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सिर्फ पूजा के लिए नहीं है ये पौधा, 21 दिन में कमजोरी करे दूर, पीलिया का जड़ से इलाज, मूत्र रोग में भी कारगर!

छतरपुर. आपने कांटे वाले इस छोटे से पौधे को जरूर देखा होगा. सड़क किनारे या झाड़-झंखाड़ में यह पौधा अक्सर दिख जाता है. तमाम जगहों पर इसके अलग-अलग नाम हैं, लेकिन आयुर्वेद इसे सत्यानाशी के नाम से जानता है. बताया जाता है कि यह पौधा औषधीय गुणों का भंडार है, लेकिन ज्यादातर लोग इसके बारे में नहीं जानते. इस पौधे का उपयोग साल में एक बार भाई दूज त्यौहार की पूजा में सामाजिक रूप से किया जाता है. लोग इसे केसरा, भटकटैया या सत्यानाशी नाम से भी जानते हैं.

कई रोगों में कारगरवहीं, छतरपुर के आयुर्वेदिक डॉ. आरसी द्विवेदी ने लोकल 18 को बताया कि आयुर्वेद में केसरा या सत्यानाशी के पत्ते का रस, बीज का तेल, पत्तियों का लेप तथा फूलों से निकलने वाले दूध का इस्तेमाल कई तरीकों से किया जाता है. वैसे तो इस पौधे का इस्तेमाल मुख्य रूप से शारीरिक कमजोरी को दूर करने के लिए किया जाता है, लेकिन इसके विभिन्न औषधीय गुण मधुमेह, पीलिया, पेट दर्द, खांसी तथा यूरिन की समस्या में भी राहत प्रदान करते हैं. इस पौधे में पीले रंग का द्रव्य निकलता है, जिसमें एंटी माइक्रोबियल, एंटी-डायबिटिक, एनाल्जेसिक, एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटीस्पास्मोडिक और एंटीऑक्सीडेंट जैसे कई गुणकारी तत्व पाए जाते हैं.

शारीरिक कमजोरी सुधारे डॉ. द्विवेदी के मुताबिक, सत्यानाशी में शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने का गुण होता है, इसलिए अगर आप शुक्राणुओं की कमी के कारण निःसंतान हैं तो इसका इस्तेमाल करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है. इसके लगातार सेवन से महज 21 दिनों में शारीरिक कमजोरी समाप्त हो सकती है.

पीलिया में भी मददगार पीलिया जैसी खतरनाक बीमारी के लिए भी सत्यानाशी का पौधा रामबाण इलाज है. अगर किसी व्यक्ति को पीलिया हो गया है, तो उसे सत्यानाशी के तेल में गिलोय का रस मिलाकर सेवन करना चाहिए. इससे पीलिया जड़ से खत्म हो जाता है.

यूरिन की समस्या का समाधान यदि आप पेशाब करते समय जलन तथा पेशाब के रुक-रुक कर होने की समस्या से परेशान हैं तो इनमें सत्यानाशी बेहद उपयोगी साबित हो सकता है. इसमें मूत्रवर्धक गुण होते हैं जो पेशाब से जुड़ी ज्यादातर परेशानियों से राहत दिलाते हैं. इसके लिए आपको सत्यानाशी के पत्तों का काढ़ा बनाकर सेवन करना होगा.

ऐसे करें सेवन डॉ. द्विवेदी के मुताबिक, इसके सेवन के दो तरीके हैं. पहला तरीका यह कि आप सत्यानाशी के पौधे की जड़, पत्तियों एवं फूलों को पीसकर उससे निकलने वाले रस का सेवन करें या फिर आप उनकी पत्तियों को सुखाकर उसका चूर्ण बना लें और फिर उसे हर दिन सुबह-शाम पानी या दूध के साथ खाएं. ध्यान रहे कि रस के रूप में आपको उसे हर दिन अधिकतम 20 मिलीलीटर ही लेना है और चूर्ण के रूप में सुबह शाम एक-एक चम्मच का सेवन करना है.

Tags: Chhatarpur news, Health tips, Local18

FIRST PUBLISHED : January 1, 2025, 19:39 IST

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

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