राहुल द्रविड़ ने आईपीएल के ‘इम्पैक्ट प्लेयर’ नियम पर दी प्रतिक्रिया

Last Updated:April 09, 2025, 07:29 IST
राहुल द्रविड़ ने खुलासा किया कि उन्हें आईपीएल का ‘इम्पैक्ट प्लेयर’ नियम पसंद नहीं था. उन्होंने कहा कि यह नियम ऑलराउंडरों को विकसित करने में मुश्किलें पैदा करता है. टूर्नामेंट में बड़े बड़े स्कोर बन रहे हैं लेकि…और पढ़ें
राजस्थान रॉयल्स के कोच राहुल द्रविड़ ने इम्पैक्ट प्लेयर के नियम पर उठाए सवाल
हाइलाइट्स
राहुल द्रविड़ को आईपीएल का ‘इम्पैक्ट प्लेयर’ नियम पसंद नहीं.यह नियम ऑलराउंडरों तैयार करने में मुश्किलें पैदा करता है.बड़े स्कोर बन रहे हैं, लेकिन ऑलराउंडर्स की भूमिका कम हो रही है.
नई दिल्ली. भारत के महान क्रिकेटर राहुल द्रविड़ ने खुलासा किया है कि जब वह भारतीय पुरुष टीम के मुख्य कोच थे तब उन्हें आईपीएल में ‘इम्पैक्ट प्लेयर’ नियम पसंद नहीं था. द्रविड़ की कोचिंग में भारत ने आईसीसी टी20 विश्व कप का खिताब जीता. उन्होंने कहा कि हालांकि वह इस नियम के ‘फायदे’ समझते थे, लेकिन इससे बेहतर ऑलराउंडरों बनाने में काफी मुश्किल आने वाली है.
राहुल द्रविड़ ने 2021 में रवि शास्त्री की जगह भारतीय टीम के मुख्य कोच का पद संभाला और 2024 तक टीम के विकास की देखरेख की. इम्पैक्ट प्लेयर नियम आईपीएल 2023 में पेश किया गया था, जो उस साल के वनडे विश्व कप से पहले आया था. उस समय भारत के रडार पर रहे ऑलराउंडर, जैसे शिवम दुबे और वेंकटेश अय्यर, की गेंदबाजी का योगदान आईपीएल में काफी कम हो गया था क्योंकि उनकी फ्रेंचाइजी को अब उनकी पार्ट-टाइम सेवाओं की जरूरत नहीं थी, वे एक विशेषज्ञ खिलाड़ी को सब-इन कर सकते थे.
द्रविड़ ने स्पोर्टस्टार को बताया. “इसने निश्चित रूप से एक अलग डायनामिक जोड़ा है. ईमानदारी से कहूं तो जब मैं भारत का कोच था, मुझे इम्पैक्ट प्लेयर नियम खास पसंद नहीं था. इसका मतलब यह नहीं है कि यह खेल को अधिक प्रतिस्पर्धी नहीं बनाता – यह निश्चित रूप से बनाता है. यह जटिलता जोड़ता है और मैचों को आखिर तक जिंदा रखता है. लेकिन नेशनल टीम के लिहाज से यह कुछ चुनौतियां पेश करता है.”
“एक कोच के रूप में आप ऑलराउंडरों को विकसित करना चाहते हैं. पहले जब दोनों टीम के 11 खिलाड़ी खेलते थे तो उस फॉर्मेट में कुछ खिलाड़ियों को अलग अलग परिस्थितियों में बल्लेबाजी या गेंदबाजी करने का ज्यादा मौका मिलता था. इम्पैक्ट प्लेयर नियम ने इसे कुछ हद तक बदल दिया है.”
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इस नियम के कारण टूर्नामेंट में बड़े बड़े स्कोर देखने को मिल रहे हैं. 200 रन का आंकड़ा अधिक बार पार किया जा रहा है और टूर्नामेंट के इतिहास में कुछ सबसे उच्चतम स्कोर (जिसमें शीर्ष-दो शामिल हैं) इस स्टेज में आए हैं. द्रविड़ ने कहा, “स्टैट रूप से स्कोरिंग दरें बढ़ गई हैं क्योंकि टीमों के पास एक एक्सट्रा स्पेशलिस्ट बल्लेबाज होता है. इसका मतलब है कि कोई भी टीम वास्तव में खेल से बाहर नहीं होती. आपके पास नंबर 8 या यहां तक कि नंबर 9 पर एक बल्लेबाज हो सकता है, जो छह या सात विकेट खोने के बाद भी आक्रामक बल्लेबाजी की अनुमति देता है,”
“हालांकि एक ऑलराउंडर होने से अभी भी संतुलन आता है, टीमें अब बिना ऑलराउंडर के भी काम चला सकती हैं अगर उन्हें सही फिट नहीं मिलता. रणनीतिक रूप से इसने टीम चयन और मैच योजना में परतें जोड़ दी हैं. मैं समझता हूं कि यह क्यों मौजूद है. यह सुनिश्चित करता है कि हर खेल प्रतिस्पर्धी बना रहे और एक एक्सट्रा भारतीय खिलाड़ी को लीग में शामिल होने की इजाजत देता है, जो एक सकारात्मक है. नीलामी और अन्य नियमों की तरह, इसके हमेशा फायदे और नुकसान होते हैं,”
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
April 09, 2025, 07:29 IST
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