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इतिहास में पहली बार! NEET में हाईटेक वॉर रूम से निगरानी, 20 लाख से अधिक छात्र शामिल

NEET UG 2025 Exam: देश की सबसे बड़ी मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET UG 2025 रविवार को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गई. इस साल परीक्षा में 20.8 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने भाग लिया परीक्षा का आयोजन भारत के 548 शहरों के 5,453 परीक्षा केंद्रों पर किया गया, जबकि विदेशों के 14 शहरों में भी परीक्षा केंद्र स्थापित किए गए थे.

सुरक्षा और पारदर्शिता के लिए वॉर रूम मॉडलपरीक्षा की निगरानी और समुचित संचालन के लिए शिक्षा मंत्रालय में एक केंद्रीय कंट्रोल रूम बनाया गया था. इस हाईटेक कंट्रोल रूम में गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय के अधिकारी तैनात थे. पूरे देश में परीक्षा से जुड़ी हर गतिविधि पर रीयल-टाइम निगरानी रखी गई.

परीक्षा से पहले मॉक ड्रिल से पुख्ता तैयारीपरीक्षा के एक दिन पहले, यानी 3 मई को देशभर के सभी केंद्रों पर मॉक ड्रिल आयोजित की गई. इसका उद्देश्य मोबाइल जैमर्स ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं,  फ्रिस्किंग स्टाफ की संख्या पर्याप्त है, बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन की प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है यह सुनिश्चित करना था.

गर्मी को ध्यान में रखते हुए विशेष इंतजामपरीक्षा दोपहर की शिफ्ट में थी और गर्म मौसम को ध्यान में रखते हुए केंद्रों पर विशेष सुविधाएं दी गई थी. इनमें ठंडा पीने का पानी, बिजली की निरंतर आपूर्ति, पोर्टेबल शौचालय और फर्स्ट एड और एम्बुलेंस की व्यवस्था शामिल थी.

फर्जीवाड़ा रोकने के लिए कड़ा कदमपेपर लीक और नकली दावों से निपटने के लिए NTA ने 26 अप्रैल को एक विशेष पोर्टल Suspicious Claims Reporting Portal लॉन्च किया. इस पर 2300 से अधिक शिकायतें दर्ज की गईं. इनमें 160 से अधिक Telegram चैनल और 30 Instagram पेज की पहचान हुई है. इन मामलों को गृह मंत्रालय के साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) को सौंपा गया.

जिलों में सुरक्षा को लेकर सख्त निगरानीपरीक्षा की सुरक्षा को पुख्ता बनाने के लिए DMs और SPs के साथ उच्च स्तरीय बैठकें की गई थी. इनमें प्रमुख निर्देश डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेशन कमिटी का गठन, मल्टी-लेयर फ्रिस्किंग व्यवस्था,  कोचिंग संस्थानों पर निगरानी और परीक्षा केंद्रों का फिजिकल इंस्पेक्शन और Public Examinations Act, 2024 का सख्त अनुपालन में शामिल था.

राधाकृष्णन समिति की सिफारिशों का असर दिखापूर्व ISRO प्रमुख डॉ. के. राधाकृष्णन की अगुवाई में बनी समिति की सिफारिशों को इस बार पूरी तरह लागू किया गया. इन सुधारों में डेटा सुरक्षा को मजबूत करना,  परीक्षा संचालन प्रक्रिया में सुधार, शिकायत निवारण प्रणाली का विस्तार और उच्च शिक्षण संस्थानों की निगरानी में भागीदारी शामिल था.

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