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13 दिन तक वेंटिलेटर पर रही 6 साल की बच्ची, आखिर मिला नया जीवन, जोधपुर एम्स के डॉक्टरों ने किया कमाल

Agency: Rajasthan

Last Updated:February 20, 2025, 16:34 IST

जोधपुर एम्स के डॉक्टरों ने एआरडीएस से जूझ रही 6 साल की बच्ची का जीवन बचाने में सफलता मिली है. यहां पहली बार पीडियाट्रिक ईएसएमओ प्रणाली से उपचार किया गया. 13 दिन तक वेंटिलेटर पर रही 6 साल की बच्ची, आखिर मिला नया जीवन

जोधपुर एम्स 

हाइलाइट्स

एम्स जोधपुर ने 6 साल की बच्ची की जान बचाई.पहली बार पीडियाट्रिक ईएसएमओ प्रणाली से उपचार किया गया.बच्ची 13 दिन वेंटिलेटर पर रही और अब स्वस्थ है.

जोधपुर. एम्स जोधपुर ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए गंभीर बीमारी एआरडीएस (अक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम) से जूझ रही छह साल की बच्ची का जीवन बचा लिया. 13 दिन तक वेंटिलेटर पर जूझने के बावजूद डॉक्टरों ने उसका बेहतर उपचार कर जीवन बचा लिया. इसके लिए एस में पहली बार बीमार बच्ची का पीडियाट्रिक ईएसएमओ (एक्स्ट्राकोर्पोरियल मेंब्रेन ऑक्सीजन) प्रणाली से उपचार किया गया, जिसमें बच्ची के रक्त को शरीर से बाहर निकालकर उसे ऑक्सीजन कृत किया गया, ताकि फेफड़ों पर भार कम हो और वे जल्द स्वस्थ हो सके. इस बच्ची को इन्लूएंज़ा बी वायरस के कारण एआरडीएस बीमारी हो गई थी. हॉस्पिटल लाते वक्त हालत बहुत नाजुक थी. महीने भर तक हॉस्पिटल में रहने के बाद मंगलवार को बच्ची के स्वस्थ घर लौटने पर डॉक्टर भी खुश हुए.

इस जटिल बीमारी के लिए एस के पीडियाट्रिक, कार्डियो थोरासिक और वैसकुलर सर्जरी (सीटीवीएस) और एनेस्थिसियोलॉजी व क्रिटिकल केयर विभागों की विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने मिलकर हल किया.

एक महीने तक आईसीयू में रही बच्ची6 वर्षीय बालिका को बुखार व सांस लेने में कठिनाई हो रही थी और उसे जोधपुर के कई अस्पतालों में उपचार लिया. मगर उसकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ और उसे 20 जनवरी 25 को एम्स जोधपुर के पीडियाट्रिक आईसीयू में गंभीर स्थिति में भर्ती किया. जहां इन्फ्लूएंजा बी वायरस के कारण गंभीर एआरडीएस का निदान किया गया. यांत्रिक वेंटिलेशन पर उच्च सेटिंग्स के बावजूद बच्चे का ऑक्सीजन स्तर खतरनाक रूप से कम रहा जिसके कारण चिकित्सा टीम ने इसीएमओ शुरू करने का जीवन रक्षक निर्णय लिया. यह एक प्रक्रिया है जो शरीर के बाहर रक्त को ऑक्सीजन प्रदान करके फेफड़ों को अस्थायी रूप से सहारा देती है. इस प्रक्रिया में शरीर के बाहर रक्त को ऑक्सीजन दिया जाता है ताकि फेफड़े अस्थायी रूप से ठीक हो सके. छह दिन तक लगातार निगरानी रखने के बाद बच्ची की हालत में सुधार होने लगा और 13 दिन के बाद उसे सफलतापूर्वक वेंटिलेटर से हटा लिया गया.

यह एम्स जोधपुर के लिए ऐतिहासिक क्षणडॉ. कुलदीप सिंह पीडियाट्रिक विभाग के एचओडी ने कहा, हमारी पहली पीडियाट्रिक इसीएमओ सफलता इस संस्थान की उन्नत क्षमताओं और पेडियाट्रिक क्रिटिकल केयर में उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है. यह राजस्थान में किसी सरकारी अस्पताल में की गई पहली पीडियाट्रिक इसीएमओ प्रक्रिया थी. वहीं डॉ. आलोक कुमार शर्मा, सी टीवीएस विभाग के एचओडीए ने बच्चे के उपचार के दौरान सहायता की.


Location :

Jodhpur,Jodhpur,Rajasthan

First Published :

February 20, 2025, 16:34 IST

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13 दिन तक वेंटिलेटर पर रही 6 साल की बच्ची, आखिर मिला नया जीवन

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