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स्वाद है.. पौष्टिकता है… गुणवत्ता है इसमें… कुबेर का खजाना है इस किस्म के गेहूं की खेती, जानें नाम और खेती का तरीका?

Last Updated:February 21, 2025, 09:34 IST

Agriculture Tips: अगर आप किसान हैं, तो इस किस्म के गेहूं की खेती का तरीका जान लीजिए. इस गेहूं की खेती आपको चंद महीनों में ही अमीर बना सकती है. इस गेहूं को स्वाद, पौष्टिकता और उन्नत गुणवत्ता के कारण उगाया जाता ह…और पढ़ेंस्वाद है पौष्टिकता है...कुबेर का खजाना है इस किस्म के गेहूं की खेती, जानें नाम

शरबती सी-306

हाइलाइट्स

शरबती C 306 गेहूं को गोल्डन ग्रेन भी कहते हैं.इस गेहूं की बुवाई नवंबर में और कटाई मार्च-अप्रैल में होती है.शरबती C 306 गेहूं में प्रोटीन, विटामिन बी और ई की भरपूर मात्रा होती है.

सिरोही: अगर आप भी गेहूं की खेती करते हैं, और अच्छी पैदावार करने का सपना देख रहे हैं, तो गेहूं की कुछ उन्नत किस्मों के बारे में आपको जानकारी होना जरूरी है. इस किस्म की बाजार में काफी डिमांड है. तो चलिए जानते हैं इसके बारे में

कई राज्यों में उगाया जाता है अब इसेआपको बता दें, कि गेहूं की बेहतरीन और लोकप्रिय किस्मों में से एक हैं शरबती सी-306 गेहूं. ये क़िस्म को साल-1965 में रिलीज किया गया था. इस गेहूं को गोल्डन ग्रेन के नाम से भी जाना जाता है. इस गेहूं को स्वाद, पौष्टिकता और उन्नत गुणवत्ता के कारण उगाया जाता है. यह किस्म मध्य प्रदेश में उगाई जाती थी, लेकिन अब इसे देश के कई राज्यों में उगाया जाता है. इस गेहूं के गोल और चमकदार दानों से इसकी पहचान होती है. यदि आप शरबती C 306 गेहूं की खेती करना चाहते हैं, तो कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

खेती करते समय इन बातों को ध्यान रखना जरूरीसिरोही कृषि विज्ञान केंद्र के अनुसार जिले में क्षेत्र की प्रमुख रबी फसलें गेहूं (16.33%), सरसों (13.61%), चना (3.4%), और जीरा (1.11%) हैं. वे बताते हैं जिले में कई किस्म के गेहूं की खेती होती है. शरबती सी-306 गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए उपजाऊ और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी आवश्यक है. मिट्टी का पीएच स्तर 6.5 से 7.5 के बीच होना जरूरी है. इसकी बुवाई से पहले खेत को अच्छे से जोतने के बाद जैविक खाद का उपयोग करना चाहिए. वहीं खेत में जैविक खाद का उपयोग करने से मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है, जो फसल की गुणवत्ता को और ज्यादा बढ़ाने में मदद करती है.

आगे वे बताते हैं, कि गेहूं की किस्म की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए रासायनिक उर्वरको के प्रयोग से भी बचाना चाहिए. इसमें ग्लूकोज और सुक्रोज की उच्च मात्रा होती है, जो इसे सामान्य गेहूं से अधिक मीठा और स्वादिष्ट बनाती है. इसमें प्रोटीन, विटामिन बी और ई की भरपूर मात्रा भी पाई जाती है, जिससे यह स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है.

इस महीने में बुवाई करना अच्छा होता हैइस गेहूं की बुवाई को नवंबर के महीने में करना अच्छा होता है और इसकी मार्च-अप्रैल में कटाई होती है. ये गेहूं की बेहतर वृद्धि के लिए सही होता है. बुवाई के दौरान बीजों को 4-5 सेमी गहराई पर बोना चाहिए, जिससे बीज सही ढंग से अंकुरित हो सकें. यह किस्म अपने भारी दानों और उच्च प्रोटीन तत्वों के लिए पहचाना जाता है. बाजार में उच्च मांग के कारण यह किस्म बेहतरीन गुणवत्ता की मानी जाती है.

इस फसल को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है. बुवाई के बाद 3-4 बार सिंचाई पर्याप्त होती है. वहीं इस गेहूं की खेती में रासायनिक उर्वरकों की बजाय जैविक खादों का उपयोग करने से अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं. इस किस्म के गेहूं की फसल में कीटों और बीमारियों का खतरा कम होता है, लेकिन अगर किसी प्रकार का संक्रमण हो, तो जैविक तरीकों से उसका उपचार करना चाहिए. रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग कम से कम करना चाहिए, ताकि फसल की गुणवत्ता पर कोई प्रभाव न पड़े.


Location :

Sirohi,Rajasthan

First Published :

February 21, 2025, 09:34 IST

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स्वाद है पौष्टिकता है…कुबेर का खजाना है इस किस्म के गेहूं की खेती, जानें नाम

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