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बैंड बाजा बारात….इस शहर में होली पर निकलती है अनोखी बारात, बिना दुल्हन के लौटता है दुल्हा

Last Updated:March 16, 2025, 06:01 IST

बीकानेर में धुलंडी पर 300 साल पुरानी परंपरा में हर्ष जाति का अविवाहित युवक विष्णु रूप में दूल्हा बनता है और बिना दुल्हन के बारात लेकर लौटता है. इस बारात में उल्लास और उमंग का माहौल होता है.X
बीकानेर
बीकानेर में धुलंडी के दिन एक अनोखी बारात निकलती

हाइलाइट्स

बीकानेर में धुलंडी पर 300 साल पुरानी परंपरा निभाई जाती है.दूल्हा विष्णु रूप में सजकर बिना दुल्हन के लौटता है.बारात में उल्लास और उमंग का माहौल होता है.

निखिल स्वामी/बीकानेर. बीकानेर में धुलंडी के दिन एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है, जिसमें दूल्हा बारात लेकर लड़की के घर जाता है, लेकिन दुल्हन के बिना ही वापस लौट आता है. यह परंपरा 300 साल पुरानी है और हर्ष जाति का अविवाहित युवक विष्णु रूप में सजकर इस बारात में दूल्हा बनकर शामिल होता है. लोग मानते हैं कि इस परंपरा में दूल्हा बनने वाले युवक की एक साल के भीतर शादी हो जाती है.

इस बार ऋषि हर्ष विष्णु रूप में दूल्हा बने और मोहता चौक से बारात लेकर निकले. बैंड-बाजे की धुन पर बारातियों ने मांगलिक गीत गाए और दूल्हे का स्वागत किया. बारात शहर के 13 प्रमुख मकानों तक पहुंची, यहां घर की महिलाओं ने पोखने की रस्म निभाई और मांगलिक गीत गाए. इस परंपरा में न तो विवाह होता है और न ही फेरे. दूल्हा इन मकानों पर रस्म निभाने के बाद पुनः मोहता चौक लौट आता है. इस दौरान दूल्हा और बाराती 13 मकानों पर पहुंचते हैं, यहां महिलाएं इसे पोखने की रस्म निभाती हैं.

हर साल बिना दुल्हन के लौटता है दूल्हा इतिहास के व्याख्याता मुकेश हर्ष के अनुसार, यह परंपरा तीन शताब्दियों से निभाई जा रही है. जिस रास्ते से बारात गुजरती है, वहां का माहौल एक विवाह जैसा बन जाता है. शंखध्वनि, झालर की झंकार और मांगलिक गीतों के बीच यह बारात प्रेम, सद्भाव और परंपरा का संदेश देती है. धुलंडी पर निकलने वाली इस अनूठी बारात की विशेषता यह है कि दूल्हा हर साल बिना दुल्हन के लौटता है, फिर भी उल्लास और उमंग में कोई कमी नहीं होती. बारातियों की खूब खातिरदारी की जाती है और जिन मार्गों से बारात निकलती है, वहां का माहौल विवाह मय हो जाता है. हर्ष जाति का अविवाहित युवक ही इस परंपरा में दूल्हा बनता है और बारात में शामिल होकर वह दस से अधिक निर्धारित मकानों पर पहुंचता है.

दूल्हा विष्णु रूप में सजकर बारात में होता है शामिल मुकेश हर्ष बताते हैं कि इस परंपरा में दूल्हा विष्णु रूप में सजकर बारात में शामिल होता है. वह सिर पर खिड़किया पाग, ललाट पर पेवड़ी और कुमकुम अक्षत तिलक, बनियान और पीताम्बर पहने हुए, गले में पुष्पहार धारण कर के पैदल बारात में चलता है. इस बारात में युवक के घर-परिवार, समाज, मोहल्ला और हर्ष जाति के लोग शामिल होते हैं. दूल्हा विष्णु रूप में सज-धज कर इस परंपरागत बारात का हिस्सा बनता है.


Location :

Bikaner,Rajasthan

First Published :

March 16, 2025, 06:01 IST

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इस गांव में 300 साल पुरानी परंपरा, बिन दुल्हन के लौटता है दूल्हा, जानें रस्में

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