जर्नलिज्म का स्टूडेंट कैसे बन गया केजरीवाल का राइट हैंड, कैसी है पर्सनल लाइफ? बिभव की पूरी कहानी, दोस्तों की जुबानी..

स्वाति मालीवाल बनाम मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सचिव बिभव कुमार का मामला अब तूल पकड़ चुका है. बिभव कुमार पर स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट और बदसलूकी करने के आरोप हैं. सीएम हाउस के ड्राइंग रूम में हुई इस घटना को लेकर स्वाति ने बिभव के खिलाफ ढाई पेज की एफआईआर दर्ज करा दी है. वहीं अब दिल्ली पुलिस बिभव कुमार को गिरफ्तार करने के लिए तलाश कर रही है.
जर्नलिज्म के स्टूडेंट से लेकर सीएम केजरीवाल के राइट हैंड बन चुके बिभव कुमार की इस हरकत की आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने निंदा तो की लेकिन बयान के चंद घंटों बाद ही बिभव कुमार को अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह के साथ लखनऊ में देखा गया. आइए जानते हैं स्वाति पर हमलावर होने वाले बिभव कुमार कौन हैं? और इनकी निजी जिंदगी कैसी है?
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जर्नलिज्म की का स्टूडेंट बना एक्टिविस्ट बिभव कुमार को जानने वाले आम आदमी पार्टी के पुराने वरिष्ठ नेता ठाकुर देवेंद्र सिंह ने बताया कि बिहार के सासाराम से आने वाले बिभव कुमार ने 2004-06 में पत्रकारिता का कोर्स किया. इसके बाद मेन स्ट्रीम मीडिया में जाने के बजाय बिभव ने एक्टिविज्म का रास्ता चुना. अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के अनरजिस्टर्ड एनजीओ परिवर्तन के बाद, 2005 में इन्हीं के रजिस्टर्ड एनजीओ कबीर से बिभव जुड़ गए.
यहां बिभव को राइट टू इन्फॉर्मेशन के तहत काम करने की जिम्मदारी दी गई. इसी दौरान एक न्यूज चैनल का घूस को घूंसा अभियान शुरू हुआ और इसमें कबीर संगठन ने भी सहयोगी की भूमिका निभाई, जिसमें बिभव को भी अन्य सदस्यों की तरह विभिन्न मुद्दों पर आरटीआई डालने, जानकारी हासिल करने और घूस का घूंसा अभियान में शिकायत लेकर आने वाले लोगों के लिए कैंपेनिंग करने का काम सौंपा गया.
पत्रकारिता का छात्र होने के चलते उस दौरान बिभव ने आरटीआई कैंपेनिंग में शॉर्ट स्टोरीज और सक्सेज स्टोरीज बनाईं और मीडिया टीम का हिस्सा बने रहे. उस दौरान दूरदर्शन पर सूचना का अधिकार कार्यक्रम भी आता था. उसमें ये बतौर एक्सपर्ट भी कई बार कार्यक्रम से जुड़े.
कबीर एनजीओ ने कुछ साल बाद ग्राम स्वराज पर भी काम शुरू कर दिया और यहीं से ये अन्ना हजारे से संपर्क हुआ. धीरे धीरे इंडिया अगेंस्ट करप्शन की रूपरेखा तैयार हुई और 2011 में दिल्ली में सबसे बड़ा आंदोलन अन्ना हजारे के नेतृत्व में हुआ.
केजरीवाल के बनते गए करीबी सिंह कहते हैं कि इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन की सफलता के बाद से बिभव अरविंद केजरीवाल के और भी करीबी होते चले गए और 2013 में आम आदमी पार्टी की जीत के बाद पार्टी के और खासतौर पर अरविंद केजरीवाल से जुड़े काम देखने लगे. बिभव केजरीवाल के इतने करीबी हैं कि तिहाड़ जेल में बंद होने के दौरान उन्होंने प्रशासन को 6 लोगों के नाम दिए थे, उनमें बिभव का भी नाम था.
2015 से बढ़ गया कदजब अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री का पदभार संभाला तो बिभव को अपनी सबसे नजदीकी टीम में रखा. आम आदमी पार्टी से जुड़े लोगों की मानें तो मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन आदि से भी पहले केजरीवाल के लिए बिभव थे. बिभव केजरीवाल के सबसे भरोसेमंद साथी बन गए. यही वजह रही कि साल 2015 में सीएम केजरीवाल ने बिभव को अपना निजी सचिव नियुक्त कर दिया.
बिभव पर उठे सवाल, हुई कार्रवाई हालांकि बिभव को निजी सचिव बनाने को लेकर केजरीवाल सरकार पर सवाल उठे और उपराज्यपाल ने इस पद को भंग कर दिया. इसके बाद केजरीवाल ने उन्हें पीए बनाया लेकिन विजिलेंस डिपार्टमेंट ने उनकी नियुक्ति को रद्द कर दिया. इसके बावजूद बिभव अरविंद केजरीवाल के साथ पहले की तरह ही लगातार काम करते रहे.
हालांकि साल 2020 में फिर अरविंद केजरीवाल की सरकार बनी और बिभव को फिर से सीएम केजरीवाल ने पर्सनल सेक्रेटरी पद दे दिया. केजरीवाल ने इन्हें सिविल लाइंस इलाके में बंगला भी दिलवाया. विजिलेंस डिपार्टमेंट की शिकायत पर पीडब्ल्यूडी ने इनके बंगले के आवंटन को भी रद्द कर दिया, हालांकि अभी तक इन्होंने बंगला खाली नहीं किया है.
बिभव पर नोएडा अथॉरिटी के एक कर्मचारी ने साल 2007 में एक क्रिमिनल केस भी किया था जो अभी तक चल रहा है. इसमें बिभव पर गाली गलौज करने और धमकी देने के आरोप लगे.
शराब घोटाला मामले में भी ईडी बिभव से पूछताछ कर चुकी है.
कैसी है निजी जिंदगी देवेंद्र सिंह ने बताया कि आम आदमी पार्टी कार्यकर्ता होने के चलते साल 2010 से वे बिभव के लगातार संपर्क में हैं. इस दौरान उन्होंने बिभव को उन्होंने हमेशा ही शांत देखा है. बिभव अक्सर चुप रहते हैं. बिभव की जिंदगी अरविंद केजरीवाल के इर्द-गिर्द ही है. अन्ना आंदोलन के समय भी बिभव आंदोलन के लिए सॉफ्टवेयर, मीडिया और रणनीति से जुड़े अंदरूनी कामकाज ही देखते थे. वे केजरीवाल को रिपोर्ट करते थे. आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने के बाद भी वे केजरीवाल के करीबी रहे और दी गई जिम्मेदारियों को चुपचाप तरीके से संभालते रहे और लोगों की समस्याओं को भी केजरीवाल तक पहुंचने से पहले निपटाते रहे.
हालांकि आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं में कई बार इस बात को लेकर असंतोष भी देखा गया कि बिभव अरविंद केजरीवाल तक पहुंचने में एक रुकावट की तरह थे. केजरीवाल के सीएम बनने के बाद उनसे मिलने से पहले लोगों को बिभव से मिलना होता था और कोई काम न होने पर कई बार लौटना भी पड़ता था. कई कार्यकर्ता इसे लेकर कह भी चुके थे कि सत्ता और पार्टी दोनों को अलग रखना जरूरी है, ताकि आप के कार्यकर्ता केजरीवाल तक आसानी से पहुंच सकें.
परिवार में कौन-कौन हैं? बिभव के परिवार में उनकी पत्नी और दो बच्चे हैं. पत्नी हाउस वाइफ हैं और उनके साथ सिविल लाइंस के बंगले में ही रहते हैं.
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Tags: Aam aadmi party, Arvind kejriwal, Swati Maliwal
FIRST PUBLISHED : May 17, 2024, 16:38 IST