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सेना का कवच बनेगा थार का सोना, तैयार किए जाएंगे गर्म कपड़े, -40 डिग्री तापमान में भी शरीर को रखेगा गर्म

Last Updated:May 20, 2025, 06:18 IST

थार के रेगिस्तानी खेतों में उनगे वाले आक को अब तक लोग पूजा-पाठ या बीमारी से छुटकारा पाने के लिए इस्तेमाल करते थे. लेकिन आक अब भारतीय सेना का कचव बनेगा. आक में पाए जाने वाले रेशे से सियाचिन जैसे ठंडे क्षेत्रों …और पढ़ेंX
खेतों
खेतों से तोड़कर आए डोडिये और ऊन से बने धागे

हाइलाइट्स

आक पौधे से सेना के लिए गर्म कपड़े बनेंगे.डॉ. रूमा देवी वस्त्र मंत्रालय के सहयोग से कपड़े बनाएंगी.आक के रेशे से बने कपड़े -40 डिग्री में भी गर्म रखेंगे.

बाड़मेर. थार के खेतों में बरसों से महज घास का हिस्सा रहे एक पौधे का उत्पाद अब सियाचीन में देश की सेना का कवच बना नजर आएगा. सबसे रोचक बात यह कि इस उत्पाद से बाड़मेर ही नहीं राजस्थान के दर्जनों जिलों के खेत में इस पौधे का अंबार लगा हुआ है. थार के रेगिस्तानी खेतों में वर्षों से घास की तरह उपेक्षित रहे आक पौधे का उत्पाद अब सियाचिन जैसे ठंडे क्षेत्रों में भारतीय सेना के जवानों के लिए कवच बन रहा है.

रोचक बात यह है कि यह पौधा न केवल बाड़मेर बल्कि राजस्थान के कई रेगिस्तानी जिलों के खेतों में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है. बाड़मेर की प्रसिद्ध फैशन डिजाइनर डॉ. रूमा देवी वस्त्र मंत्रालय के सहयोग से आक पौधे से प्राप्त होने वाले डोडिये (प्राकृतिक रेशे) का उपयोग कर सेना के लिए गर्म कपड़े और सुरक्षात्मक वस्त्र तैयार करने में जुटी हुई हैं.

आक के रेशे से बनाए जाते हैं कई प्रोडक्ट

इसके रेशे हल्के, मजबूत और गर्मी प्रदान करने वाले होते हैं, जो सियाचिन जैसे अत्यधिक ठंडे क्षेत्रों में जवानों के लिए उपयुक्त होते हैं. इस पौधे के रेशों से उच्च गुणवत्ता वाले टेक्सटाइल फाइबर का उत्पादन कर रही है. आक पर लगने वाला आम जैसा जो फल होता है, उसे हरा ही तोङा जाता है और इसी के अंदर रेशा और बीज पाया जाता है. ड़ॉ रूमा देवी मुताबिक स्लीपिंग बैग, जैकेट जैसे बहुत से प्रोडक्ट बनाए हैं, जो हमारे सैनिकों को -20 से -40 डीग्री सेन्टीग्रेड तक सुरक्षा दे सकते हैं और इनका वजन दूसरे फाइबर की तुलना में बहुत हल्का होने से पहाड़ी व बर्फीली जगहों पर लाना ले जाना आसान रहता है.

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क्या है आक की विशेषता?

आक का वैज्ञानिक नाम कैलोट्रिपोस जाइगैन्टिया है. इसको मंदार’, आक, ‘अर्क’ और अकौआ भी कहते हैं. बिहार और झारखंड के कुछ इलाकों में इसे अकवन के नाम से जाना जाता है. इसका वृक्ष छोटा और छत्तादार होता है. पत्ते बरगद के पत्तों समान मोटे होते है. फल आम के तुल्य होते हैं ,जिनमें रूई होती है. आक की शाखाओं में दूध निकलता है. आक का आयुर्वेद में भी बड़ा महत्व है और कई बीमारियों से राहत दिलाने में कारगर है.

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सेना का कवच बनेगा ये रेगिस्तानी पौधा, -40 डिग्री तापमान में भी शरीर रहेगा गर्म

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