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Know what ritual of Mayra performed by maternal side marriage

Last Updated:May 06, 2025, 13:11 IST

राजस्थान में बहन के बच्चों की शादी होने पर ननिहाल पक्ष की ओर से मायरा भरा जाता है, इसे भात भी कहते हैं. इस रस्म में ननिहाल पक्ष की ओर से बहन के बच्चों के लिए कपड़े, गहने, रुपए और अन्य सामान दिया जाता है.X
मायरा
मायरा रस्म 

हाइलाइट्स

नागौर में मायरा रस्म में 1 करोड़ 51 लाख कैश दिया गया.मायरा रस्म की शुरुआत नरसी भगत से हुई थी.ननिहाल पक्ष द्वारा कपड़े, गहने और रुपए दिए जाते हैं.

नागौर:- राजस्थान के अंदर विवाह के समय ननिहाल पक्ष की ओर से एक रस्म निभाई जाती है, जिसमें ननिहाल पक्ष द्वारा यानी नाना और मामा के द्वारा कुछ कपड़े, गहने और रुपए दिए जाते हैं, इसे मायरा करते हैं. यह रस्म इन दिनों काफी चर्चा में है. पूरे राजस्थान में यह रस्म निभाई जाती है. लेकिन नागौर में भरे जाने वाला मायरा चर्चा में रहता है.

अभी हाल ही में मायरे में 4 भाइयों और 2 भतीजों ने 4 सूटकेस में 1 करोड़ 51 लाख रुपए कैश दिए. इसके अलावा 1 किलो सोने और 15 किलो चांदी की ज्वेलरी, 210 बीघा जमीन, एक पेट्रोल पंप और अजमेर में एक प्लॉट भी दिया है. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि आखिर इस अनोखी रस्म की शुरुआत कब हुई थी और क्यों इस रस्म को निभाना बहुत जरूरी होता है.

क्या है मायरा की परंपरा?राजेंद्र बाकोलिया ने बताया कि बहन के बच्चों की शादी होने पर ननिहाल पक्ष की ओर से मायरा भरा जाता है, इसे भात भी कहते हैं. इस रस्म में ननिहाल पक्ष की ओर से बहन के बच्चों के लिए कपड़े, गहने, रुपए और अन्य सामान दिया जाता है. इसमें बहन के ससुराल पक्ष के लोगों के लिए भी कपड़े और जेवरात आदि होते हैं.

ऐसे हुई थी शुरुआत राजेंद्र बाकोलिया ने Local 18 को बताया कि मायरा की शुरुआत नरसी भगत के जीवन से हुई थी. नरसी का जन्म गुजरात के जूनागढ़ में मुगल बादशाह हुमायूं के शासनकाल में हुआ था. नरसी जन्म से ही गूंगे-बहरे थे, उनके माता-पिता एक महामारी का शिकार हो गए थे. वे दादी के पास रहते थे. उनके भाई-भाभी भी थे, भाभी का स्वभाव अच्छा नहीं था. एक संत की कृपा से नरसी की आवाज वापस आ गई थी. उनका बहरापन भी ठीक हो गया था. नरसी की शादी हुई, लेकिन पत्नी की मौत जल्दी ही हो गई. नरसी का दूसरा विवाह कराया गया था.

त्याग दिया था सांसारिक मोह-मायासमय बीतने पर नरसी की बेटी नानीबाई का विवाह अंजार नगर में हुआ था. इधर, नरसी की भाभी ने उन्हें घर से निकाल दिया था. नरसी श्रीकृष्ण के अटूट भक्त थे और वे उन्हीं की भक्ति में लग गए थे. नरसी ने सांसारिक मोह त्याग दिया और संत बन गए थे. उधर, नानीबाई ने बेटी की बेटी विवाह योग्य हो गई थी.

उसके विवाह पर ननिहाल की तरफ से भात भरने की रस्म के चलते नरसी को सूचित किया गया था. नरसी के पास देने को कुछ नहीं था. उसने भाई-बंधु से मदद की गुहार लगाई. मदद तो दूर, कोई भी चलने तक को तैयार नहीं हुआ था. अंत में टूटी-फूटी बैलगाड़ी लेकर नरसी खुद ही बेटी के ससुराल के लिए निकल पड़े थे. बताया जाता है कि उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान श्रीकृष्ण खुद भात भरने पहुंचे थे. इसी समय से मायरा भरने की परंपरा शुरू हुई थी.

Location :

Nagaur,Rajasthan

homerajasthan

जानिए क्या है विवाह के समय की ये परंपरा, नाना और मामा देते हैं करोड़ों रुपए!

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