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Success story Sajjan Kanwar became self-reliant by making soap at home, became the first woman of the village to become a business woman and is providing employment to other women too.

Agency: Rajasthan

Last Updated:February 08, 2025, 16:03 IST

Success story भीलवाड़ा जिले के साकड़ा गांव की निवासी सज्जन कंवर ने लोकल18 से कहा कि पहले मैं एक गरीब महिला हुआ करती थी और अपने घर पर ही ग्रहणी के रूप में रहकर गाय-बकरी का काम किया करती थी. फिर हमारे गांव में रा…और पढ़ेंX
अपने
अपने प्रोडक्ट के साथ सज्जन कवंर

रवि पायक/भीलवाड़ा. वर्तमान समय के इस आधुनिक दौर में ग्रामीण क्षेत्रों की रहने वाली महिलाएं गांव की दहलीज़ लांग कर आत्मनिर्भर बन रही हैं और बिजनेस वुमन बन रही हैं. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है भीलवाड़ा के एक छोटे से गांव की रहने वाली महिला ने, जिसने एक छोटे से आइडिया से अपने घर पर ही गुलाब, नीम, मुल्तानी मिट्टी और हल्दी से साबुन बनाना शुरू किया, और आज इसकी डिमांड राजस्थान सहित कई अनेकों राज्यों में हो रही है, और यह महिला अपने साथ-साथ अन्य महिलाओं को भी रोजगार दे रही है, जिसके चलते छोटे से गांव की रहने वाली महिलाएं आत्मनिर्भर बिजनेस वूमेन बन रही हैं.

भीलवाड़ा जिले के साकड़ा गांव की रहने वाली सज्जन कंवर ने लोकल18 को बताया कि पहले में एक गरीब महिला हुआ करती थी, और अपने घर पर ही ग्रहणी के रूप में रहकर गाय-बकरी का काम किया करती थी. फिर, एक बार हमारे गांव में राजीविका से जोड़ा एक शिविर लगाया गया, जिसमें कुछ ऐसे तरीके बताए गए, जिसमें किस तरह अपने घर पर ही काम करके हम रोजगार ले सकते हैं, जिसमें घर पर साबून बनाने का तरीका भी बताया गया. इसके बाद में राजीविका से जुड़ी, और घर पर साबून बनाने की विधि सीखी.

1 हजार रुपए से की शुरूआत सबसे पहले 1 हजार रुपए का सामान लेकर साबुन बनाने की शुरुआत की, और बाद में मैंने इसकी अपने ही गांव में बिक्री की. उसके बाद, लोगों ने मेरे बनाए साबुन की काफी तारीफ की, जिसके वजह से मेरा मनोबल भी काफी मजबूत हुआ था. मेरी कामयाबी के बाद, मेरे गांव की अन्य महिलाएं भी मुझसे जुड़ी हुई हैं और वह भी आत्मनिर्भर बन रही हैं.

डिमांड के चलते दिल्ली तक पहुंची सज्जन कंवर सज्जन कवंर ने बताया कि मैं अपने घर पर नीम, एलोवेरा, हल्दी, चंदन, गुलाब और मुल्तानी मिट्टी से साबून बनाती हूं. प्रतिदिन 200 साबून बना लेती हूं और लोगों की डिमांड के अनुसार 1 से 2 हजार साबून बना सकती हूं. मेरे साबून की डिमांड भीलवाड़ा जिले के अलावा जयपुर, जोधपुर और दिल्ली तक पहुंच चुकी है, प्राकृतिक तरीके से बनाए जाने के कारण इसकी लोगों में अच्छी डिमांड है. मेरे साथ जुड़ कर करीब गांव की 70 ऐसी महिलाएं हैं, जो इस तरह से स्वरोजगार कर आत्मनिर्भर बन रही हैं.

आत्मनिर्भर होने के बाद शुरू की पढ़ाई 

सज्जन कवंर ने बताया कि पहले, कम पढ़ी-लिखी होने के वजह से, यह सोचती थी कि मैं सिर्फ घर पर ही काम करूंगी, लेकिन राजविका से जुड़ने के बाद मैंने दसवीं कक्षा पास की और धीरे-धीरे अपने पशुपालन और कृषि के काम को भी आगे बढ़ा लिया. मेरा गांव सकड़ा, जहाजपुर विधानसभा क्षेत्र का पिछड़ा हुआ गांव है, यहां पर कोई भी सुविधा नहीं है, लेकिन इस ट्रेनिंग के मिलने के बाद मैं अपने घर पर ही देसी तरीके से साबुन बनाती हूं.


Location :

Bhilwara,Rajasthan

First Published :

February 08, 2025, 16:03 IST

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गांव की पहली महिला बनी बिजनेस वूमेन, एक हजार रुपए से की सफर की शुरुआत

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