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रामेश्‍वरम से निकली ट्रेन, अचानक उठीं 25 मीटर ऊंची लहरें और समंदर में समा गई रेल, पढ़ें 59 साल पुरानी हादसे की कहानी

नई दिल्‍ली. तमिलनाडु के पंबन से रात में ट्रेन रवाना हुई, जो धनुषकोड़ी के लिए बढ़ रही थी. ट्रेन जैसे ही स्‍टेशन के करीब पहुंची. तभी ऊंची समुद्री लहरों ने इस ट्रेन को घेर लिया. लोकोपायलट तब तक कुछ समझ पाता, ट्रेन लहरों के साथ साथ समुद्र में समा गयी. उस समय ट्रेन में सौ से अधिक लोग सवार थे. सभी लोग मारे गए. यह हादसा आज से 59 साल पहले धनुषकोड़ी में हुआ था. इस चक्रवात से न सिर्फ ट्रेन बही, बल्कि पूरा का पूरा शहर बह गया, और इसके निशान आज भी यहां पर देखते जा सकते हैं.

यह हादसा तमिलनाडु के रामेश्वरम स्थित धनुषकोड़ी शहर में 1964 में हुआ था, जब एक भयानक चक्रवात में पंबन-धनुषकोड़ी पैसेंजर ट्रेन पूरी तरह बह गई, जो भारतीय रेल इतिहास की सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदाओं में से एक है.

कहां से चली थी ट्रेन

पंबन से धनुषकोड़ी के बीच पैसेंजर ट्रेन 22 दिसंबर1964 की रात में 11.55 बजे चली थी. इसमें ज्‍यादातर लोग धनुषकोड़ी के थे, कुछ रामेश्‍वरम के भी सवार थे,जो दर्शन के लिए रामेश्‍वर स्‍टेशन पर उतर गए. धनुषकोड़ी रामेश्‍वर से 13किमी. की दूरी पर है. पैसेंजर ट्रेन धीरे धीरे आगे बढ़ रही थी. ज्‍यादातर लोग इस ट्रेन में सोए हुए थे. किसी को इस बात का अहसास नहीं था कि उनकी यह यात्रा अंतिम है.

कहां हुआ हादसा

देर रात जब ट्रेन धनुषकोड़ी के करीब (681- 682 किमी. के बीच) पहुंची, तभी तेज चक्रवात आया गया. बगल में समुद्र का रौद्र रूप से करीब 25 फीट ऊंची लहरे उठनी शुरू हुईं. हवाएं 240 किमी, घंटा तक रफ्तार से चल रही थीं, अचानक पूरी ट्रेन लहरों में फंस गयी और पूरी ट्रेन को अपने साथ समुद्र में बहा ले गयीं. चक्रवात ट्रेन की पटरियों से उखाड़ फेंका . धनुषकोड़ी शहर भी पूरी तरह खत्‍म हो गया.

कितने कोच डूबे थे इसमें

यह छह कोच की पैसेंजर ट्रेन थी. चक्रवात में ट्रेन के सभी कोच बह गए. इन कोचों का आज तक पता नहीं चल पाया. न ही इनमें सवार यात्रियों में कोई बच पाया.

चेतावनी के बावजूद ट्रेन को रवाना किया

बताया गया कि मौसम विभाग ने चक्रवात की चेतावनी दी थी, इसको पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया. और ट्रेन को धनुषकोड़ी से रवाना किया गया. यह एक भारी चूक मानी जा रही है. चक्रवात ने श्रीलंका को भी प्रभावित किया, लेकिन धनुषकोड़ी में सबसे ज्‍यादा तबाही हुई.

क्‍या अब भी चलती है ट्रेन

रेलवे के डायरेक्‍टर पब्लिक इनफार्मेशन बताते हैं कि चक्रवात से पहले तक रामेश्‍वरम से धनुषकोड़ी तक ट्रेन चलती थी. लेकिन चक्रवात के बाद से संचालन बंद कर दिया गया है.

पहले के मुकाबले अब ट्रेन हादसों में कमी आयी है.

कितनी हुई तबाही

चक्रवात में रेलवे स्‍टेशन, ट्रेन, अस्‍पताल, चर्च, स्‍कूल, मंदिर, पोस्‍ट आफिस सब कुछ बह गया था. यहां पर आज भी टूटे फूटे स्‍टेशन, चर्च और अस्‍पताल मौजूद हैं, जो आपदा की कहानी बंया कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि यात्रियों के अलावा गांव के ज्‍यादातर लोग मारे गए थे.

कितनी दूर है यहां से श्रीलंका

यहा गांव भारत का अंतिम गांव है. इससे कुछ ही दूरी पर श्रीलंका शुरू हो जाता है. यहां पर बनी सड़क समुद्र में जाकर में जाकर खत्‍म हो जाती है. सड़क के अंतिम प्‍वाइंट पर दीवार कर दी गयी है, जिससे स्‍पीड से कोई वाहन सीधा समुद्र में न घुस जाए. उस समय धनुषकोड़ी एक व्यस्त शहर था, जहां से श्रीलंका के लिए फेरी सेवा भी चलती थी.

क्‍यों नहीं रुकते हैं यहां रात में लोग

चूंकि यहां इतने लोग मारे गए थे, इस वजह से गांव के लोग आसपास के में शिफ्ट हो गए हैं. दिन में दुकान चलाते हैं और रात में लौट जाते हैं, इसके अलावा यहां पर चक्रवात आने की संभावना भी अधिक रहती है, इन दो वजहों से गांव के लोग यहां पर रुकना नही चाहते हैं. यहां पर दुकान चेत्रिति बताते हैं कि घटना के समय माता पिता थे, जिन्‍होंने भागकर जान बचाई थी. अब दोनों की मृत्‍यु हो चुकी है. गांव में स्‍टेशन की बिल्डिंग, चर्च, स्‍कूल के अवशेष देखे जा सकते हैं.

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