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Rajasthan News: मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना से किसानों को अधिक उत्पादन, बचत

Last Updated:May 06, 2025, 21:57 IST

Rajasthan News Hindi: सिरोही में कृषि विभाग ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरू की है, जिससे 10,000 किसानों की मिट्टी की निशुल्क जांच होगी और उर्वरकों की बचत कर पर्यावरण सुरक्षित रहेगा.Rajasthan News: सिरोही में कृषि विभाग ने शुरू की नई योजना, अब किसानों...

soil health card

हाइलाइट्स

10,000 किसानों की मिट्टी की निशुल्क जांच होगी.मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना से उर्वरकों की बचत होगी.मिट्टी जांच से उत्पादन बढ़ेगा और पर्यावरण सुरक्षित रहेगा.

सिरोही: किसान अपने खेत की मिट्टी में पोषक तत्वों की जांच करवाकर न केवल अधिक उत्पादन पा सकते हैं, बल्कि अनावश्यक उर्वरकों के उपयोग से पैसे की बचत कर सकते हैं और पर्यावरण को भी सुरक्षित रख सकते हैं. कृषि विभाग ने मिट्टी की जांच को आसान बनाने के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरू की है. इस योजना के तहत जिले के दस हजार किसानों के मिट्टी के नमूनों की निशुल्क जांच और मृदा स्वास्थ्य कार्ड का वितरण किया जाएगा. योजना में मृदा नमूनों का संग्रहण कृषि पर्यवेक्षक के माध्यम से ऑनलाइन किया जाएगा. खेत से लिए गए नमूने को अपने क्षेत्र के कृषि पर्यवेक्षक या जिले के कृषि कार्यालय में स्थित मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में जमा करवाएं. मृदा नमूना परीक्षण शुल्क 5 रुपये प्रति नमूना होता है, लेकिन केन्द्रीय प्रवर्तित योजना में यह निशुल्क है.

ये है मृदा स्वास्थ्य कार्डमृदा स्वास्थ्य कार्ड किसान के खेत का पोषक तत्वों का रिपोर्ट कार्ड होता है, जिसमें यह बताया जाता है कि खेत में कौनसी भौतिक समस्या (जैसे लवणता, क्षारीयता) और मुख्यतः किस पोषक तत्व की कमी है. साथ ही, यह भी लिखा होता है कि किस फसल के लिए कौनसे उर्वरक की कितनी मात्रा आवश्यक है. मृदा स्वास्थ्य कार्ड की सिफारिश के अनुसार उर्वरकों के उपयोग से अत्यधिक यूरिया और डीएपी जैसे खादों के उपयोग में कमी आएगी. देशी खाद या गोबर की खाद के साथ रासायनिक खादों के संयुक्त और कम उपयोग से खेती की लागत कम होगी और मृदा की उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी.

मिट्टी का नमूना कब लेंमिट्टी का नमूना हमेशा फसल की बुवाई या रोपाई के एक माह पहले लेना चाहिए. साल में एक या दो बार फसल की बुआई से पहले मिट्टी की जांच जरूर करानी चाहिए. जिस खेत का नमूना लेना हो, उसके अलग-अलग 8 से 10 स्थानों पर निशान लगाएं. चुनी हुई जगह की ऊपरी सतह से घास-फूस हटा दें. सतह से 15 सेमी यानी आधा फुट गहरा गड्ढा खोदकर खुरपे से एक तरफ से ऊंगली की मोटाई तक का ऊपर से नीचे तक का नमूना काट लें. मिट्टी को बाल्टी या टब में इकट्ठा कर लें. इसी तरह सभी स्थानों से नमूना इकट्ठा कर लें और अच्छी तरह मिला लें. अब मिट्टी को फैला कर 4 भागों में बांट लें. इन चार भागों में से आमने-सामने के 2 भाग उठा कर फेंक दें, बाकी बचे हुए भाग को फिर से मिला कर 4 भाग कर लें और 2 भाग फेंक दें. बची हुई मिट्टी को मिला लें. यह प्रक्रिया तब तक दोहराएं जब तक आपके पास 500 ग्राम मिट्टी शेष बचे. अब इस नमूने (लगभग आधा किलो मिट्टी) को साफ थैली में डाल लें. एक पर्ची पर किसान का नाम, पिता का नाम, गांव, तहसील और जिले का नाम, खेत का खसरा नम्बर, भूमि सिंचित है या असिंचित आदि लिखकर थैली में डाल दें.

लम्बी अवधि वाली फसलों-फलदार पौधों के लिए मिट्टी जांचबगीचे के एक समान भाग से नमूना लेने के लिए, 10-15 प्रतिनिधि पौधों को चिन्हित करें. पौधों के तनों से 1-2 फुट की दूरी पर चारों दिशाओं में 0-15 और 15-30 सेंटीमीटर गहराई तक नमूने लें. फिर 0-15 सेंटीमीटर गहराई की मिट्टी मिलाकर एक नमूना तैयार करें. इसी प्रकार 15-30 सेंटीमीटर गहराई की मिट्टी का दूसरा नमूना तैयार करें. यदि नया बगीचा लगाना है, तो 0-15, 15-30, 30-60, 60-90, 90-120, 120-150 सेंटीमीटर गहराई तक विभिन्न नमूने लें.नमूना लेते समय इन बातों का रखे ध्यान

खेत में ऊंची-नीची जगह से नमूना न लें. मेढ़, पानी की नाली, पानी भराव वाले हिस्से और कम्पोस्ट के ढेर के पास से नमूना न लें. पेड़ की छाया से नमूना न लें. मिट्टी का नमूना खाद के बोरे या थैली में कभी न रखें. खड़ी फसल से नमूना न लें. ऐसे खेत से नमूना न लें जहां हाल ही में उर्वरक का प्रयोग हुआ हो.

Location :

Sirohi,Rajasthan

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