Rajasthan

डांग की हरियाली में छिपा है पशुओं का खजाना, इस पेड़ से मिलता है चारा और पोषण, दूध उत्पादन बढ़ाने में है कारगर

Last Updated:July 25, 2025, 09:33 IST

Animal Husbandry: भरतपुर के डांग और पहाड़ी इलाकों में बरसात का मौसम शुरू होते ही हरे-भरे धौ के पेड़ मवेशियों के लिए वरदान साबित हो रहे हैं. पशुपालक इन पेड़ों की कोमल, पौष्टिक पत्तियां तोड़कर अपने पशुओं को खिलात…और पढ़ें

हाइलाइट्स

पशुपालकों के लिए वरदान है धौ पेड़धौ पेड़ का पत्ता पोषक तत्वों से है भरपूरधौ पेड़ का पत्ता दूध उत्पादन बढ़ाने में है कारगरभरतपुर. राजस्थान के भरतपुर जिला स्थित डांग और पहाड़ी क्षेत्रों में बरसात का मौसम आते ही हरियाली की चादर सी बिछ जाती है. इस हरियाली के बीच एक खास पेड़ ग्रामीण पशुपालकों की पहली पसंद बन जाता है. इसे स्थानीय भाषा में धौ का पेड़ कहा जाता है. यह पेड़ विशेष रूप से डांग और पहाड़ी इलाकों में पाया जाता है. बरसात के मौसम में तेजी से उगता है. धौ का पेड़ अपनी हरी-भरी और कोमल पत्तियों के लिए जाना जाता है, जो पशुओं के लिए बेहद पौष्टिक चारा होती हैं.

जब बरसात शुरू होती है तो इस पेड़ की शाखाएं हरे पत्तों से लद जाती है. ऐसे में पशुपालक पेड़ की पत्तियों को तोड़कर घर लाते हैं. और कूटकर या पीसकर अपने मवेशियों को खिलाते हैं. ग्रामीणों का मानना है कि धौ की पत्तियां से न सिर्फ पशुओं का पेट अच्छी तरह भरती है बल्कि इससे दूध उत्पादन में भी वृद्धि होती है.

डोंग इलाके में बहुतायत पाया जाता है धौ के पेड़

पशुपालन से जुड़े किसान लालहंस ने बताया कि पीढ़ियों से इस पेड़ का उपयोग करते आ रहे हैं. धौ के पत्ते आसानी से पचने वाले होते हैं और इसमें आवश्यक पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो मवेशियों की सेहत के लिए लाभकारी हैं. यही वजह है कि इस मौसम में डांग इलाके के किसान अपने पशुओं के लिए इस पेड़ की पत्तियां खिलाते हैं. भरतपुर के डांग इलाके में यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है, जहां ग्रामीण बरसात के दिनों में पहाड़ पर जाकर पशुपालक धौ के पत्ते को तोड़कर लाते हैं.

किसान ने बताया कि पत्ते को कूटकर पशुओं के लिए खिलाते हैं.  यह पेड़ केवल बरसात के मौसम में ही पत्तियों से लदता है, इसलिए किसान इस सीमित समय का पूरा लाभ उठाते हैं. धौ का पेड़ न केवल पशुपालकों की आर्थिक मदद करता है बल्कि ग्रामीण जीवनशैली और स्थानीय जैव विविधता का भी अहम हिस्सा बन जाता है. यह पेड़ भरतपुर के पशुपालक समुदाय के लिए एक वरदान से कम नहीं है, जो हर साल बरसात में मवेशियों के लिए पोषण और सहारा लेकर आता है.

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Bharatpur,Rajasthan

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डांग की हरियाली में छिपा है पशुओं का खजाना, इस पेड़ से मिलता है चारा और पोषण

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