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भारत का सबसे घातक मल्टी रोल स्टेल्थ फ्रिगेट ‘तमाल’ तैयार.

Last Updated:February 26, 2025, 23:02 IST

Navy warship news: भारत ने देश में ही एयरक्राफ्ट कैरियर, डिस्ट्रायर, फ्रीगेट, सबमरीन यहां तक की न्यूक्लियर बैलिस्टिक सबमरीन तक बना ली है. यह केवल युद्धपोत नहीं बल्कि भारतीय नौसेना के आत्मनिर्भरता का उदाहरण है….और पढ़ेंआखिरी इंपोर्टेड वॉरशिप घर लाने की तैयारी, जून तक शामिल हो सकता है नौसेना में

भारतीय नौ सेना में अब बस स्वदेशी जंगी जहाज ही होंगे शामिल

हाइलाइट्स

तमाल जून तक नौसेना में शामिल हो सकता है.तमाल से ब्रह्मोस मिसाइल फायर की जा सकेगी.तमाल के बाद भारत कोई वॉरशिप बाहर से नहीं खरीदेगा.

Navy warship news: दुनिया का सबसे घातक मल्टी रोल स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट भारत आने को तैयार हो रहा है. रूस के यांतर शिपयार्ड में बनाए गए इस वॉशिप का नाम है ‘तमाल’. दुनिया के सबसे खतरनाक एंटी शिप मिसाइल ब्रह्मोस को इस वॉशिप से दागी जा सकेगी. साल 2016 में भारत और रूस के बीच 4 तलवार क्लास स्टेल्थ फ्रिगेट्स बनाने के लिए समझौता हुआ था. जिनमें से दो रूस में और दो भारत में बनने थे. इस डील का दूसरा वॉरशिप भी तैयार हो चुका है. माना जा रहा है कि इसी साल जून में नौसेना में शामिल किया जा सकता है. रूस में बनने वाले दो वॉशिप में से पहला INS तुशिल पहले ही भारतीय नौसेना में शामिल किया जा चुका है. खुद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 9 दिसंबर 2024 को रूस जाकर इसे आधिकारिक तौर पर नौसेना में शामिल किया. तुशिल ने 12,500 मील से अधिक की यात्रा करते हुए 8 देशों से होते हुए यह भारत पहुंच चुका है.

तमाल का क्रू पहुंचा रूसतमाल का ट्रायल रूस में जारी है. एक बार नौसेना में शामिल होने के बाद तो उन्हें भारतीय क्रू ही लेकर आएगा. लेहाजा नौसेनिकों की ट्रेनिंग भी जरूरी है. सूत्रों के मुताबिक 200 के करीब भारतीय नौसेना का चालक दल रूस के सैंट पीटर्सबर्ग पहुंच चुका है. यह सभी इस वॉरशिप के ट्रायल में शामिल होंगे. डेढ़ महीने करीब इसके समुद्री परिक्षण चलेंगे और फिर तमाल को घर लाने की तैयारी करेंगे.

क्यों है यह सबसे घातक?तमाल एक तरह की तलवर को कहा जाता है. उसी तलवार की धार जैसी इस वॉरशिप की मार भी होने वाली है. तमाल समंदर में 30 नॉटिकल मील प्रति घंटे रफ्तार से मूव कर सकता है. इससे एंटी शिप ब्रह्मोस मिसाइल फायर किया जा सकता है. तमाल 3000 किमी तक की दूरी एक बार में तय कर सकता है. एंटी सबमरीन वॉरफेयर के लिए भी इस खास तौर पर डिजाइन किया गया है. दुश्मन की सबमरीन के हमलों से निपटने के लिए एंटी सबमरीन रॉकेट्स और टॉरपीडो भी इस वॉरशिप में मौजूद हैं. इस वॉरशिप पर एक हेलीकॉप्टर को भी तैनात किया जा सकता है. इसका वजन 3900 टन है.

तमाल है आखिरी इंपोर्टेड वॉरशिपतलवार क्लास का यह फॉलोऑन प्रोजेक्ट है. INS तुशिल तलवार क्लास के तीसरे बैच का पहला और तमाल दूसरा वॉरशिप है. भारतीय नौसेना ने यह साफ कर दिया है कि इसके बाद भविष्य में कोई और वॉरशिप बाहर से नहीं खरीदा जाएगा. भारतीय नौसेना में तलवार क्लास के वॉरशिप 2003 से शामिल होना शुरू हो गए थे. अब तक इस क्लास के 6 जंगी जहाज इस समय भारतीय नौसेना में समुद्री सुरक्षा में लगे है. इन 6 स्टेल्थ फ्रिगेट्स में से 4 को ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस किया जा चुका है. जबकि बाकी दो को ब्रह्मोस से लैस करने काम जारी है . तीन साल से ज्यादा से चल रहे रूस यूक्रेन युद्ध के चलते माना जा रहा था कि इसकी डिलिवरी में देरी हो सकती है लेकिन ऐसा हुआ नही. इन वॉरशिप में यूक्रेन में निर्मित इंजन लगे हैं. रूस और यूक्रेन के बीच जंग से पहले ही वॉरशिप के लिए इंजन डिलिवर हो चुके थे. भारत में गोवा शिपयार्ड में बन रहे दो स्टेल्थ फ्रिगेट्स के लिए भी इंजन मिल चुके है. दोनों वॉरशिप के निर्माण का काम जोरो पर है. पहले त्रिपुट को समुद्री परीक्षण के लिए पानी में उतार दिया गया है.


First Published :

February 26, 2025, 23:02 IST

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आखिरी इंपोर्टेड वॉरशिप घर लाने की तैयारी, जून तक शामिल हो सकता है नौसेना में

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