राजस्थान के इन 18 गांवों में अक्षय तृतीय को नहीं होती शादियां, मंदिर में नहीं बजते घंटे, वजह जान मन हो जाएगा उदास – no wedding or auspicious work performed in chauth ka barwara with 18 villages on akshaya tritiya in Rajasthan know weird reason

Last Updated:April 30, 2025, 21:07 IST
Rajasthan News : राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा क्षेत्र के 18 गांवों में अक्षय तृतीया पर मांगलिक कार्य नहीं होते. घरों मे कढ़ाही तक नहीं चढ़ती. सब्जी में हल्दी तक नहीं डाली जाती. पूरे देश में अक्ष…और पढ़ें
अक्षय तृतीया पर सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा क्षैत्र में 18 गांवों में नहीं होते मांगलिक कार्य..
हाइलाइट्स
सवाई माधोपुर के 18 गांवों में अक्षय तृतीया पर शादियां नहीं होतीं.700 साल पुरानी परंपरा के तहत मांगलिक कार्य नहीं होते.1319 में हुए खूनी संघर्ष के कारण यह परंपरा चली आ रही है.
सवाई माधोपुर. अक्षय तृतीया पर प्रदेश में ही नहीं देशभर में गली-गली मंगल गीत और शादी की शहनाइयों की गूंज सुनाई देती है. वहीं सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा क्षैत्र में 18 गांव ऐसे हैं जहां अक्षय तृतीया के मौके पर शहनाई के स्वर सुनाई नहीं देते. न ही इन 18 गांवों में कोई मांगलिक कार्य होता. सदियों से चली आ रही इस परंपरा को यहां के लोग आज भी बिना किसी तर्क-वितर्क के निभाते आ रहे हैं.
सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा क्षेत्र के 18 गांवों में अक्षय तृतीया के मौके पर शादियों की शहनाई की गूंज सुनाई नहीं देती. चौथ का बरवाड़ा स्थित चौथ माता के मंदिर में भी आरती के वाद्य यंत्र की ध्वनि सुनाई नहीं देती. मंदिर में सभी झालर-घंटों को कपड़े से ढंककर ऊंचाई पर बांध दिया जाता है ताकि मंदिर में भी घंटों के स्वर सुनाई नहीं दे सके.
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क्षेत्र के बुजुर्गों का कहना है कि रियासत काल में 1319 की बैसाख सुदी तीज पर आसपास के 18 गांवों के कई समुदायों के नवविवाहित जोड़े चौथ माता का आशीर्वाद लेने माता के मंदिर आए थे. भीड़ अधिक होने और घूंघट में होने के कारण दुल्हनें अपने दूल्हे को पहचान नहीं पाईं. वो दूसरे दूल्हे के साथ जाने लगीं. दुल्हनों के बदलने को लेकर विवाद हो गया. देखते ही देखते विवाद खूनी संघर्ष में बदल गया. इसी दौरान चाकसू की ओर से मेघसिंह गौड़ ने आक्रमण कर दिया जिसमें करीब 84 नवविवाहित जोड़ों की मौत हो गई. तब यहां के तत्कालीन शासक मेलक देव चैहान ने अक्षय तृतीय के मौके पर इलाके में शोक मनाने की बात कही थी. तब से लेकर आज तक इस इलाके के 18 गांवों के लोग इस परंपरा को निभाते आ रहे हैं.
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किसी भी घर में कढ़ाही नहीं चढ़तीचौथ माता ट्रस्ट के सदस्य कमल कुमार सैनी बताते हैं, ‘सदियों से चौथ का बरवाड़ा क्षेत्र के 18 गांवों में अक्षय तृतीय के दिन किसी भी घर में कढ़ाही नहीं चढ़ती है और न ही खुशी मनाई जाती है. न ही किसी की शादी की जाती है. घरों में सब्जी में हल्दी तक नहीं डाली जाती है. गांव के किसी भी मंदिर में आरती के वाद्यंत्र नहीं बजाये जाते. चौथ माता के मंदिर में लगे घंटों को भी अक्षय तृतीय की पूर्व संध्या पर उंचाई पर बांध दिया जाता है ताकी कोई उन्हें बजा ना सके.’
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कोई भी मंगल कार्य नहीं किया जातासैनी ने आगे बतया, ‘यहां चौथ माता मार्ग पर रियासत काल में 84 दुल्हा-दुल्हन मारे गए थे. उनके चबूतरे हुए हैं. आज भी इलाके के कई समुदायों के लोग यहां पूजा-अर्चना के लिए आते हैं. उस दिन के बाद से क्षेत्र के इन 18 गांवों में आखातीज के अबुझ सावें पर कोई भी मंगल कार्य नहीं किया जाता है. रियासत काल में घटित हुई घटना को लेकर आज भी यहां के लोग अक्षय तृतीया पर शादी विवाह नहीं करते. सदियों से चली आ रही इस परंपरा को बिना तर्क विर्तक के निभाते आ रहे हैं.’
First Published :
April 30, 2025, 20:55 IST
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राजस्थान के इन 18 गांवों में अक्षय तृतीय को नहीं होती शादियां, जानें वजह