Neerja Modi School Jaipur Case: अमायरा ये तुमने क्या किया…किसी को तो मन की बात बोली होती…किस बात का था डर?

Last Updated:November 05, 2025, 13:17 IST
Neerja Modi School Jaipur Case : राजधानी जयपुर की नीरजा मोदी स्कूल की चौथी क्लास की बच्ची अमायरा के मौत केस ने पूरे जयपुर को हिला डाला है. अमायरा की मौत सुसाइड है या फिर इसके पीछे कहानी कुछ और है. इसकी विस्तृत जांच चल रही है. लेकिन प्रथम दृष्टया जो सामने आया है वह पूरी सोसायटी के लिए बड़ी चिंता का विषय है.
अमायरा स्कूल के सीसीटीवी कैमरे में चौथी मंजिल से कूदती हुई नजर आई.
जयपुर. अमायरा तुमने ये क्या किया? क्या तुम्हारे मन में कोई बात थी जो तुम्हें परेशान कर रही थी? या फिर किसी बात का डर था जिससे तुम डरी हुई थी? क्या तुम्हें किसी ने डांटा था? क्या तुमने अपने मन की बात किसी को टीचर, पैरेंट्स, दोस्त या फिर किसी अन्य परिजन को बताई? ऐसा क्या हुआ कि तुमने अपने परिवार को ही नहीं बल्कि पूरे जयपुर को रूला डाला. तुमने एक पल भी नहीं सोचा कि तुम्हारे इस कदम से तुम्हारे पापा-मम्मी का क्या होगा? क्या परिवार के दूसरे लोग तुम्हारे बिना रह पाएंगे? महज 9 साल की उम्र में तुमने ऐसा क्या महसूस कर लिया जिसे तुम्हारे दिल को चोट लगी या उसमें खौफ बैठ गया?
ये वो सवाल है जो राजधानी जयपुर के प्रतिष्ठित नीरजा मोदी स्कूल में चौथी क्लास की छात्रा अमायरा की मौत के बाद उठ रहे हैं. अमायरा की हाल ही स्कूल की चौथी मंजिल से गिर जाने से मौत हो गई. इसका सीसीटीवी फुटेज सामने आया है. इसमें वह स्कूल की चौथी मंजिल से नीचे कूदती हुई दिखाई दे रही है. अमायरा की मौत ने पूरी पिंकसिटी को हिला डाला. अमायरा की मौत से और भी कई ऐसे सवाल उठ खड़े हुए हैं जो आज पैरेंट्स समेत आम आदमी के जहन में खलबली मचा रहे हैं. अव्वल तो इतनी छोटी बच्ची के मन में जान देने जैसा ख्याल आया कैसे? अगर आया भी तो कैसे हाथोंहाथ ही उसने उसे अमली जामा पहना दिया. अगर उसके मन में कोई बात थी तो क्या वह किसी को महसूस नहीं हुई. क्या किसी ने उसका मन ना सही लेकिन चेहरा भी नहीं पढ़ा था?
बच्चों के मन की थाह लेनी की कोशिश करनी होगीअमायरा की मौत कोई साधारण मामला नहीं है. अमायरा को तो वापस नहीं लाया जा सकता लेकिन कुछ एहतियात वाले कदम उठाकर अमायरा जैसे दूसरे बच्चों को बचाया तो जा सकता है. अमायरा तो कई अनसुलझे सवाल छोड़ गई लेकिन उन सवालों के जंजाल में कोई और बच्चा ना फंसे उस पर तो नजर रखनी होगी. बच्चों के साथ स्कूल, घर, पार्क और बाहर गली में क्या हो रहा है उसको देखना होगा. उसके मन की थाह लेनी की कोशिश करनी होगी. उसके चेहरे के हावभाव के पढ़ने की आदत हमें डालनी होगी. उसकी बातों को हमें सुनना होगा. उसके सवालों का जवाब हमें देना होगा.
बच्चों को सहनशील और फ्रेंडली बनाना होगाउसकी हर छोटी-मोटी गलती पर उसे डांटने की बजाय उसे समझाना होगा. उसे अच्छे और बुरे के बारे में बताना होगा. उसकी टेंशन को खुद की टेंशन मानकर चीजों को सही करना होगा. उसे समय देना होगा. उसके साथ खेलना होगा. उसका मन बहलाना होगा. अपनी बला टालने के लिए उसे मोबाइल मत थमाइये. अपना काम करने के लिए और उसकी शरारतों से बचने के लिए उसे टीवी खोलकर उसके आगे मत बिठाइए. उसे सहनशील बनाइए. उसे न्यूक्लियर परिवार से संयुक्त परिवार के बारे में बताना होगा. बच्चों को बचाने के लिए रिश्तों को समझाना होगा.
बच्चे को मोबाइल थमाकर सोशल मीडिया की आभासी दुनिया में ना धकेलेअपने आराम के लिए उसे मोबाइल थमाकर सोशल मीडिया की आभासी दुनिया या खतरनाक गेम्स की दुनिया में ना धकेले. अगर वह मोबाइल चला भी रहा है तो उस पर नजर भी रखनी होगी. जब वह अपने दोस्तों से बातचीत करता है तो उस पर भी गौर करना होगा ताकि फिर अमायरा जैसे कोई बच्चा मन में बोझ लिए ना चला जाए. उसे इतना विश्वास दिलाना होगा कि वह अपनी हर बात बेखौफ होकर शेयर करे. किसी भी परिस्थित में घबराए नहीं. उसमें आत्मविश्वास जगाना होगा. उसे बताना होगा कि जिंदगी और मौत में फर्क क्या है. जिंदगी कितनी हसीन है और मौत कितनों को उम्रभर के लिए रूला जाती है.
स्कूल के सुरक्षा बंदोबस्त और अन्य मानकों को जांचा परखा जा रहा हैहालांकि अमायरा की मौत के बाद पुलिस और शिक्षा विभाग की तरफ से जांच चल रही है. अमायरा की मौत का सामने आया वीडियो सही या गलत इसकी भी जांच हो रही है. स्कूल के सुरक्षा बंदोबस्त और अन्य मानकों को जांचा परखा जा रहा है. टीचर्स के भी बयान लिए जा रहे हैं. परिजनों के भी कुछ आरोप भी हैं. शिक्षा मंत्री ने विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं. अमायरा की बस्ते को भी खंगाला जा रहा है. उसकी सभी गतिविधियों की जांच पड़ताल की जा रही है. लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है. अमायरा सबको रूलाकर इस दुनिया से जा चुकी है.
Sandeep Rathore
संदीप राठौड़ ने वर्ष 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की जयपुर से शुरुआत की. बाद में कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर की जिम्मेदारी निभाई. 2017 से के साथ नए सफर की शुरुआत की. वर…और पढ़ें
संदीप राठौड़ ने वर्ष 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की जयपुर से शुरुआत की. बाद में कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर की जिम्मेदारी निभाई. 2017 से के साथ नए सफर की शुरुआत की. वर… और पढ़ें
Location :
Jaipur,Jaipur,Rajasthan
First Published :
November 05, 2025, 12:58 IST
homerajasthan
अमायरा ये तुमने क्या किया…किसी को तो मन की बात बोली होती…किस बात का था डर?



