Rajasthan

उदयपुर के पूर्व राजपरिवार का संपत्ति विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, अरविंद सिंह मेवाड़ की वसीयत को दी गई चुनौती

Last Updated:December 19, 2025, 12:57 IST

Mewar property dispute : मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार में दशकों से चला आ रहा संपत्ति विवाद अब देश की सर्वोच्च अदालत तक पहुंच गया है. अरविंद सिंह मेवाड़ की वसीयत को लेकर उनके बेटे लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ और बेटी पद्मजा कुमारी परमार आमने-सामने हैं. सुप्रीम कोर्ट ने सभी मामलों को दिल्ली हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया है, जहां 11 जनवरी को सुनवाई होगी.news 18

मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार में दशकों से चला आ रहा संपत्ति विवाद अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. पूर्व महाराणा भगवत सिंह मेवाड़ के उत्तराधिकारी रहे अरविंद सिंह मेवाड़ की वसीयत को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. यह विवाद अरविंद सिंह मेवाड़ के बेटे लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ और बेटी पद्मजा कुमारी परमार के बीच है. दोनों के बीच सिटी पैलेस, एचआरएच ग्रुप ऑफ होटल्स और अन्य बहुमूल्य संपत्तियों के अधिकार को लेकर कानूनी टकराव चल रहा है.

उदयपुर

मामले से जुड़े सभी प्रमुख केसों को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया है. अब इस पूरे विवाद की सुनवाई 11 जनवरी को दिल्ली हाईकोर्ट में होगी. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ को मेवाड़ परिवार का उत्तराधिकारी माना जाता है और वे एचआरएच ग्रुप ऑफ होटल्स के प्रमुख भी हैं. वहीं उनकी बहन पद्मजा कुमारी परमार ने भी संपत्ति में अपने अधिकार को लेकर अलग याचिका दायर की है.

Udaipur

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने बताया कि याचिकाकर्ता उदयपुर के पूर्व राजपरिवार से जुड़े हैं और विवाद मुख्य रूप से उत्तराधिकार और अरविंद सिंह मेवाड़ की वसीयत की वैधता को लेकर है. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने मुंबई हाईकोर्ट में लंबित मामलों को राजस्थान हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने की मांग की थी, जबकि पद्मजा कुमारी ने जोधपुर बेंच राजस्थान हाईकोर्ट से मामलों को बॉम्बे हाईकोर्ट भेजने की याचिका दायर की थी.

Add as Preferred Source on Google

उदयपुर

सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुझाव दिया कि सभी संबंधित मामलों को एक ही हाईकोर्ट में सुना जाना चाहिए. इसके बाद कोर्ट ने सभी मामलों को दिल्ली हाईकोर्ट ट्रांसफर करने का आदेश दिया.साथ ही यह भी कहा कि यदि दोनों पक्षों के बीच कोई अन्य मामला किसी अन्य कोर्ट में लंबित है, तो उसे भी दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रांसफर कराने के लिए आवेदन किया जा सकता है.

news 18

मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार में संपत्ति विवाद की जड़ें कई दशक पुरानी हैं. महाराणा भगवत सिंह मेवाड़ के तीन संतानें थीं—महेंद्र सिंह मेवाड़, अरविंद सिंह मेवाड़ और योगेश्वरी कुमारी. वर्ष 1983 में भगवत सिंह मेवाड़ ने पारिवारिक संपत्तियों को बेचने और लीज पर देने का निर्णय लिया था, जिसका बड़े बेटे महेंद्र सिंह मेवाड़ ने विरोध किया और वे अपने पिता के खिलाफ अदालत चले गए.

उदयपुर

इस विवाद के बाद भगवत सिंह मेवाड़ बड़े बेटे से नाराज हो गए और उन्होंने अपनी वसीयत तथा संपत्ति से जुड़े अहम फैसलों की जिम्मेदारी छोटे बेटे अरविंद सिंह मेवाड़ को सौंप दी. इसके परिणामस्वरूप महेंद्र सिंह मेवाड़ को धीरे-धीरे ट्रस्ट और संपत्ति से लगभग बाहर कर दिया गया. 3 नवंबर 1984 को भगवत सिंह मेवाड़ के निधन के बाद यह पारिवारिक विवाद और गहरा हो गया.

उदयपुर

लगभग 37 वर्षों तक चली कानूनी लड़ाई के बाद वर्ष 2020 में उदयपुर की जिला अदालत ने अहम फैसला सुनाया. कोर्ट ने विवादित संपत्तियों को चार हिस्सों में बांटने का आदेश दिया, जिसमें एक हिस्सा भगवत सिंह मेवाड़ के नाम और शेष तीन हिस्से उनकी तीनों संतानों के बीच बांटे जाने के निर्देश दिए गए. हालांकि, कोर्ट के फैसले तक अधिकांश संपत्तियां अरविंद सिंह मेवाड़ के कब्जे में रहीं, जबकि महेंद्र सिंह मेवाड़ और योगेश्वरी कुमारी को सीमित हिस्सा मिला. साथ ही शंभू निवास पैलेस, बड़ी पाल और घासघर जैसी संपत्तियों से जुड़ी आर्थिक गतिविधियों पर तत्काल रोक लगा दी गई थी.

First Published :

December 19, 2025, 12:57 IST

homerajasthan

मेवाड़ राजपरिवार संपत्ति विवाद सुप्रीम कोर्ट में, 11 जनवरी को सुनवाई

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj