पुष्कर का पांडेश्वर महादेव मंदिर, जहां पांडवों ने की थी तपस्या, शिवरात्रि पर उमड़ते है भक्तों की भीड़

Agency: Rajasthan
Last Updated:February 18, 2025, 16:49 IST
Shivratri 2025: मंदिर के पुजारी केशव गिरी बताते हैं कि महाभारत के बाद पांडव यहां पिंडदान करने के उद्देश्य से कई महीनो तक नाग पहाड़ी पर रहे थे. उन्होंने यहां पंच कुंड बनाए थे. यह मंदिर 4500 साल पुराना है.X
प्राचीन पांडेश्वर महादेव मंदिर
पुष्कर के मध्य स्थित नागपहाड़ी पर 4500 साल पुराना पांडेश्वर महादेव मंदिर है. यह मंदिर आस्था का प्रमुख केंद्र है. मान्यता है कि यहां श्रद्धापूर्वक पूजा करने से सभी की मनोकामनाएं पूरी होती है .
मंदिर के पुजारी केशव गिरी बताते हैं कि महाभारत के बाद पांडव यहां पिंडदान करने के उद्देश्य से कई महीनो तक नाग पहाड़ी पर रहे थे. उन्होंने यहां पंच कुंड बनाए थे. यहां रहकर पांडवों ने सोमावती अमावस्या का इंतजार किया था.
पांडवों ने सोमवती अमावस्या को श्राप दियापांडवों को बताया गया था कि द्वापर युग में ही वह पृथ्वी पर रुक सकते हैं. कलयुग की शुरुआत हो गई तो उन्हें पृथ्वी पर ही पर रहना होगा. पिंडदान के लिए सोमवती अमावस्या का मुहूर्त था. काफी दिन इंतजार करने के बाद भी जब सोमवती अमावस्या नहीं आई तब पांडवों ने सोमवती अमावस्या को श्राप दिया कि वह वर्ष में कई बार आएगी. इसके बाद बिना पिंडदान किए ही द्वापर युग के खत्म होने से पहले पांडव यहां से प्रस्थान कर गए थे.यह स्थान पांडवेश्वर महादेव के नाम से आज भी विख्यात है. पंचकुंड नाम पांडवों के आने के बाद इस स्थान का हुआ है.
पहाड़ियों के बीच स्थित है मंदिरअजमेर से 15 किलोमीटर दूर इस मंदिर में जाने के लिए दुर्गम पहाड़ी रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है. शिवरात्रि के अलावा सावन के महीने में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. खासतौर पर सावन के सोमवार को दूर-दूर से श्रद्धालु मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचते हैं. मंदिर पहाड़ी इलाके के बीच होने के कारण आसपास के इलाके की हरियाली और बारिश के समय पहाड़ों से बहते झरने इसकी सुंदरता और बढ़ा देते हैं.
Location :
Ajmer,Rajasthan
First Published :
February 18, 2025, 16:49 IST
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पुष्कर का पांडेश्वर महादेव मंदिर, शिवरात्रि पर उमड़ते है भक्तों की भीड़