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Podcast: IPL के बीच में वॉर्नर को कप्तानी से हटाना कितना सही फैसला? क्या बदलेगी SRH की किस्मत?

IPL 2021: सनराइजर्स हैदराबाद ने डेविड वॉर्नर (David Warner) को कप्तानी से हटा दिया है. उनकी जगह केन विलियम्सन को कमान थमा दी गई है. लेकिन क्या कप्तान बदलने से किसी टीम की किस्मत बदल सकती है. इस बारे में आईपीएल का इतिहास क्या कहता है. न्यूज18 के पॉडकास्ट ‘सुनो दिल से’ (Suno Dil Se) में संजय बैनर्जी इन्हीं सवालों के जवाब ढूंढ़ रहे हैं.


नई दिल्ली. सनराइजर्स हैदराबाद ने ऑस्ट्रेलिया के डेविड वॉर्नर (David Warner) को कप्तानी से हटा दिया है. उनकी जगह न्यूजीलैंड के केन विलियम्सन (Kane Williamson) को कमान थमा दी गई है. क्या बीच आईपीएल में कप्तान बदलने से किसी टीम की किस्मत बदल सकती है. क्या वॉर्नर को हटाने का फैसला सही है. बीच टूर्नामेंट में कप्तान बदलने के बारे में आईपीएल का इतिहास क्या कहता है. न्यूज18 के पॉडकास्ट ‘सुनो दिल से’ (Suno Dil Se) में संजय बैनर्जी इन्हीं सवालों के जवाब ढूंढ़ रहे हैं.

आईपीएल में बीच सीजन कप्तान बदलने का सिलसिला कोई नया नहीं है. जबसे आईपीएल की शुरुआत हुई है, तब से ऐसा होता आ रहा है. हैरत की बात यह है कि सिर्फ इक्का-दुक्का मौकों को छोड़ दें तो इससे किसी टीम को कोई फायदा भी नहीं हुआ. ज्यादातर टीमों ने जब बीच सीजन अपना कप्तान बदला तो उनके प्रदर्शन में तुरंत कोई सुधार नहीं दिखा. टीम प्रबंधन की दखलअंदाजी, कप्तान बदलना कभी पॉजिटिव रिजल्ट नहीं दे पाया है.

किसी भी खेल में आप खिलाड़ियों को दबाव में रखकर नहीं, उनका भरोसा जीतकर ही अच्छा प्रदर्शन करवा सकते हैं. कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की चेन्नई सुपर किंग्स और रोहित शर्मा की मुंबई इंडियंस का प्रदर्शन इसके गवाह हैं. यहां टीम मैनेजमेंट का काम कप्तान और खिलाड़ियों का सपोर्ट करना है, उन पर रूल करना नहीं.

पिछले सीजन सबने देखा कि पंजाब किंग्स में टीम मैनेजमेंट की दखलअंदाजी ने उसका क्या हश्र किया. क्रिस गेल को शुरुआती मैचों में नहीं खिलाया गया. जब उन्हें आखिरी के सात मैचों में खिलाया गया तो टीम ने 5 मैच जीते. लेकिन तब तक देर हो चुकी थी. इस सीजन अब तक दो कप्तान बदले हैं. एक मजबूरी में और दूसरा प्रबंधन की मर्जी से.

पंजाब के लोकेश राहुल एक सर्जरी की वजह से बाहर हुए हैं और उनकी जगह मयंक अग्रवाल कप्तानी संभाल रहे हैं. शायद राहुल इस सीजन लौट ना सकें. अगर वे लौटे तो उनकी कप्तानी सुरक्षित है. वहीं 2014 से साथ बने हुए डेविड वॉर्नर को सनराइजर्स हैदराबाद ने कथित लॉयल्टी बोनस देते हुए ना सिर्फ कप्तानी से हटा दिया, बल्कि प्लेइंग इलेवन से भी बाहर कर दिया.

हैदराबाद की टीम में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है, इस बात के संकेत पहले ही मिल रहे थे. सनराइजर्स ने रॉस्टर में शामिल अपने सभी 21 खिलाड़ियों को मौका दिया है, लेकिन वे अब भी बेस्ट प्लेइंग इलेवन की तलाश में हैं. हैदराबाद अगर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रही है तो इसकी जिम्मेदारी टीम से ज्यादा प्रबंधन की दिखती है. जिस समय टीम बनाई जाती है, उस वक्त संतुलन पर नजर रखी जानी चाहिए. अगर टीम का बैलेंस ही ठीक नहीं है तो कप्तान क्या करेगा. लगता नहीं है कि टीम में इतने बदलावों के पीछे वॉर्नर की सहमति होगी. मनीष पांडे को बाहर किए जाने को उन्होंने मुश्किल फैसला बताया था. लगता है कि वॉर्नर का यही बयान किसी ‘समर्थ’ को चुभ गया. उसने वॉर्नर को कप्तानी से हटवाने का मन बना लिया हो और उसमें कामयाब भी हो गया. जो भी हो. भले ही उस ‘समर्थ’ की जीत हो गई हो, लेकिन इससे टीम का भला नहीं होने वाला.

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