Rajasthan

Mountaineering: दिव्यांग गोविंद ने दिखाई हौसले की ताकत, साथियों के संग मौसम की तीव्र चुनौतियों के बीच तय किया सफर 

Last Updated:April 30, 2025, 21:42 IST

Mountaineering: इस ट्रैक में देशभर से छह दिव्यांग और नौ सामान्य प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया.सभी ने मिलकर यह संदेश दिया कि दिव्यांगता सपनों के रास्ते में रोड़ा नहीं बन सकती. गोविंद ने बताया कि ट्रैक के दौरान उन्…और पढ़ेंX
गोविंद
गोविंद खारोल 

हाइलाइट्स

गोविंद ने एवरेस्ट बेस कैंप ट्रैक पूरा कियाट्रैक में छह दिव्यांग और नौ सामान्य प्रतिभागी थे शामिलगोविंद ने 25 किलो वजन ढ़ोकर पेश की मिसाल

उदयपुर. ‘अगर हौसले बुलंद हों तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती’—इस बात को सच कर दिखाया है उदयपुर के गोविंद खारोल ने. दोनों हाथों से दिव्यांग गोविंद ने नेपाल स्थित एवरेस्ट बेस कैंप की 13,550 फीट ऊंचाई पर पहुंचकर मिसाल पेश की है. वे हाल ही में भारत के सबसे बड़े समावेशी हिमालयन ट्रैक का हिस्सा बने, जो टिंकेश एबिलिटी फाउंडेशन और अद्वैत आउटडोर्स द्वारा 13 से 24 अप्रैल तक आयोजित हुआ था. इस ट्रैक में देशभर से छह दिव्यांग और नौ सामान्य प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया. सभी ने मिलकर यह संदेश दिया कि दिव्यांगता सपनों के रास्ते में रोड़ा नहीं बन सकती.

मौसम की तीव्र चुनौतियों के बीच तय किया सफरगोविंद ने बताया कि ट्रैक के दौरान उन्हें करीब 25 किलो वजन ढोना पड़ा, जिसमें से उन्होंने खुद 7 किलो उठाया और बाकी सहयोगियों ने संभाला. मौसम की तीव्र चुनौतियों—कभी बारिश, कभी कड़ाके की ठंड और कभी गर्मी—का सामना करते हुए टीम ने यह सफर तय किया. गोविंद की टीम में रचित, जिन्होंने कैंसर को तीन बार मात दी और एक हाथ से दिव्यांग हैं, दोनों पैरों के घुटनों से नीचे दिव्यांग रितेश और नितिन, और एक हाथ दिव्यांग दीपेंद्र भी शामिल रहे. पहाड़ों की कठिन चढ़ाई और ऑक्सीजन की कमी जैसी परेशानियों के बीच एक समय ऐसा भी आया जब गाइडिंग शेरपा की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल पहुंचाना पड़ा.

साइकिल से भी रच चुके हैं इतिहासगोविंद इससे पहले भी साहसिक कारनामों से सबको चौंका चुके हैं. उन्होंने उदयपुर से बेंगलुरु तक 1800 किमी और मनाली से खारदुंगला पास तक 550 किमी की एकल साइकिल यात्रा पूरी की है. वे विश्व की सबसे लंबी 9500 किमी की रिले दौड़ का भी हिस्सा रह चुके हैं, जिसे 40 दिनों में पूरा किया गया. इसके अलावा वे मुंबई और दिल्ली मैराथन में भी भाग ले चुके हैं. गोविंद की कहानी इस बात का जीवंत प्रमाण है कि असली ताकत शरीर में नहीं, हौसले में होती है. उनके साहस ने यह दिखा दिया कि दिव्यांगता कोई कमजोरी नहीं, बल्कि प्रेरणा बन सकती है.

Location :

Udaipur,Rajasthan

First Published :

April 30, 2025, 21:42 IST

homerajasthan

दिव्यांगता नहीं, हौसला है पहचान: हिम्मत की बदौलत गोविंद ने की एवरेस्ट की चढ़ाई

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj