Rajasthan

Health tips: हर दिन खेलो और बनाओ मजबूत शरीर, खुशहाल मन..दिनभर बनेगी रहेगी ऊर्जा

अलवर. जिले में इन दिनों सांसद खेल उत्सव चल रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में खिलाड़ी भाग ले रहे हैं. इस अवसर पर भिवाड़ी के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. रूप सिंह ने खेलों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, “खेलोगे कूदोगे तो बनोगे नवाब.” यह कहावत आज भी पूरी तरह सत्य साबित होती है, खेल न केवल शरीर को तंदुरुस्त रखते हैं, बल्कि मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास में भी अहम भूमिका निभाते हैं.  डॉ. रूप सिंह ने बताया कि नियमित रूप से खेलकूद करने वाला व्यक्ति हमेशा ऊर्जावान और खुशमिजाज रहता है. खेलते समय शरीर में सूर्य की किरणें लगने से विटामिन D की कमी नहीं होती, जिससे हड्डियां मजबूत बनती हैं. कबड्डी, खो-खो जैसे पारंपरिक खेलों के दौरान शरीर को मिट्टी का संपर्क मिलता है, जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और कई प्रकार के त्वचा संबंधी रोगों से बचाव होता है.

उन्होंने कहा कि खेल हमारे मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत बनाते हैं. साथ ही, खेल भावना से व्यक्ति हार-जीत दोनों को सहजता से स्वीकारना सीखता है, जिससे धैर्य, सहयोग और नेतृत्व जैसी गुणों का विकास होता है. टीम में खेलते समय साथियों के प्रति सम्मान और सहयोग की भावना भी जन्म लेती है, जो सामाजिक समरसता के लिए अत्यंत आवश्यक है. डॉ. सिंह ने माता-पिता से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को खेलों के लिए प्रेरित करें और घर में खेल के लिए स्थान अवश्य निर्धारित करें. उन्होंने कहा कि जो माता-पिता अपने बच्चों के साथ खेलते हैं, उनके बीच पारिवारिक जुड़ाव और प्रेम बढ़ता है, इससे परिवार में एकता और समझ बनी रहती है.

गर्भवती महिलाओं के लिए भी हल्की खेल गतिविधियां लाभदायक

उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं के लिए भी हल्की खेल गतिविधियां लाभदायक होती हैं. गर्भावस्था के आठवें और नौवें महीने में यदि महिलाएं डॉक्टर की सलाह से हल्की गतिविधियां करती हैं, तो इससे गर्भ में पल रहे बच्चे का मानसिक विकास बेहतर होता है. एक अनुमान के अनुसार, भारत में करीब 25 करोड़ लोग अवसाद, चिड़चिड़ापन और उदासी जैसी मानसिक बीमारियों से ग्रस्त हैं, जिनकी रोकथाम केवल खेल के माध्यम से की जा सकती है. 0 से 5 वर्ष की उम्र में खेल बच्चे को रिश्तों की समझ और सामाजिक व्यवहार सिखाते हैं, जबकि युवाओं में यह आत्मविश्वास और सहनशीलता बढ़ाते हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि श्रमिकों के लिए समय-समय पर खेलकूद की गतिविधियां करानी चाहिए, ताकि उनमें टीम भावना और कार्य उत्साह बढ़ सके. वहीं, बुजुर्गों के लिए भी खेल मानसिक स्फूर्ति और खुशी का स्रोत बन सकते हैं. डॉ. रूप सिंह ने नशे की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता जताते हुए कहा कि अगर नशे करने वाले लोग खेल के मैदान में पसीना बहाना शुरू कर दें, तो उनकी नशे की लत खुद-ब-खुद खत्म हो सकती है. खेल मन को सकारात्मक दिशा देता है और जीवन में उत्साह भरता है. हर व्यक्ति को रोजाना कम से कम एक घंटे खेल के लिए अवश्य निकालना चाहिए, ताकि जीवन में ऊर्जा, खुशी और स्वस्थता बनी रहे.

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj