मचान विधि से लौकी, ककड़ी, करेला की खेती में मुनाफा बढ़ाएं

Last Updated:November 05, 2025, 15:19 IST
बदलते दौर में खेती तेजी से आधुनिक हो रही है, किसान पारंपरिक तरीकों से आगे बढ़कर नई तकनीकों को अपना रहे हैं, जिससे कम मेहनत और कम लागत में अधिक मुनाफा हो रहा है. मचान विधि बेलदार सब्जियों जैसे लौकी, ककड़ी, करेला और तोरी की खेती के लिए बहुत उपयोगी है. इस तकनीक में पौधों को जमीन पर फैलने देने के बजाय मचान या तारों पर चढ़ाया जाता है, जिससे उन्हें पर्याप्त धूप और हवा मिलती है, फल बड़े और गुणवत्तापूर्ण होते हैं और उत्पादन लगभग दोगुना हो जाता है.
बदलते दौर में खेती अब तेजी से आधुनिक हो रही है। किसान पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर नई तकनीकों को अपना रहे हैं, जिससे उन्हें कम मेहनत और कम लागत में अधिक मुनाफा मिल रहा है. आधुनिक खेती के तरीकों से न केवल उत्पादन बढ़ रहा है, बल्कि फसलों की गुणवत्ता भी बेहतर हो रही है. इसी में बेलदार फसलों के लिए मचान विधि किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है, इस आधुनिक तकनीक को अपनाकर किसान लाखों रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं.

एग्रीकल्चर एक्सपर्ट दिनेश जाखड़ के अनुसार, मचान विधि बेलदार सब्जियों जैसे लौकी, ककड़ी, करेला और तोरी की खेती के लिए बहुत उपयोगी है. इस तकनीक में पौधों को जमीन पर फैलने देने के बजाय ऊपर बने मचान या तारों के सहारे चढ़ाया जाता है. इससे पौधों को पर्याप्त हवा और धूप मिलती है, फल बड़े आकार के होते हैं और उत्पादन पारंपरिक खेती की तुलना में लगभग दोगुना हो जाता है.

इस विधि का सबसे बड़ा फायदा यह है कि जमीन की बचत होती है। इस विधि को अपनाकर कम जमीन में भी किसान अधिक पौधे लगा सकते हैं. एग्रीकल्चर एक्सपर्ट दिनेश जाखड़ ने बताया कि बेलदार फसलें जब जमीन से ऊपर रहती हैं, तो उन पर कीट और बीमारियों का प्रकोप भी कम होता है. मचान पर लटकने वाले फलों को भरपूर धूप और हवा मिलती है, जिससे उनका स्वाद, रंग और आकार बेहतर होता है, इससे किसान को बाजार में सब्जियों के दाम अधिक मिलते हैं.

आपको बता दें कि लौकी, ककड़ी, करेला और तोरी की पारंपरिक खेती में बेलदार फसलें जमीन पर फैल जाती हैं, जिससे खरपतवार और कीट नियंत्रण के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है. वहीं, मचान विधि अपनाने पर किसानों की मेहनत काफी कम हो जाती है क्योंकि पौधे ऊपर होने से देखभाल, सिंचाई और छिड़काव आसान हो जाता है. इससे न केवल समय की बचत होती है, बल्कि फसल की निगरानी भी सही ढंग से की जा सकती है.

सीकर के प्रहलाद शर्मा ने बताया कि वे मचान विधि से लौकी की खेती कर लाखों रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं. उनके अनुसार, यह विधि पारंपरिक खेती की तुलना में काफी अधिक उत्पादक और टिकाऊ है. उन्होंने बताया कि इस तकनीक को अपनाने से मिट्टी की नमी लंबे समय तक बनी रहती है और फसल की गुणवत्ता में भी सुधार आता है.

किसान ने बताया कि मचान विधि अपनाने वाले किसानों को रासायनिक खाद की जगह प्राकृतिक खाद और कीटनाशक का उपयोग करना चाहिए. रसोई का कचरा, सूखे पत्ते, गोबर और पानी मिलाकर किसान आसानी से कंपोस्ट खाद तैयार कर सकते हैं. यह खाद मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती है और फसलों को पोषण देती है, प्राकृतिक खाद का उपयोग फसल को जैविक और सुरक्षित बनाता है.

कीट नियंत्रण के लिए नीम की पत्तियों या नीम तेल का प्रयोग सबसे असरदार उपाय है. इसे पानी में मिलाकर छिड़कने से फसल पर कीटों का प्रकोप कम होता है. चूंकि मचान विधि में बेलदार पौधे खुले वातावरण में रहते हैं, इसलिए यह प्राकृतिक तरीका बहुत उपयोगी होता है।.इस तरह, मचान विधि न केवल उत्पादन बढ़ाने का कारगर तरीका है, बल्कि कम मेहनत में लाखों रुपए की कमाई करने का आसान तरीका भी है.
First Published :
November 05, 2025, 15:19 IST
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जानिए मचान विधि से लौकी, ककड़ी, करेला की खेती में कैसे बढ़ाएं मुनाफा



