UNESCO सूची में शामिल होने को तैयार कुचिपुड़ी नृत्य

Last Updated:October 28, 2025, 13:37 IST
आंध्र प्रदेश के कुचिपुड़ी गांव से जन्मे कुचिपुड़ी नृत्य ने मंदिरों की पारंपरिक भक्ति से शुरू होकर आज दुनिया भर में अपनी अलग पहचान बनाई है. अपनी ऊर्जा, गति और भाव-भंगिमाओं के लिए प्रसिद्ध यह शैली भारतीय पौराणिक कथाओं को जीवंत करती है. अमेरिका, यूरोप, जापान और कोरिया में इसके अध्ययन और प्रदर्शन में वृद्धि हुई है, जबकि सोशल मीडिया ने नई पीढ़ी में इसे लोकप्रिय बनाया है. संस्कृति मंत्रालय ने UNESCO की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल कराने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है.
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तेलंगाना. भारत की छह प्रमुख शास्त्रीय नृत्य शैलियों में शामिल कुचिपुड़ी ने दुनिया भर में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. इस नृत्य का नाम आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले स्थित कुचिपुड़ी गांव के नाम पर पड़ा है, जहां से इसकी यात्रा शुरू हुई. नृत्यांगना संगीता के अनुसार, कुचिपुड़ी की शुरुआत मंदिरों में हुई थी. इसे पहले केवल भगवतुलु नामक ब्राह्मण पुरुष ही प्रस्तुत करते थे.
यह नृत्य भगवान को समर्पित एक भक्ति का रूप था और मंदिर परिसरों में ही इसका मंचन होता था. कुचिपुड़ी अपनी ऊर्जा, गति, सुंदर मुद्राओं और भाव-भंगिमाओं के लिए जानी जाती है. नर्तकों द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली कहानियां अक्सर भारतीय पौराणिक ग्रंथों से ली जाती हैं.
वैश्विक पहचानसमय के साथ यह नृत्य शैली मंदिरों से निकलकर देश-विदेश के मंचों तक पहुंच चुकी है. आज दुनिया भर के कलाकार इसे सीख रहे हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं, जिससे भारतीय संस्कृति का प्रसार हो रहा है. अमेरिका के 20 से अधिक विश्वविद्यालयों में कुचिपुड़ी को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है. यूरोप में पिछले पांच वर्षों में कुचिपुड़ी कार्यशालाओं में 300% की वृद्धि हुई है. जापान और कोरिया में इस नृत्य शैली के प्रति विशेष रुझान सामने आ रहे हैं.
नई पीढ़ी में लोकप्रियतासोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने कुचिपुड़ी को नई पहचान दी है. यूट्यूब पर कुचिपुड़ी के तहत 5 लाख से अधिक वीडियो उपलब्ध हैं, जबकि इंस्टाग्राम पर 10 लाख से अधिक पोस्ट इसी हैशटैग के साथ साझा की जा चुकी हैं.
UNESCO सूची में शामिल होने का इंतजारप्रसिद्ध नृत्यांगना डॉ. अनुराधा जोन्नालगद्दा कहती हैं कि कुचिपुड़ी की लोकप्रियता का कारण इसकी लचीली प्रकृति है. यह शैली पारंपरिक होते हुए भी आधुनिक विषयों को आसानी से समेट लेती है. संस्कृति मंत्रालय ने कुचिपुड़ी को UNESCO की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल कराने की प्रक्रिया शुरू की है, इसके लिए विशेष कमेटी गठित की गई है.
Hello I am Monali, born and brought up in Jaipur. Working in media industry from last 9 years as an News presenter cum news editor. Came so far worked with media houses like First India News, Etv Bharat and NEW…और पढ़ें
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Location :
Hyderabad,Telangana
First Published :
October 28, 2025, 13:37 IST
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भारत की ये प्रमुख शास्त्रीय नृत्य शैली जल्द UNESCO सूची में हो सकती है शामिल



