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‘बम लहरी’ गाने विवाद पर कैलाश खेर को राहत, धार्मिक भावनाएं ठेस पहुंचाने का था आरोप

Last Updated:March 13, 2025, 23:01 IST

Kailash Kher Babam Bam Controversy: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कैलाश खेर के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की शिकायत खारिज की. कोर्ट ने कहा कि कैलाश खेर का इरादा गलत नहीं था और कलाकारों को अपनी कला की आजादी है.बम लहरी गाना विवाद पर कैलाश खेर को राहत, धार्मिक भावनाएं ठेस पहुंचाने का था आर

कैलाश खेर बॉलीवुड के मशहूर सिंगर हैं.

हाइलाइट्स

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कैलाश खेर के खिलाफ शिकायत खारिज की.कोर्ट ने कहा, खेर का इरादा धार्मिक भावनाएं ठेस पहुंचाने का नहीं था.कलाकारों को अपनी कला की आजादी है: हाईकोर्ट.

नई दिल्ली: बॉम्बे हाईकोर्ट ने सिंगर कैलाश खेर के खिलाफ दर्ज शिकायत को खारिज कर दिया है. उन पर भगवान शिव को समर्पित उनके गीत ‘बम लहरी’ से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया गया था. न्यायमूर्ति भारती डांगरे और एससी चंदक की खंडपीठ ने फैसला सुनाया कि अनुपम खेर का धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कोई जानबूझकर या दुर्भावनापूर्ण इरादा नहीं था. उन्होंने केवल वह गीत गाया था, जो भगवान शिव और उनके गुणों की तारीफ करता है.

कैलाश खेर के खिलाफ शिकायत मूल रूप से लुधियाना की एक अदालत में नरिंदर मक्कर ने आईपीसी की धारा 295ए और 298 के तहत दर्ज की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि म्यूजिक वीडियो में कम कपड़े पहने महिलाएं और इंटीमेट सीन दिखाए गए थे, जो शिव भक्तों के लिए आपत्तिजनक थे. हालांकि, हाईकोर्ट ने कहा कि हर वह काम जो किसी समूह को नापसंद हो, जरूरी नहीं कि धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला हो.’ पीठ ने कहा, ‘रूढ़िवाद से असहमति के प्रति असहिष्णुता सदियों से भारतीय समाज की समस्या रही है. लेकिन यह असहमति के अधिकार की स्वीकृति में है, जो एक स्वतंत्र समाज को अलग करती है.’

कोर्ट ने कलाकार के हित में सुनाया फैसलाकैलाश खेर के खिलाफ केवल यह आरोप था कि वह एक वीडियो में दिखाई दिए थे जिसमें शिकायतकर्ता के अनुसार महिलाएं आपत्तिजनक ड्रेस में थीं. हालांकि, कोर्ट ने नोट किया कि कैलाश खेर केवल गीत गा रहे थे और वीडियो को एक अन्य कंपनी ने कोरियोग्राफ और बनाया था. कैलाश खेर ने 2014 में हाईकोर्ट का रुख किया था जब मामला पहली बार दर्ज किया गया था और कोर्ट ने उन्हें किसी भी कार्रवाई से अंतरिम राहत दी थी. अपने वकील अशोक सरोगी के माध्यम से दायर याचिका में, कैलाश खेर ने तर्क दिया कि वह केवल सिंगर थे और वीडियो को बनाने में उनकी कोई भूमिका नहीं थी. वीडियो को रिलीज से पहले सेंसर बोर्ड से मंजूरी मिली थी. बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस फैसले से एक बार फिर साबित कर दिया है कि कलाकारों को अपनी कला के प्रदर्शन की पूरी आजादी है. किसी पर सिर्फ इसलिए पाबंदी नहीं लगाई जा सकती क्योंकि कुछ लोगों को वो पसंद नहीं है.


First Published :

March 13, 2025, 23:01 IST

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