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The trend of Mahashivratri cattle fair has changed with time, it was once famous for bulls, now it will create a new identity in Rajasthan for the sale of camels.

Agency: Rajasthan

Last Updated:February 18, 2025, 18:16 IST

एक तरह से कहा जाए तो इस पशु मेले का ट्रेंड बदल गया है. राजस्थान सरकार की ओर से ऊंट को राज्य पशु घोषित किए जाने के बाद से मेले में बीकानेरी नस्ल के ऊंटों की संख्या लगातार बढ़ रही है. X
महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि पशु मेला 2025

हाइलाइट्स

महाशिवरात्रि पशु मेले में ऊंटों की संख्या बढ़ी.बैलों की बिक्री कम, ऊंटों की क्रय-विक्रय बढ़ी.मेले में 371 पशु, जिनमें 351 ऊंट शामिल.

मोहित शर्मा/करौली. समय के बदलाव और यांत्रिकीकरण के प्रभाव से राजस्थान के करौली में होने वाला प्रसिद्ध महाशिवरात्रि पशु मेला अब बिखरने की कगार पर है. पहले बैलों के लिए मशहूर यह मेला अब सिर्फ ऊंटों तक सिमट गया है. पिछले दो-तीन सालों से इस मेले में सबसे ज्यादा ऊंट ही देखे जा रहे हैं.

इस मेले से अन्य राज्यों के पशुपालकों का भी मोहभंग हो गया है. अब इस मेले में करौली और आसपास के क्षेत्रों के स्थानीय पशुपालक ही सबसे ज्यादा नजर आते हैं. रियासत काल से ही करौली का यह राज्य स्तरीय पशु मेला करौली के मेला ग्राउंड परिसर में लगता आ रहा है. स्थानीय लोग कहते हैं कि महाशिवरात्रि पशु मेला करौली का सबसे मशहूर पशु मेला रहा है, जो राजस्थान के 10 बड़े पशु मेलों में शामिल है. लेकिन अब यह मेला अपनी मूल पहचान खोता जा रहा है.

पशुपालन विभाग को सौंप दियासहायक मेला अधिकारी और वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ. ब्रह्म पांडे का कहना है कि महाशिवरात्रि पशु मेला रियासत काल से ही उत्तर भारत के सबसे प्रसिद्ध पशु मेलों में से एक रहा है. उनका कहना है कि पहले यह मेला नगर परिषद के अधीन था, लेकिन बाद में इसे राज्य सरकार ने पशुपालन विभाग को सौंप दिया. पशुपालन विभाग के अधीन आने के बाद भी यह मेला कई सालों तक उत्तर भारत का प्रसिद्ध मेला रहा है. लेकिन ट्रैक्टर आने के बाद सबसे बड़ा प्रभाव करौली के महाशिवरात्रि पशु मेले पर पड़ा है.

ऊंटों की क्रय-विक्रय हो रही बड़े पैमाने पर डॉ. पांडे का कहना है कि किसी जमाने में इस मेले में 14 से 15000 तक बैलों की बिक्री होती थी, जो अब लगभग शून्य हो गई है. अब इस मेले में केवल राजस्थान का राज्य पशु ऊंट ही पर्याप्त मात्रा में रहता है. पांडे ने लोकल 18 से खास बातचीत में कहा कि महाशिवरात्रि पशु मेला बिखरने के बाद भी अब ऊंटों की खरीद-फरोख्त के लिए एक नया स्थल बनकर उभर रहा है. बैलों की बिक्री कम होते ही, अब इस मेले में ऊंटों की क्रय-विक्रय बड़े पैमाने पर हो रही है.

बीकानेरी नस्ल के ऊंटों की बढ़ी संख्या एक तरह से कहें तो इस पशु मेले का ट्रेंड बदल गया है. जब से राजस्थान सरकार ने ऊंट को राज्य पशु घोषित किया है, तब से इस मेले में बीकानेरी नस्ल के ऊंटों की संख्या बढ़ती जा रही है. डॉ. ब्रह्म पांडे का कहना है कि अगर इसी तरह ऊंटों की संख्या बढ़ती रही तो आने वाले समय में यह मेला राजस्थान के पड़ोसी राज्यों – मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पंजाब में भी ऊंटों की खरीद-फरोख्त के लिए नई पहचान बनाएगा.

कुल 371 पशु पहुंच चुके हैंपांडे का कहना है कि महाशिवरात्रि पशु मेले में हर बार बाहर से आने वाले पशुपालकों के लिए पानी, बिजली, परिवहन और आग की व्यवस्था पशुपालन विभाग की ओर से की जाती है. इस मेले में ऊंटों की देखभाल का ख्याल भी भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार रखा जाता है, ताकि मेले में आए ऊंटों से कोई बुरा बर्ताव न हो. मेला अधिकारी गंगा साहब मीणा के अनुसार, महाशिवरात्रि पशु मेले में अब तक कुल 371 पशु पहुंच चुके हैं, जिनमें 351 ऊंट और 11 बकरा-बकरी शामिल हैं.


Location :

Karauli,Rajasthan

First Published :

February 18, 2025, 18:16 IST

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महाशिवरात्रि पशु मेले का समय के साथ बदला ट्रैंड, बैलों की जगह ऊंट की बिक्री

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