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6174 KMPH की तूफानी रफ्तार से अटैक, बंकर को पल झपकते कर देगा धुआं-धुआं, F-35 और राफेल नहीं, यह जेट होगा असली बॉस – defence research development organisation drdo rudram3 hypersonic missile 6174 kmph speed Su30MKI fighter jet f35 rafale

Last Updated:October 11, 2025, 12:13 IST

RudraM-III Hypersonic Missile: भारत विध्‍वंसक मिसाइल सिस्‍टम डेवलप करने के मामले में दुनिया के सर्वश्रेष्‍ठ देशों में शुमार है. सुखोई, मिराज, राफेल से लेकर देसी तेजस फाइटर जेट में मॉडर्न एज मिसाइल इंटीग्रेट किया गया है, जिससे दुश्‍मन भी थर्राते हैं. 6174 KMPH की तूफानी रफ्तार से अटैक, बंकर को पल झपकते कर देगा धुआं-धुआंDRDO ने हाइपरसोनिक मिसाइल RudraM-III को डेवलप करने में महत्‍वपूर्ण प्रगति की है. (फाइल फोटो/PTI)

RudraM-III Hypersonic Missile: देश और दुनिया में सामरिक हालात लगातार बदल रहे हैं. रूस-यूक्रेन और इजरायल-ईरान सशस्‍त्र संघर्ष ने तस्‍वीर को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है. ऑपरेशन सिंदूर ने हालात को और भी गंभीर बना दिया. इसके बाद भारत ने अपने डिफेंस सिस्‍टम को अपग्रेड करने के साथ ही उसे मजबूत करने की रफ्तार को टॉप गियर में पहुंचा दिया है. बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइल के साथ ही फाइटर जेट और एयर डिफेंस सिस्‍टम को डेवलप करने की दिशा में हर दिन नई इबारत लिखी जा रही है. इसमें डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) और हिन्‍दुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड (HAL) जैसी एजेंसियां महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. डीआरडीओ अब इस दिशा में उल्‍लेखनीय सफलता हासिल करने के करीब पहुंच चुका है. इस प्रोजेक्‍ट के पूरा होने से Su-30MKI मल्‍टीरोल फाइटर जेट कुछ मायनों में राफेल और F-35 जैसे लड़ाकू विमान से भी आगे निकल जाएगा.

दरअसल, DRDO रुद्रम मिसाइल के तीसरे वर्जन को डेवलप करने में जुटा है. RudraM-III को विकसित करने के मामले में डीआरडीओ ने महत्‍वपूर्ण सफलता हासिल की है. इसे Su-30MKI फाइटर जेट में इंटीग्रेट किया जाना है. यह काम पूरा होने के बाद यह लड़ाकू विमान और भी घातक बन जाएगा. दुश्‍मन देश पहले ही Su-30MKI की ताकत और मारक क्षमता को देख चुका है. रुद्रम-3 मिसाइल का इंटीग्रेशन पूरा होने के बाद शत्रुओं का पसीना छूटना तय है. रुद्रम के दो वर्जन पहले ही डेवलप किए जा चुके हैं. रुद्रम का तीसरा संस्‍करण अपने पूर्ववर्ती दोनों वर्जन से ज्‍यादा खतरनाक और घातक होने वाला है.6000 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्‍यादा रफ्तार

RudraM-III मारक क्षमता और घातक होने के मामले में कई मिसाइल को पीछे छोड़ देगा. ‘इंडिया डिफेंस रिसर्च विंग’ की रिपोर्ट के अनुसार, RudraM-III की रफ्तार मैक-5 या उससे जयादा होगी. इस तरह यह मिसाइल 6000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दुश्‍मन की तरफ मूव करने में सक्षम होगी. हाइपरसोनिक रफ्तार होने की वजह से दुश्‍मन को संभलने का मौका भी नहीं मिलेगा और सूपड़ा साफ हो जाएगा. RudraM-III हवा से लॉन्‍च किया जा सकेगा. यह लॉन्‍ग रेंज की मिसाइल है. इसका मतलब यह हुआ कि फाइटर जेट काफी दूर से ही टारगेट को ध्‍वस्‍त कर देगा, जिससे लड़ाकू विमान दुश्‍मन के जद में नहीं आएगा. हाइपरसोनिक स्‍पीड होने की वजह से रडार के लिए RudraM-III का डिटेक्‍ट कर पाना काफी मुश्किल होगा.

Su-30MKI के लिए खासतौर पर डिजाइन

भारत के स्वदेशी रक्षा कार्यक्रम को नई गति देते हुए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने बताया है कि रुद्रम-III मिसाइल परियोजना ने विकास के अहम चरण पार कर लिए हैं. यह लंबी दूरी की एयर-लॉन्च्ड एंटी-रेडिएशन मिसाइल भारतीय वायुसेना के Su-30MKI लड़ाकू विमान से छोड़ी जाने के लिए डिजाइन की गई है . रुद्रम सीरीज की यह नवीनतम मिसाइल रुद्रम-I और रुद्रम-II के बाद विकसित की गई है और अब यह हाइपरसोनिक प्लेटफॉर्म के रूप में सामने आई है. Mach 5 (6174 किलोमीटर प्रति घंटा) से अधिक गति प्राप्त करने वाली यह मिसाइल शत्रु के रडार, कमांड सेंटर और मोबाइल लॉन्चर जैसे लक्ष्यों पर तेज़ और सटीक प्रहार करने में सक्षम है. इसे Instruments Research and Development Establishment (IRDE) और Research Centre Imarat (RCI) ने संयुक्त रूप से विकसित किया है. मिसाइल में लगा सॉलिड-फ्यूल रैमजेट इंजन (Defence Research and Development Laboratory, DRDL द्वारा विकसित) इसे उच्च गति और अधिक दूरी तक मार करने की क्षमता देता है.

Su-30MKI में रुद्रम-3 मिसइाल को इंटीग्रेट किया जाना है. (पीटीआई)

बंकर को तबाह करने में सक्षम

रुद्रम-III LOBL (Lock-on-Before-Launch) और LOAL (Lock-on-After-Launch) दोनों मोड में संचालित हो सकती है. इससे पायलट 1 से 15 किलोमीटर ऊंचाई से शत्रु के रेडिएशन सोर्स पर प्रहार कर सकता है, जबकि स्वयं की पहचान छिपाए रख सकता है. इसमें लगा पैसिव रडार सीकर बिना सिग्नल प्रसारित किए शत्रु के रेडिएशन को ट्रैक करता है, जबकि इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (INS) और GPS के संयोजन से यह मिसाइल जटिल भूभागों में भी सटीक मार्ग बनाए रखती है. इसके अलावा यह मिसाइल बंकर को भी तबाह करने में सक्षम होगा. DRDO के अनुसार वर्ष 2023 में मिसाइल की कई महत्वपूर्ण उप-प्रणालियों — जैसे रैमजेट सस्टेनर, सीकर इलेक्ट्रॉनिक्स और कंट्रोल एक्टुएटर्स — का सफल एकीकरण किया गया. Aircraft Systems Testing Establishment (ASTE), बेंगलुरु में सु-30MKI विमान के साथ इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल एडॉप्टेशन ट्रायल भी पूरे कर लिए गए, जिनमें एयरोडायनेमिक संगतता और पावर कंडीशनिंग की पुष्टि हुई.

राफेल और तेजस MK-2 में इंटीग्रेशन

जुलाई 2025 में रुद्रम-III को पहली बार बंगाल की खाड़ी के ऊपर Su-30MKI से छोड़ा गया. ट्रायल में मिसाइल ने स्थिर अलगाव और सीकर द्वारा लक्ष्य अधिग्रहण की सफलता प्रदर्शित की. अब यूुजर ट्रायल वर्ष 2025 के अंत में इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR), चांदीपुर में प्रस्तावित हैं. 2026-27 तक इसके पूर्ण परिचालन स्वीकृति (Full Operational Clearance) मिलने की उम्मीद है. विकास चरण में Development of Critical Production Parameters (DCPP) की पहचान कर उत्पादन प्रक्रिया को सरल बनाया गया है. इसके आधार पर भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) में 2026 तक सीमित श्रृंखला उत्पादन (Limited Series Production) शुरू करने की योजना है. DRDO रुद्रम-III को अन्य प्लेटफॉर्म्स — जैसे राफेल और तेजस Mk-2 — से जोड़ने की संभावना पर भी काम कर रहा है, जिससे यह मिसाइल इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारतीय वायुसेना की सामरिक क्षमता को और मजबूत करेगी.

Manish Kumar

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु…और पढ़ें

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु… और पढ़ें

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First Published :

October 11, 2025, 12:00 IST

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