जब पल्लीवाल ब्राह्मणों ने लगा दी थी जान की बाजी, सोमनाथ मंदिर के बने कवच… दर्द और बलिदान की अनकही कहानी

Last Updated:February 26, 2025, 12:27 IST
कहा जाता है कि नसीरूद्दीन ने पाली के शिवलिंग को तोड़ना चाहा, मगर पाली के हजारों पल्लीवाल ब्राह्मणों ने ऐसा नहीं होने दिया और अपनी जान गवाना जरूरी समझा. उन्होंने मंदिर की शान में आंच तक नहीं आने दी. मंदिर को बचा…और पढ़ेंX
पालीवाल ब्राह्मणों ने दिया था बलिदान
हाइलाइट्स
पाली के सोमनाथ मंदिर की रक्षा के लिए पल्लीवाल ब्राह्मणों ने बलिदान दिया.नसीरूद्दीन के हमले के दौरान हजारों ब्राह्मणों ने जान गवाई.धौला चौतरा में संरक्षित है पल्लीवाल ब्राह्मणों की नौ मन जनेऊ.
पाली:- महाशिवरात्रि हो,सावन का महीना हो या फिर भगवान शिव का कोई भी बड़ा दिन क्यों न हो. पाली में ऐतिहासिक सोमनाथ मंदिर में जब श्रद्धालुओं की भीड़ नजर आती है, तो याद आता है पाली के उन पल्लीवाल ब्राह्मणों का बलिदान, जिन्होंने अपनी जान देकर इस मंदिर की रक्षा करने का काम किया. आज भी इन पल्लीवाल ब्राह्मणों के बलिदान को कोई नहीं भूल सकता.
इस बलिदान के पीछे की कहानी की बात करें, तो कहा जाता है कि नसीरूद्दीन ने इस शिवलिंग को तोड़ना चाहा, मगर पाली के हजारों पल्लीवाल ब्राह्मणों ने ऐसा नहीं होने दिया और अपनी जान गवाना जरूरी समझा. उन्होंने मंदिर की शान में आंच तक नहीं आने दी. मंदिर को बचाने के लिए जो शहीद हुए, उनकी नौ मन जनेऊ को मंदिर के पास ही एक बावड़ी में डालकर उसे बंद कर दिया गया, जिसकी निशानी आज भी पाली में धौला चौतरा के पास देखी जा सकती है.
नहीं भूला जा सकता पल्लीवाल ब्राह्मणों का बलिदान कहते हैं कि नसीरूद्दीन ने इस शिवलिंग को तोड़ना चाहा. लेकिन पाली के हजारों पल्लीवाल ब्राह्मण उनसे टकरा गए. हजारों पल्लीवाल ब्राह्मणों ने बलिदान देकर मंदिर के गर्भगृह की सभी प्रतिमाओं को बचा लिया. इतिहास विशेषज्ञ डॉ. गजे सिंह राजपुरोहित लोकल 18 से बातचीत करते हुए बताते हैं कि जो मंदिर की सुरक्षा करते हुए शहीद हुए, उनकी नौ मन जनेऊ को मंदिर के पास ही एक बावड़ी में डालकर उसे बंद कर दिया गया, जो आज धौला चौतरा के जूझांरजी के नाम से प्रसिद्ध हैं.
बार-बार होने लगे आक्रमण, तो इस तरह की रक्षा अलाउद्दीन खिलजी ने भी सन 1298 में गुजरात जाते समय सोमनाथ महादेव मंदिर के शिखर पर तोप का गोला दाग क्षतिग्रस्त कर दिया था. साल 1315 में रावसिंहा के कार्यकाल में पालीवाल ब्राह्मणों ने मंदिर का जीर्णोद्वार करवाया और मंदिर का शिखर फिर से बनवाया. उसके बाद साल 1330 में नसीरूद्दीन ने पाली पर हमला कर दिया. मंदिर को बचाने के लिए पल्लीवाल ब्राह्मणों को उसे धन देना पड़ा. साल 1349 में फिरोजशाह जलालुद्दीन ने पाली को लूटा और सोमनाथ मंदिर में दो छोटी मिनारें बनवा दीं. इसके अवशेष 1947 के बाद नष्ट कर दिए गए.
एक समय ऐसा कि पलायन कर गए पल्लीवाल ब्राह्मण मंदिर पुजारी सुनील ने Local 18 से बातचीत करते हुए कहा कि इस बीच पल्लीवाल ब्राह्मण यहां से पलायन कर गए. उनके जाने के बाद साल 1350 में नाथ सम्प्रदाय ने मंदिर की व्यवस्था संभाली. साल 1600 में नाथ सम्प्रदाय के महंत भोलानाथ ने पूजा व्यवस्था रावल ब्राह्मण परिवार को सौंपी और समाधि ले ली. साल 1970 में राजस्थान के देवस्थान विभाग ने मंदिर की व्यवस्था का जिम्मा अपने हाथ में ले लिया.
First Published :
February 26, 2025, 12:27 IST
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पल्लीवाल ब्राह्मणों का महादेव के लिए वो बलिदान, जिसे याद कर नम हो जाती आंखें!
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