सीकर का नांगल-भीम बना ‘मिनी हॉकी इंडिया’! हर घर में उभर रहे खिलाड़ी, खेतों से मैदान तक गूंजा जज्बा!

Last Updated:November 05, 2025, 15:27 IST
Sikar News Hindi : राजस्थान के सीकर जिले का नांगल-भीम गांव आज खेल प्रेमियों के लिए मिसाल बन गया है. यहां लगभग हर घर में हॉकी खिलाड़ी है. आर्थिक तंगी के बावजूद बच्चों का जुनून देखने लायक है. गांव का राजकीय विद्यालय अब हॉकी की नर्सरी बन चुका है, जहां से राज्य और राष्ट्रीय स्तर तक खिलाड़ी निकल रहे हैं.
सीकर : राजस्थान के सीकर जिले का नांगल-भीम गांव इन दिनों खेल जगत में अपनी अलग पहचान बना रहा है. यह गांव अब हॉकी खिलाड़ियों वाला गांव कहलाने लगा है. यहां लगभग हर घर में एक या एक से अधिक हॉकी खिलाड़ी हैं. ग्रामीणों का कहना है कि खेल के प्रति यहां का जुनून इतना अधिक है कि बच्चे छोटी उम्र से ही हॉकी स्टिक हाथ में ले लेते हैं. इस गांव की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां के ज्यादातर खिलाड़ी किसान और मजदूर परिवारों से आते हैं.

आर्थिक सीमाओं के बावजूद इन खिलाड़ियों का जोश और समर्पण कम नहीं होता. उनका कहना है कि मेहनत और लगन से ही वे राज्य और राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचे हैं. गांव के युवाओं का सपना है कि एक दिन वे देश के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हॉकी खेलें. इस गांव के सरकारी विद्यालय राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय (राउमावि) नांगल-भीम से अब तक 40 से अधिक खिलाड़ी राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग ले चुके हैं. यह आंकड़ा किसी बड़े शहर के खेल स्कूल से भी कम नहीं है.

इस स्कूल की पहचान अब हॉकी की नर्सरी के रूप में बनने लगी है. यहां से हर साल कई नए खिलाड़ी राज्य स्तरीय टीमों में जगह बना रहे हैं. राउमावि नांगल-भीम के शारीरिक शिक्षक आशीष झरवाल इस सफलता के पीछे की सबसे बड़ी ताकत माने जाते हैं. झरवाल खुद एक बेहतरीन कोच हैं और बच्चों को खेल की बारीकियां सिखाने में दिन-रात जुटे रहते हैं. वे बताते हैं कि सीमित संसाधनों के बावजूद गांव के बच्चों में खेल को लेकर गजब की लगन है, जो उन्हें लगातार आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है.

टीचर आशीष झरवाल के मार्गदर्शन में गांव के कई बच्चों ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धियां हासिल की हैं. स्कूल के छात्र सतपाल सामरिया ने वर्ष 2024-25 में मध्य प्रदेश के भोपाल में आयोजित नेशनल हॉकी टूर्नामेंट में भाग लेकर गांव का नाम रोशन किया. वहीं, स्कूल की हॉकी टीम ने नागौर में आयोजित राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में पहला स्थान हासिल किया था.

गांव के उप सरपंच जितेंद्र सिंह बताते हैं कि आशीष झरवाल न केवल कोचिंग देते हैं बल्कि बच्चों को अनुशासन, फिटनेस और टीम भावना का भी पाठ पढ़ाते हैं. वे रोजाना सुबह 5 से 7 और शाम 4:30 से 6:30 बजे तक प्रशिक्षण देते हैं. उनके पास 10 साल के छोटे बच्चे भी हॉकी सीखने आते हैं. आशीष उन्हें नि:शुल्क ट्रेनिंग देकर उनकी प्रतिभा को निखारने में मदद करते हैं.

नांगल-भीम गांव अब खेल प्रेमियों के लिए प्रेरणा बन चुका है. ग्रामीणों का मानना है कि यदि सरकार और खेल विभाग की थोड़ी मदद मिल जाए, तो यह गांव भविष्य में राष्ट्रीय टीम को कई खिलाड़ी दे सकता है. यहां के युवा बच्चों को देखकर लगता है कि यह छोटा सा गांव आने वाले समय में राजस्थान की खेल राजधानी बन सकता है.
First Published :
November 05, 2025, 15:27 IST
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सीकर का नांगल-भीम बना मिनी हॉकी इंडिया, हर घर से निकल रहे खिलाड़ी



