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वन विभाग की पहल! बांस उद्योग का हब बनेगा उदयपुर, फर्नीचर और हैंडीक्राफ्ट फैक्ट्री की होगी स्थापना

Last Updated:March 17, 2025, 17:41 IST

Udaipur Forest Department Bamboo Project: राजस्थान के उदयपुर में बड़े पैमाने पर डेंड्रोकैलामस स्ट्रिक्टस नामक विशेष प्रजाति का बांस पाया जाता है. इसकी लंबाई 35 से 40 फीट तक होती है. वन विभाग ने एक विशेष प्रोजेक्…और पढ़ेंवन विभाग की पहल! उदयपुर में बांस से बनेगा फर्नीचर और हैंडीक्राफ्ट

उदयपुर में बांस फैक्ट्री 

हाइलाइट्स

उदयपुर में बांस उद्योग का हब बनेगा.स्थानीय कारीगरों को ट्रेनिंग और रोजगार मिलेगा.फर्नीचर और हैंडीक्राफ्ट फैक्ट्री स्थापित होगी.

उदयपुर. राजस्थान में सबसे ज्यादा बांस उत्पादन करने वाले उदयपुर जिले में अब इसका उपयोग फर्नीचर और हैंडीक्राफ्ट के सामान बनाने में किया जाएगा. इसके लिए वन विभाग ने एक विशेष प्रोजेक्ट तैयार किया है, जिसके तहत मध्य प्रदेश और गुजरात की तर्ज पर जिले में फैक्ट्री स्थापित की जाएगी. इस पहल से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा और सरकार को भी राजस्व में बढ़ोतरी होगी.

अभी तक सिरोही में होती थी नीलामी

उदयपुर जिले में बांस की भरपूर पैदावार होने के बावजूद, अब तक यहां कोई स्थानीय फैक्ट्री नहीं थी. कटाई के बाद बांस को सिरोही जिले की स्वरूपगंज मंडी भेज दिया जाता था, जहां से टोंक और जयपुर के व्यापारी इसे खरीदकर फर्नीचर और अन्य उत्पाद बनाते थे. लेकिन, अब उदयपुर में ही उत्पादन शुरू होने से यह प्रक्रिया स्थानीय स्तर पर ही पूरी हो सकेगी, जिससे क्षेत्र के कारीगरों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे.

पहले मिलेगी ट्रेनिंग, फिर होगा उत्पादन

वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सबसे पहले स्थानीय कारीगरों को ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि वे बांस से फर्नीचर और हैंडीक्राफ्ट के उत्पाद बनाना सीख सके. जैसे ही इस प्रोजेक्ट को मुख्यालय से मंजूरी मिलेगी, जिले में फैक्ट्री स्थापित की जाएगी और उत्पादन शुरू किया जाएगा. वन विभाग हर साल बांस की कटाई करता है, जिससे करीब 3 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होता है. इस प्रक्रिया में स्थानीय कथौड़ी जनजाति को भी रोजगार मिलता है, जो बांस की कटाई में विशेषज्ञ मानी जाती है. इनके लिए जंगल में अस्थायी कच्चे घर बनाए जाते हैं, ताकि वे इस काम को आसानी से कर सकें.

उदयपुर में होती है बांस की कमर्शियल हार्वेस्टिंग

उदयपुर जिले में डेंड्रोकैलामस स्ट्रिक्टस नामक विशेष प्रजाति का बांस पाया जाता है. इसकी लंबाई 35 से 40 फीट तक होती है, जो फर्नीचर, सीढ़ियां, झोपड़ी निर्माण और बल्लियां बनाने के लिए आदर्श मानी जाती है. जिले के कोटड़ा, देवला और ओगणा ब्लॉक में बांस का सबसे अधिक उत्पादन होता है. उदयपुर जिले में कमर्शियल हार्वेस्टिंग की जाती है, जिसके तहत बांस के जंगलों को चार ब्लॉकों में बांटा गया है. हर साल एक ब्लॉक में कटाई होती है और फिर उसे चार साल तक छोड़ दिया जाता है, जिससे नए बांस विकसित हो सकें. इसके अलावा, हर साल बांस की निराई और गुड़ाई भी की जाती है, ताकि उत्पादन को बढ़ाया जा सके.

यहां भी होती है बांस की पैदावार

उदयपुर के अलावा संभाग के बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ और डूंगरपुर जिलों में भी बांस की पैदावार होती है, हालांकि वहां अभी तक कमर्शियल हार्वेस्टिंग शुरू नहीं हुई है. लेकिन, अब ग्रामीणों और वन समितियों ने बांस की खेती करना शुरू कर दिया है, जिससे वहां भी स्थानीय स्तर पर इसका उपयोग बढ़ने लगा है.


Location :

Udaipur,Rajasthan

First Published :

March 17, 2025, 17:41 IST

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वन विभाग की पहल! उदयपुर में बांस से बनेगा फर्नीचर और हैंडीक्राफ्ट

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