When Pandit Shivkumar played tabla in ‘Guide’ on the request of Dev | Untold Story : जब देव आनंद के कहने पर पंडित शिवकुमार ने ‘गाइड’ में बजाया था तबला
जयपुरPublished: Sep 26, 2023 01:40:30 am
-सदाबहार अभिनेता की 100वीं जयंती आज
-आरके नारायण के उपन्यास पर बनी गाइड देव साहब के फिल्मी कॅरियर में किसी नगीने की तरह थी। हालांकि पर्दे पर आते-आते गाइड को कई मुश्किल पड़ाव पार करने पड़े। सबसे पहले तो इसकी स्वीकार्यता को लेकर संशय था, क्योंकि उस वक्त लिव इन रिलेशन का कोई कंसेप्ट नहीं था।
गाइड के एक दृश्य मेें देव आनंद और वहीदा रहमान।
जयपुर. आज सदाबहार अभिनेता देव आनंद की 100वीं जयंंती है। देव साहब हिंदी सिनेमा के ऐसे एकमात्र शख्स थे, जो 88 वर्ष की उम्र तक यूथ आइकन बने रहे। यही वजह है कि उन्होंने तीन पीढिय़ों की अभिनेत्रियों के साथ काम किया, लेकिन अंदाज में रत्तीभर भी फर्क नजर नहीं आया। इसके पीछे उनका विजन और अथक परिश्रम था, जो उन्हें पाकिस्तान के गुरुदासपुर से बॉम्बे खींच लाया। बॉम्बे आने के बाद उन्होंने सडक़ों पर धक्के खाए। कई बार भूखे रहना पड़ा। लेकिन जुनून कमाल था। 1946 में आई प्रभात टॉकीज की फिल्म ‘हम एक हैं’ से बॉलीवुड के श्याम श्वेत पर्दे पर उनका पदार्पण हुआ। इसके बाद बॉम्बे टॉकीज की फिल्म जिद्दी की सफलता ने उनके उखड़ते कदमों को थामा और फिर उन्होंने पीछे मुडकऱ नहीं देखा। 1949 में उन्होंने अपनी खुद की फिल्म कंपनी ‘नवकेतन’ बनाई।
फिल्म समीक्षक उस वक्त देव साहब को दिलीप कुमार, गुरुदत्त, बलराज साहनी या राजकपूर जैसा मंझा हुआ अभिनेता नहीं मानते थे। लेकिन 1965 में आई गाइड ने इस धारणा को बदला। आरके नारायण के उपन्यास पर बनी गाइड देव साहब के फिल्मी कॅरियर में किसी नगीने की तरह थी। हालांकि पर्दे पर आते-आते गाइड को कई मुश्किल पड़ाव पार करने पड़े। सबसे पहले तो इसकी स्वीकार्यता को लेकर संशय था, क्योंकि उस वक्त लिव इन रिलेशन का कोई कंसेप्ट नहीं था। फिर फिल्म का दो भाषाओं में बनना। अंग्रेजी में गाइड बनाने के लिए बतौर निर्देशक टैड डेनियलवस्की का नाम तय हो गया, लेकिन हिंदी में कौन बनाए? देव अपने बड़े भाई चेतन आनंद के पास गए। काफी समझाने के बाद जैसे तैसे चेतन तैयार हुए तो उन्हीं दिनों ‘हकीकत’ को डिफेंस अथॉरिटी से अनुमति मिल गई और वे छोड़ गए। आखिर छोटे भाई गोल्डी यानी विजय आनंद को उन्होंने तैयार किया। विजय ने फिल्म की स्क्रिप्ट में कुछ बदलाव किए। फिल्म का अंत भी उपन्यास से अलग था।
एक साथ दो भाषाओं में बनने से फिल्म की निरंतरता बाधित हो रही थी, लिहाजा तय हुआ कि पहले अंग्रेजी में ही बनाई जाएगी। फिल्म बनी और बॉक्स ऑफिस पर सुपर फ्लॉप रही। खुद आरके नारायण जब फिल्म देखकर थिएटर से लौटे तो गुस्से में इतना ही बोले-मिसगाइडेड गाइड है। इसके बाद हिंदी में बनाते वक्त भी पूरी टीम विफलता के डर से सहमी हुई थी, लेकिन देव साहब को फिल्म का भविष्य नजर आ रहा था। हुआ भी वैसा ही। फिल्म बेहद कामयाब रही और उस वर्ष ऑस्कर के लिए भेजी गई।
गाइड का ही एक दिलचस्प वाकया है, जब फिल्म के गीत मोसे छल किए जाए… के लिए देव साहब ने मशहूर संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा से तबला बजाने का आग्रह किया। इस गीत में शिवकुमार शर्मा ने पहली और आखिरी बार तबला बजाया था।