Rajasthan

Famous Amla Murabba : दौसा के किसान का जादुई फार्मूला… ऐसा मुरब्बा बनाया कि खाने वाले भूल गए बाजार का स्वाद!

Last Updated:November 06, 2025, 17:25 IST

Amla Murabba Recipe : सिकराय के बच्चू सिंह मीणा ने आंवले से बिना रसायन के प्राकृतिक मुरब्बा बनाकर स्थानीय बाजार में लोकप्रियता पाई, कृषि विभाग से सम्मानित हुए और किसानों को प्रेरित कर रहे हैं.

दौसा. स्वाद और सेहत का मेल जब एक साथ हो, तो वह न सिर्फ लोगों का ध्यान खींचता है बल्कि प्रेरणा भी देता है. सिकराय क्षेत्र के किसान बच्चू सिंह मीणा की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. उन्होंने अपने खेत में आंवले की खेती कर उससे प्राकृतिक मुरब्बा तैयार करने का अनोखा तरीका अपनाया है. उनके बनाए मुरब्बे की खासियत यह है कि इसमें किसी भी तरह का रासायनिक पदार्थ नहीं मिलाया जाता, जिससे यह पूरी तरह स्वास्थ्यवर्धक होता है. यही वजह है कि आज उनका आंवले का मुरब्बा न केवल स्थानीय बाजार में बल्कि आसपास के गांवों में भी खूब पसंद किया जा रहा है.

बच्चू सिंह मीणा के खेत में कई तरह के पौधे लगे हैं, जिनसे वे घरेलू उत्पाद तैयार करते हैं. लेकिन सबसे लोकप्रिय उत्पाद उनका आंवला मुरब्बा है. वे बताते हैं कि इसकी तैयारी में सबसे पहले आंवलों को पानी से अच्छी तरह धोया जाता है ताकि धूल और मिट्टी निकल जाए. इसके बाद आंवलों को चुने या नमक के पानी में लगभग 11 दिन तक रखा जाता है. इस प्रक्रिया से आंवले मुलायम हो जाते हैं और उनकी कड़वाहट समाप्त हो जाती है. अगर किसी को जल्दी मुरब्बा बनाना हो, तो आंवलों को हल्का गर्म करके भी यह प्रक्रिया पूरी की जा सकती है. फिर आंवलों को धूप में सुखाया जाता है, जिससे वे धीरे-धीरे पिघलकर गाढ़े और स्वादिष्ट मुरब्बे में बदल जाते हैं.

मिश्री से बनता है स्वादिष्ट और पौष्टिक मुरब्बामीणा का कहना है कि मुरब्बा बनाने में मिश्री का इस्तेमाल करना सेहत के लिए बेहतर होता है. मिश्री से बना मुरब्बा न केवल ज्यादा स्वादिष्ट होता है बल्कि शरीर को ऊर्जा और शीतलता भी देता है. वहीं चीनी से बने मुरब्बे की मांग अपेक्षाकृत कम रहती है. उन्होंने बताया कि मिश्री से तैयार मुरब्बे की बाजार में कीमत भी अधिक मिलती है, जिससे किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सकती है.

स्वास्थ्य लाभ और प्रेरणा का संदेशबच्चू सिंह मीणा के अनुसार आंवले का मुरब्बा विटामिन ‘सी’ का प्रमुख स्रोत है. इसके नियमित सेवन से पाचन तंत्र मजबूत होता है, आंखों की रोशनी बढ़ती है और त्वचा में निखार आता है. वे खुद कई वर्षों से इसका सेवन कर रहे हैं और कहते हैं कि इससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि हुई है. उनकी मेहनत और लगन देखकर कृषि विभाग ने भी उन्हें सम्मानित किया है. आज वे क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन गए हैं, जो परंपरागत खेती को नई सोच और नवाचार के साथ जोड़कर आत्मनिर्भरता की राह दिखा रहे हैं.

Anand Pandey

नाम है आनंद पाण्डेय. सिद्धार्थनगर की मिट्टी में पले-बढ़े. पढ़ाई-लिखाई की नींव जवाहर नवोदय विद्यालय में रखी, फिर लखनऊ में आकर हिंदी और पॉलीटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया. लेकिन ज्ञान की भूख यहीं शांत नहीं हुई. कल…और पढ़ें

नाम है आनंद पाण्डेय. सिद्धार्थनगर की मिट्टी में पले-बढ़े. पढ़ाई-लिखाई की नींव जवाहर नवोदय विद्यालय में रखी, फिर लखनऊ में आकर हिंदी और पॉलीटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया. लेकिन ज्ञान की भूख यहीं शांत नहीं हुई. कल… और पढ़ें

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Dausa,Rajasthan

First Published :

November 06, 2025, 17:25 IST

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दौसा के किसान का जादुई फार्मूला…ऐसा मुरब्बा बनाया कि लोग भूल गए बाजारी स्वाद

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