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Indvssa 3rd test casualness is rishabh pants identity but it will take some time to people accept it – बेफिक्री ऋषभ पंत की पहचान है, पर दुनिया को मानने में कुछ वक्त लगेगा | – News in Hindi

बचपन में आपने भी वो नेत्रहीन भाइयों और हाथी वाली कहानी तो जरूर सुनी होगी. एक भाई जो पूंछ छूता है, उसका विवरण अलग होता है, जो सूंड़ छूता है, उसकी व्याख्या अलग, और जो पैर को स्पर्श करता है, उसकी बातें कुछ और होती है… हर कोई अपने तरीके से अपना अपना नज़रिया, अपने-अपने तरीके से व्यक्त करता है क्योंकि कोई भी पूरी तरह से विशालकाय हाथी की कल्पना ही नहीं कर सकता है. मौजूदा समय में 24 साल के ऋषभ पंत (Rishabh Pant) के टेस्ट करियर को देखकर अनायास ही उन नेत्रहीन भाइयों और हाथी वाली कहानी ज़ेहन में ताज़ा हो जाती है.

पंत के ‘लापरवाह’ नज़रिये पर बेइंतहा लापरवाही

ज़्यादा देर भी नहीं हुए है. सिर्फ एक पारी पहले ही महान सुनील गावस्कर ने लाइव कामेंट्री के दौरान पंत  की धज्जियां उड़ा दी. ऋषभ पंत (Rishabh Pant) ने अपने चिर-परिचित अंदाज़ में एक शॉट खेला और आउट हो गए. फिर क्या था गावस्कर साहब आग-बबूला हो गए और पंत के ‘लापरवाह’ नज़रिये पर काफी कुछ कह डाला. वैसे, आपने कभी गावस्कर को सचिन तेंदुलकर के शुरुआती दिनों में उनके आक्रामक तरीके को लेकर आलोचना करते हुए कभी सुना था क्या? तेंदुलकर के नाम टेस्ट क्रिकेट में सबसे कम उम्र में शतक लगाने का रिकॉर्ड होता और अगर वो 88 रन के स्कोर पर डैनी मारिसन की गेंद पर अपना संयम ना खोते. और मुंबई के रोहित शर्मा के ख़िलाफ़ तो गावस्कर साहब ने शायद ही कभी ऐसी उदारता दिखाई हो जैसा कि उन्होंने पंत के ख़िलाफ़ किया.

धूप या छांव, आग या बरसात, पंत का अनूठा रहता है अंदाज़

गावस्कर तो अब भी गावस्कर ही हैं और जब वो आलोचना करते हैं तो पूरी दुनिया उस बात को गंभीरता से लेती है. ख़ासकर टेस्ट क्रिकेट में तो अब भी उनकी आलोचनाओं को काफी अहमियत दी जाती है और शायद यही वजह रही होगी कि केपटाउन टेस्ट से पहले जब विराट कोहली प्रेस कांफ्रेस में आए तो अपने युवा खिलाड़ी को महेंद्र सिंह धोनी की पुरानी नसीहत का जिक्र करके एक ख़ास मैसेज देना चाहा. लेकिन, दिल्ली के कोहली भी ये शायद भूल जाते हैं कि पूरी दुनिया जिस पंत की शैली में गैर-ज़िम्मेदाराना रवैया तलाशने की कोशिश करती है. दरअसल वही बात तो उन्हें दूसरों से अलग करती है. धूप हो या छांव, आग हो या बरसात, पंत के खेलने का अनूठा अंदाज़ ही तो उन्हें दरअसल इस पीढ़ी का सबसे ख़तनाक बल्लेबाज़ बनाता है. जब तक वो क्रीज़ पर रहते हैं, विरोधी टीमों को अक्सर इस बात का डर सताता रहता है कि ना जाने एक सत्र में ये लड़का मैच का रुख़ पलट कर तो नहीं रख देगा! पिछले साल ब्रिस्बेन में कंगारुओं का ये खौफ़ यकीन में बदल गया जब दिल्ली के इस बल्लेबाज़ ने एक अविस्मरणीय पारी खेली.

एशिया से किसी भी विकेटकीपर बल्लेबाज़ ने ऐसा नहीं किया!

अगर अब भी आपको उन आलोचकों की तरह ये लगता है कि पंत का केपटाउन का शतक तुक्का है तो याद रखिए भारतीय इतिहास तो एशियाई क्रिकेट से किसी भी विकेटकीपर बल्लेबाज़ ने अपने पूरे करियर में ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और साउथ अफ्रीका की सरज़मीं पर टेस्ट शतक नहीं बनाए थे. ऐसा पंत ने सिर्फ 24 साल की उम्र में ही कर डाला.

तलवार के साथ जीने वाले को कटने-मरने की भला फिक्र कहां!

हां, ये सही बात है कि जब पंत नाज़ुक लम्हों के दौरान आउट होते हैं तो काफी झुंझलाहट होती है, गुस्सा भी आता है (गावस्कर ही तरह) लेकिन कहते है ना जो तलवार के साथ जीते हैं उन्हें कटने-मरने की भला फिक्र कहां रहती है. पंत के साथ भी यही बात है. जब वो चलते हैं तो बस मैच पलट कर रख देते हैं. वीरेंद्र सहवाग ऐसा करते थे उन्हें 100 से ज़्यादा टेस्ट मैच तक इसी फॉर्मूले पर चलते रहने से किसी को आपत्ति नहीं थी. लेकिन पंत में हम हर समय धोनी जैसा सतुंलित रवैया ढूंढने की नाकाम कोशिश करते है. वो धोनी थे जिन्होंने अपनी नैसर्गिक आक्रामकता को टीम की ज़रुरतों को ध्यान में रखते हुए कुर्बान कर दिया लेकिन इसके चलते वो बिंदास धोनी भी तो नहीं रहे.

लाल गेंद में धोनी से बड़े बल्लेबाज़ है पंत

टेस्ट क्रिकेट में विकेटकीपर बल्लेबाज़ के तौर पर ऑस्ट्रेलिया के एडम गिलक्रिस्ट हमेशा सबसे बड़े मापदंड हैं और उन्होंने सबसे ज़्यादा 5570 रन भी बनाए हैं. धोनी ने भी 4876 रन बनाए. पंत भले ही गिलक्रिस्ट की तरह असाधारण तरीके से कामयाब नहीं हो पाए लेकिन इतने छोटे से ही सफर में उन्होंने ये बात तो साबित कर दी है कि लाल गेंद की क्रिकेट में वो धोनी से भी बड़े बल्लेबाज़ हैं. और ये वाकई में बहुत बहुत बड़ी उपल्बधि है.

पंत casual हैं या बेफिक्र, आपके चश्मे पर निर्भर करता है

सुपर स्पोर्ट के लिए कामेंट्री करते हुए साउथ अफ्रीका के पूर्व दिग्गज हाशिम अमला ने पंत के लिए casual यानि कि बेफिक्र होने के विशेषण का इस्तेमाल किया. अमला ने बेहद ख़ूबसूरती से गावस्कर से जैसे दिग्गजों को शायद ये कहने की कोशिश की ज़रुरी नहीं है कि टेस्ट क्रिकेट में आपको हमेशा गंभीर ही दिखना चाहिए. अमला ने माना कि जब पंत खेलते हैं तो उस दौरान रोमांच अलग ही होता है और उनकी ये बेफिक्री ही उन्हें निराला बनाती है. यही बेफिक्री तो पंत की पहचान है और गावस्कर ही नहीं पूरी दुनिया को इस बात को मानने में शायद कुछ वक्त और लगे.

(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)

ब्लॉगर के बारे में

विमल कुमार

विमल कुमार

न्यूज़18 इंडिया के पूर्व स्पोर्ट्स एडिटर विमल कुमार करीब 2 दशक से खेल पत्रकारिता में हैं. Social media(Twitter,Facebook,Instagram) पर @Vimalwa के तौर पर सक्रिय रहने वाले विमल 4 क्रिकेट वर्ल्ड कप और रियो ओलंपिक्स भी कवर कर चुके हैं.

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