Rajasthan

Varuthini Ekadashi will be celebrated on 4th May in Indra Yoga and Vaidhriti Yoga, chant this mantra, luck will shine. – हिंदी

जोधपुर. वैशाख माह के कृष्ण पक्ष में वरुथिनी एकादशी मनाई जाती है. हिंदू धर्म में एकादशी पर्व का विशेष महत्व है. ऐसे में इस साल 4 मई को है. पौराणिक मान्यता है कि वरुथिनी एकादशी की धार्मिक महत्व खुद भगवान कृष्ण ने अर्जुन को बताया था. इस व्रत को यदि विधि-विधान से किया जाता है तो जातक को सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने लोकल 18 से बताया कि वरुथिनी एकादशी वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कहते हैं.

यह भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए शुभ अवसर माना जाता है. वैशाख मास भगवान विष्णु और उनके अवतारों की पूजा के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इसलिए इस मास में पड़ने वाली एकादशी का महत्व भी बहुत खास होता है. मान्यता है कि धन की कमी को पूरा करने के लिए वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से बहुत लाभ होता है. वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के वराह स्वरूप की पूजा की जाती है.

इस व्रत को करने से व्रती को जीवन में कभी धन की कमी नहीं होती है. कर्ज से मुक्ति मिलती है और परिवार में संपन्नता आती है. वरुथिनी एकादशी पर श्री हरि की पूजा होती है. ऐसा माना जाता है कि जो भक्त इस उपवास को रखते हैं उन्हें नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा मिलती है.

वरुथिनी एकादशी पर त्रिपुष्कर योग बनेगाज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि वरुथिनी एकादशी के दिन त्रिपुष्कर योग, इंद्र योग और वैधृति योग होगा। त्रिपुष्कर योग रात में 08:38 मिनट से बनेगा, जो 10:07 मिनट तक रहेगा. वहीं इंद्र योग प्रात:काल से सुबह 11:04 मिनट तक है, उसके बाद वैधृति योग बनेगा. उस दिन पूर्व भाद्रपद नक्षत्र सुबह से रात 10:07 मिनट तक रहेगा. उसके बाद उत्तर भाद्रपद नक्षत्र होगा. हालांकि वरुथिनी एकादशी को पूरे दिन पंचक लगा हुआ है.

इस दिन चावल का नहीं करे सेवनडा. अनीष व्यास ने बताया कि एकादशी के दिन मांस मदिरा के अलावा अन्य किसी भी प्रकार की नशीली एवं तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए. साथ ही एकादशी के दिन चावल का सेवन वर्जित माना गया है, इसलिए इस दिन यदि व्रत नहीं भी रखा तो भी चावल का सेवन न करें . इस दिन क्रोध करने से बचें. साथ ही किसी के लिए भी अपशब्दों का प्रयोग न करें. इसके अलावा एकादशी तिथि पर पूरी तरह से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.

पौराणिक महत्वडा. अनीष व्यास ने बताया कि धार्मिक मान्यता है कि वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ धन की देवी माता लक्ष्मी की भी पूजा करना चाहिए. वरुथिनी एकादशी के महत्व के बारे में खुद भगवान कृष्ण ने अर्जुन को बताया था. इस व्रत को करने से कन्यादान के समान पुण्य मिलता है. पौराणिक मान्यता है कि राजा मान्धाता को वरुथिनी एकादशी व्रत करके ही स्वर्ग की प्राप्ति हुई थी.

इस मंत्र का करे जाप.अगर आप प्रतिदिन मंत्र ना पढ़ सकें तो कम से कम किसी खास अवसर, जैसे एकादशी या बृहस्पतिवार के दिन भगवान श्रीहरि का स्मरण करके उनके मंत्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करने मात्र से मनुष्य की किस्मत से चमकती है.

Tags: Dharma Aastha, Local18, Rajasthan news, Religion 18

FIRST PUBLISHED : May 2, 2024, 08:48 IST

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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