भारत का पहला क्रिकेटर जो मैच फिक्सिंग के लिए किया गया बैन, फिर जुड़ते गए टीम इंडिया के बड़े-बड़े नाम…
Match Fixing in Cricket: 7 अप्रैल 2000. दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच के ईश्वर सिंह ने खुलासा किया कि उनके पास दक्षिण अफ्रीकी कप्तान हैंसी क्रोन्ये और फिक्सिंग कराने वाले बुकी संजीव चावला की बातचीत की रिकॉर्डिंग है. जैसा कि अक्सर होता है, 24 घंटे के भीतर दक्षिण अफ्रीका ने बयान जारी किया कि उसका कोई भी खिलाड़ी मैच फिक्सिंग में शामिल नहीं है. लेकिन तीन दिन के भीतर हैंसी क्रोन्ये से इस्तीफा ले लिया गया. जंगल में आग लग चुकी थी और धीरे-धीरे कई दिग्गज इसकी चपेट में आए. 28 अप्रैल को भारत सरकार ने सीबीआई को जांच सौंप दी. उधर, अफ्रीकी बोर्ड ने मई में जांच कमेटी बनाई. हर्शेल गिब्स, निकी बोए भी अब चपेट में थे. 15 जून को क्रोन्ये ने इस क्रम में पहली बार किसी भारतीय क्रिकेटर का नाम लिया. क्रोन्ये ने कहा कि उसे बुकी मुकेश गुप्ता से पहली बार मोहम्मद अजहरुद्दीन ने मिलवाया था.
इस तरह अप्रैल में बोतल से बाहर आए मैच फिक्सिंग के जिन ने भारतीय क्रिकेट को हिलाकर रख दिया. जिस कलाई के जादूगर को भारतीय फैंस ‘वंडर बॉय’ कहकर बुलाते थे, वह कथित तौर पर फिक्स कर रहा था. लोग सड़कों पर उतर आए और अजहर के पुतले जलाए गए. इस बीच 20 जुलाई 2000 को सीबीआई ने अजहर, अजय जडेजा, नयन मोंगिया, निखिल चोपड़ा के घर पर छापा मारा. इनमें से किसी के घर से कोई संदिग्ध चीज नहीं मिली; लेकिन सीबीआई ने दावा किया कि अजहर ने मैच फिक्सिंग की बात कबूल की है. हालांकि, अजहर ने इस दावे को गलत करार दिया.
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31 अक्टूबर 2000 को सीबीआई ने अपना बयान जारी किया. इसमें दावा किया गया कि तत्कालीन कप्तान अजहरुद्दीन ने मैच फिक्स करने में अजय जडेजा और नयन मोंगिया की मदद ली. 27 नवंबर 2000 को बीसीसीआई ने अजहर, अजय जडेजा, मनोज प्रभाकर, अजय शर्मा और टीम के पूर्व फिजियो अली ईरानी को फिक्सिंग का दोषी माना. पांच दिसंबर को अजहर और अजय शर्मा पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया गया. अजय जडेजा पर 5 साल तक किसी भी तरह की क्रिकेटिंग एक्टिविटीज में शामिल होने पर बैन लगा दिया गया. मनोज प्रभाकर और अली ईरानी पर भी पांच साल का बैन लगा, जिसमें मुताबिक वे बोर्ड में किसी पोस्ट पर नहीं रह सकते थे.
यह पहला मौका था जब भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने अपने किसी खिलाड़ी पर फिक्सिंग मामले में प्रतिबंध लगाया था. हालांकि, इनमें से किसी भी क्रिकेटर पर अब कोई बैन नहीं है. अजय जडेजा पर लगा बैन 2003 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हट गया. अजहर ने 2012 में सुप्रीम कोर्ट में केस जीतकर बैन खत्म करा लिया. बीसीसीआई ने दो साल बाद अजय शर्मा पर लगा बैन भी हटा लिया था.
1990 में ही शुरू हो गई थी कोशिशसाल 2000 में सामने आए केस के बाद भी कई क्रिकेटर फिक्सिंग की चपेट में आए. सीबीआई की जांच में तो यह भी सामने आया था कि 1990 में ही फिक्सिंग भारतीय क्रिकेट में एंट्री ले चुका था. 1990 के फिक्सिंग मामले की कहानी फिर कभी…
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FIRST PUBLISHED : October 7, 2024, 07:53 IST