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खाटूश्याम कैसे पहुंचा बर्बरीक का शीश? इसके पीछे की क्या है कहानी… जान हो जाएंगे हैरान

Last Updated:March 15, 2025, 23:10 IST

Baba Khatu Shyam Mandir: बाबा खाटू श्याम मंदिर राजस्थान के सीकर में है. यहां दूर-दूर से लोग दर्शन करने पहुंचते हैं. द्वापर युग के बर्बरीक ही कलियुग में बाबा श्याम के रूप में पूजे जाते हैं.
कुरुक्षेत्र से खाटूश्याम कैसे पहुंचा बर्बरीक का शीश? कहानी जान हो जाएंगे हैरान

बाबा खाटू श्याम की कहानी.

सीकर. विश्व प्रसिद्ध बाबा श्याम को हारे का सहारा कहा जाता है. भक्तों की मान्यता के अनुसार बाबा श्याम अपने भक्तों के सारे कष्ट हर लेते हैं. यही कारण है कि बाबा श्याम के दरबार में हर साल करोड़ों भक्त अपनी अरदास लेकर खाटूश्याम जी मंदिर में जाते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि महाभारत काल के समय जब कुरुक्षेत्र में उन्होंने शीश दान दिया था तो वह खाटूश्याम जी कैसे पहुंचे. हम बताते हैं आपको. कलयुग के अवतार बाबा श्याम महाभारत कालीन के बर्बरीक थे. बर्बरीक भीम के पौत्र थे. उनके पास तीन ऐसी तीर थे जिनसे वे पूरी सृष्टि का विनाश कर सकते थे. ऐसे में जब वे महाभारत के युद्ध में जा रहे थे तब उन्होंने जो पक्ष हारेगा उसकी तरफ से लड़ने का प्रण लिया था.

ऐसे में जब पांडव हर रहे थे तो भगवान श्री कृष्णा ने सोचा कि अगर बर्बरीक महाभारत के युद्ध में आते हैं, तो युद्ध का पूरा पासा पलट जाएगा और पांडवों की हार होगी. जिसको देखते भी भगवान श्री कृष्ण ने ब्राह्मण का रूप धारण कर बर्बरीक के पास गए और उन्होंने बर्बरीक से पूछा कि वह कौन है. तब बर्बरीक ने कहा कि वह भीम के पौत्र हैं और महाभारत के युद्ध के लिए जा रहे हैं. तब तब ब्राह्मण रूप धारण किए हुए भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक को उसकी शक्ति का उपयोग करने के बारे में कहा तब बर्बरीक जिस पीपल के पेड़ के नीचे आराम कर रहे थे उस पेड़ के सारे पत्ते से तीर आर पार निकल जाए यह कहकर तीर छोड़ दिया.

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कुछ ही सेकेंड में पीपल के सारे पत्तों से तीर निकल गई. इस दौरान भगवान श्री कृष्ण ने एक पत्ता अपने पैर के नीचे रख लिया तभी तीर भगवान श्री कृष्ण के पैरों के ऊपर आकर रुक गया, तब बर्बरीक ने कहा कि आप अपना पैर हटा लीजिए जैसे ही भगवान श्री कृष्ण ने अपना पर हटाया तो वह तीर उसे पत्ते के आर पार हो गई तब भगवान श्री कृष्ण ने माना कि बर्बरीक एक महान योद्धा है.

बर्बरीक ने दान में श्री कृष्ण को दिया था शीशइसके बाद ब्राह्मण रूप धारण किए हुए भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक से दान मांगा तब बर्बरीक ने कहा कि आपको जो चाहिए वह मेरे से मांग लीजिए. तभी उन्होंने बर्बरीक से उनका शीश दान में मांग लिया बिना किसी सोचे समझे बर्बरीक ने अपना शीश भगवान श्री कृष्ण को दान दे दिया. बर्बरीक की इस दानशीलता के कारण भगवान कृष्ण बहुत प्रसन्न हुए. इसके बाद बर्बरीक ने पूरा महाभारत का युद्ध दिखा.

रूपवती नदी से बहकर खाटू पहुंचा था शीशअंत में जब जीत पांडवों की हुई तो भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक को हारे का सहारा कलयुग का अवतार बाबा श्याम कहलाने का वरदान दिया. उसके बाद उन्होंने बर्बरीक का शीश रूपवती नदी में बहा दिया. जो बहकर खाटूश्याम जी पहुंचा. इसके बाद जब गाय चराने वाले ग्वाले को बाबा श्याम का शीश मिला तो उनको वह शीश जागीरदार को सौंप दिया. उन्होंने खाटू श्याम जी का मंदिर बनवा दिया जो आज भव्य और विशाल बन चुका है.


Location :

Sikar,Rajasthan

First Published :

March 15, 2025, 23:10 IST

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