Rajasthan

एक ऐसा मंदिर…जहां 500 साल पहले चट्टान से प्रकट हुई थी प्रतिमा, यहां विदेशों तक से आता है शादी का पहला न्योता

कृष्ण कुमार गौड़/जोधपुर. राजस्थान की सांस्कृतिक और न्यायिक राजधानी के साथ-साथ जोधपुर की एक ओर पहचान है और वह है धार्मिक नगरी…यहां ऐसे कई ऐतिहासिक मंदिर है जिनपर श्रद्धालुओं की अटूट आस्था है. ऐसा ही एक मंदिर है जोधपुर का रातानाडा गणेश मंदिर जहां ऐसी मान्यता बरसों से चली आ रही है कि कोई भी शुभ या फिर मांगलिक कार्य क्यों न हो रातानाडा गजानंद मंदिर में पहला निमंत्रण दिया जाता है उसी के बाद किसी शुभ कार्य की शुरूआत की जाती है.

वर्तमान की बात करें तो शादियों का सीजन है कि पूरे राजस्थान में 23 नवम्बर के दिन 50 हजार से अधिक शादियां है. ऐसे में रातानाडा गणेश मंदिर में शादी के निमंत्रण पत्रों का ढेर लगना शुरू हो चुका है. जोधपुर ही नही बल्कि राजस्थान और विदेशो तक में बैठे प्रवासी राजस्थानियों तक भी शादी पहला निमंत्रण इसी मंदिर में देते है.

लंदन हो या अमेरिका वहां से भी पहुंचे शादी के निमंत्रण

चाहे लंदन हो, अमेरिका हो या फिर राजस्थान के अलावा अन्य राज्य जहां पर भी राजस्थानी रहते है वह इस मंदिर के चमत्कार के भलीभाती परिचित है और उनका भी विश्वास आज भी उतना ही है कि कोई भी शादी समारोह हो पहला निमंत्रण रातानाडा गजानंद मंदिर में भेजते है.

रातानाडा गणेश मंदिर के पुजारी महेश अबोटी ने बताया कि देश विदेशो में जो राजस्थान के लोग रहते है उनके भी शादी के निमंत्रण पहुंचे है. अमेरिका और लंदन के अलावा दूसरे राज्य एमपी व महाराष्ट्र से भी निमंत्रण पत्र पहुंचे है. विदेशों से जो कार्ड आए है उसमें हम उन्हें लाल कपडे में गणेश जी बनाकर देते हैं और बाद में जब विवाह सकुशल सम्पन्न होता है तो वह इस मंदिर में गणेशजी के वापस पहुंचाते हैं.

भगवान गणेश के पास हजारों की संख्या में पहुंचे शादी के निमंत्रण

23 नवंबर की बात करें तो राजस्थान भर में 50 हजार से भी अधिक शादियां इस बार बताई जा रही है क्योंकि देवउठनी एकादशी के अगले दिन यानी द्वादशी तिथि के दिन शालिग्राम और तुलसी जी का विवाह किया जाता. इसको देखते हुए लोगों में गजब का उत्साह है और इस तारीख को देखते हुए अब तक हजारो की संख्या में निमंत्रण रातानाडा गणेश मंदिर पहुंच चुके है. रातानाडा गणेश मंदिर के महंत की मानें तो हजारों की संख्या में कार्ड पहुंच चुके है.

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यह है मान्यता इस मन्दिर की

मान्यता है कि विवाह कार्यक्रम शुरू होने से पूर्व रातानाडा मंदिर से प्रतीकात्मक मिट्टी के विनायक लाकर जो व्यक्ति विवाह स्थल परिसर में विराजित करता है तो विवाह समारोह निर्विघ्न रूप से संपन्न होता है. श्रद्धालु भक्तजन घर में होने वाले प्रत्येक वैवाहिक कार्य का प्रथम निमंत्रण प्रथम पूज्य रातानाडा गणेशजी को देने पहुंचते हैं.

शुभ दिन व मुहूर्त में मंदिर में विधिवत मिट्टी के मांडणेयुक्त एक पात्र में गणेशजी को प्रतीकात्मक मूर्ति के रूप में स्थापित कर गाजे-बाजों के साथ विवाह होने वाले व्यक्ति के घर पर लाया जाता है और विवाह कार्य पूर्ण होने के बाद पुन: आभार सहित गणपति की प्रतीकात्मक मूर्ति को मंदिर पहुंचाया जाता है.

500 साल पहले प्रकट हुई थी मूर्ति

ऐसा कहा जाता है कि करीब पांच सौ साल पहले प्राकृतिक चट्टान में गणेश मूर्ति का प्राकट्य हुआ था. बाद में विक्रम संवत 1857 में पहाड़ी पर एक छोटा मंदिर बनाया गया. हर तीर्थ यात्रा के सफर का आगाज रातानाडा गणेश मंदिर दर्शन से ही करने की परम्परा है. जोधपुर में प्रत्येक तीसरे साल पुरुषोत्तम मास में होने वाली भोगिशैल परिक्रमा में मारवाड़ के विभिन्न क्षेत्रों से दर्शनार्थी पहुंचते है. मारवाड़ के प्रमुख मेलों में रातानाडा गणेश मेला भी अपना विशिष्ट स्थान रखता है.

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