवक्ता हनुमान सिंह राजपुरोहित का कहना है कि पिछले 20 सालों में गांव की तस्वीर पूरी तरह बदल गई है. ट्रांसपोर्ट के कारोबार ने गांव की सूरत ही बदल दी है. आर्थिक रूप से सक्षम होने की वजह से यहां के लोग लग्जरी लाइफ जी रहे हैं. रासीसर पूरे देश में अपनी पहचान बना चुका है. मेहनत, व्यवसायिक सोच और एकता ने विकास की नई इबारत लिखी है.
रासीसर गांव के लोगों का नेटवर्क पूरे देश में फैला हुआ है. गांव के लोग गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से सीधे संपर्क में रहते हैं. गांव में राजपुरोहित, ब्राह्मण, जाट, बिश्नोई, सुथार, लुहार, नाई, सोनी, जैन, कुम्हार और अन्य समाज के भाईचारे और एकता के साथ रहते हैं.
गांव के हर कोने में दिखती है संपन्नता की झलकरासीसर गांव को करोड़पति का गांव कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. यहां सपन्नता की झलक हर कोने में देखने को मिलती है. बिजली, पानी, चिकित्सा, सड़क की मूलभूत सुविधाएं गांव में उपलब्ध हैं.
1978 में मंडा परिवार ने शुरू किया था ट्रांसपोर्ट बिजनेसगांव के लोग बताते हैं मंडा परिवार ने सबसे पहले 1978 में ट्रांसपोर्ट बिजनेस की शुरुआत की थी. उन्होंने एक ट्रक खरीदा था. आज मंडा परिवार के पास 100 ट्रक-ट्रेलर और 25 बसें से ज्यादा बसें हैं. आज पूरा गांव ट्रांसपोर्ट के बिजनेस में है और अपनी तरक्की की कहानी खुद से लिख रहा है.