Rajasthan Upchunav: झुंझुनूं में BJP-कांग्रेस दोनों के लिए मुसीबत! भारी पड़ रहा है ये निर्दलीय उम्मीदवार, जानें वजह?

झुंझुनूंः राजस्थान में विधानसभा उपचुनाव में झुंझुनूं सीट पर रोचक मुकाबला हो गया. यहां कांग्रेस और बीजेपी तो अपना पूरा जोर लगाए थीं, लेकिन एक निर्दलीय उम्मीदवार की एंट्री ने दोनों पार्टियों की टेंशन बढ़ा दी है. यहां कांग्रेस से अमित ओला कैंडिडेट हैं. जबकि भाजपा के टिकट पर राजेंद्र भांबू चुनावी समर में हैं. इस दोनों के बीच पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा के निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरने से इस दौड़ में और रोमांच पैदा हो गया है.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, झुंझुनूं विधानसभा सीट जाट बहुल इलाका है. ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी ने जाट उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. फिर भी गुढ़ा के निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरने से सामान्य समीकरणों में खलल पड़ गया. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस मुस्लिम, राजपूत और अनुसूचित जाति के समीकरणों की साधने में जुट गई हैं. मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा और उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने कांग्रेस के गढ़ में बढ़त बनाते हुए भाजपा के अभियान को मजबूत किया. मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर, सुमित गोदारा और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया समेत कई कद्दावर नेताओं ने जोरदार प्रचार किया. मतदाताओं को एकजुट कर भाजपा के पक्ष में तराजू झुकाने की कोशिश की.
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कांग्रेस के कैंडिडेट अमित के पिता सांसद बृजेंद्र ओला ने स्टार प्रचारकों के साथ-साथ खुद भी जमकर प्रचार किया. राजनीतिक विश्लेषक रवींद्र शर्मा कहते हैं कि ओला परिवार के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का विषय है. झुंझुनू में ओला की विरासत बहुत पुरानी है. बृजेंद्र यहां से लगातार चार बार चुनाव जीत चुके हैं. जबकि पिता शीशराम ओला ने 1951 से इस क्षेत्र में अपनी पैठ बनाई थी. जिसने निर्वाचन क्षेत्र में उनके प्रभाव को मजबूत किया. अब, अमित इस विरासत को बनाए रखना चाहते हैं.
कांग्रेस की प्रमुख चिंताओं में से एक मुस्लिम गढ़ों में गुढ़ा की अपील है. गुढ़ा ने मुस्लिम मतदाताओं की भावना का लाभ उठाया, जिनमें से कई झुंझुनूं में कांग्रेस से मुस्लिम उम्मीदवार की उम्मीद कर रहे थे. एक स्थानीय ने कहा कि अपनी रैलियों में, गुढ़ा ने मुसलमानों के साथ अपने और राजपूत समुदाय के ऐतिहासिक संबंधों पर जोर दिया. उनकी पहुंच एससी और राजपूत मतदाताओं तक भी फैली हुई है, जो परंपरागत रूप से भाजपा के साथ जुड़े हुए हैं, जो दोनों मुख्य दलों के लिए चुनौती पेश करते हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 12, 2024, 10:50 IST