World Schizophrenia Day 24th may 2021 What is it know the symptoms and treatment of this disease pur

सिजोफ्रेनिया के प्रमुख लक्षण
-व्यक्ति अकेला रहने लगता है. -वह अपनी जिम्मेदारियों तथा जरूरतों का ध्यान नहीं रख पाता.
-व्यक्ति अक्सर खुद में ही मुस्कुराता या बुदबुदाता दिखाई देता है. -रोगी को विभिन्न प्रकार के अनुभव हो सकते हैं जैसे की कुछ ऐसी आवाजें सुनाई देना जो अन्य लोगों को न सुनाई दें. कुछ ऐसी वस्तुएं, लोग या आकृतियां दिखाई देना जो दूसरों को न दिखाई दें, या शरीर पर कुछ न होते हुए भी सरसराहट या दबाव महसूस होना. -रोगी को ऐसा विश्वास होने लगता है कि लोग उसके बारे में बातें करते है, उसके खिलाफ हो गए हैं या उसके खिलाफ कोई षड्यंत्र रच रहे हैं. -लोग उसे नुकसान पहुंचाना चाहते हैं या फिर उसका भगवान से कोई सम्बन्ध है. -रोगी को लग सकता है कि कोई बाहरी ताकत उसके विचारों को नियंत्रित कर रही है या उसके विचार उसके अपने नहीं हैं. -रोगी असामान्य रूप से अपने आप में हंसने, रोने या अप्रासंगिक बातें करने लगता है. -सिजोफ्रेनिया का मरीज बहुत आसानी से जिंदगी से निराश हो सकता है और कई बार तो मरीज को आत्महत्या करने की भी प्रबल इच्छा होती है. सिजोफ्रेनिया होने की मुख्य वजह वंशानुगत कारण अगर आपके परिवार के किसी सदस्य को कभी भी सिजोफ्रेनिया की शिकायत नहीं रही है तो किसी सामान्य इंसान को ये बीमारी होने की संभावना 1 फीसदी से भी कम होती है. हालांकि अगर किसी के माता-पिता को ये बीमारी हो जाए तो संतान को सिजोफ्रेनिया होने का खतरा 10 फीसदी तक बढ़ जाता है. दिमाग में केमिकल असंतुलन की वजह से डॉक्टरों के अनुसार दिमाग में एक न्यूरो ट्रांसमीटर पाया जाता है, जिसे डोपामाइन (Dopamine) कहा जाता है. अगर डोपामाइन में असंतुलन आ जाए तो सिजोफ्रेनिया हो सकता है. अन्य न्यूरोट्रांसमीटर जैसे सेरोटोनिन (Serotonin) को भी इसमें शामिल किया जा सकता है. पारिवारिक समस्या की वजह से कुछ मरीजों ने ये बताया है कि परिवार में टेंशन के कारण उनकी समस्या और बढ़ जाती है. पर्यावरणीय कारण कई विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चे के जन्म से पहले अगर मां तनाव में रहे या फिर उसे कोई वायरल इंफेक्शन हुआ हो, तो बच्चे में सिजोफ्रेनिया होने के चांस बढ़ सकते हैं लेकिन इस बात पर विशेषज्ञों में मतभेद हैं और इस पर रिसर्च चल रही है. तनावपूर्ण अनुभव कई बार तनाव भरे अनुभवों के कारण भी सिजोफ्रेनिया के लक्षण दिखाई दे सकते हैं. कई मामलों में सिजोफ्रेनिया के असली लक्षण दिखाई देने से पहले लोगों में बुरा व्यवहार करने, बेचैनी और ध्यान न केंद्रित कर पाने की समस्याएं होने लगती हैं. इसकी वजह से इंसान की जिंदगी में अन्य समस्याएं जैसे रिलेशनशिप प्रॉब्लम, तलाक और बेरोजगारी जैसी दिक्कतें हो सकती हैं. ड्रग्स के सेवन से कई बार नशीले पदार्थों का सेवन करने की वजह से भी इंसान को सिजोफ्रेनिया हो सकता है. इन ड्रग्स में मरिजुआना और एलएसडी का नशा करने वालों को सिजोफ्रेनिया होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है. इसके अलावा ऐसे लोग जो सिजोफ्रेनिया का इलाज करवा रहे हैं या फिर किसी अन्य मानसिक बीमारी से परेशान हैं, वह अगर गांजे का सेवन करते हैं तो सिजोफ्रेनिया की बीमारी उन्हें अपनी चपेट में ले सकती है. इसे भी पढ़ेंः कोरोना काल में इन चीजों को छूने के बाद जरूर धोएं हाथ, नहीं तो हो सकती है गंभीर समस्या सिजोफ्रेनिया का इलाज इस दुनिया में कोई भी बीमारी लाइलाज नहीं है, जरूरत है तो सिर्फ मरीज की इच्छाशक्ति और सही इलाज की. सिजोफ्रेनिया की बीमारी का भी इलाज संभव है. मनोवैज्ञानिक इस बीमारी के इलाज के लिए काउंसलिंग, साइकोथेरेपी और थेरेपी सेशन की मदद लेते हैं. साइकोलॉजिकल काउंसलिंग से सिजोफ्रेनिया के लक्षणों को ठीक करने में काफी हद तक मदद मिलती है.